BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Saturday, April 13, 2013

सरकार को नहीं पता कैसे हुई डॉ. अम्बेडकर की मृत्यु

सरकार को नहीं पता कैसे हुई डॉ. अम्बेडकर की मृत्यु

भारत सरकार के पास डॉ. भीमराव अम्बेडकर की मौत से जुड़ी कोई जानकारी नहीं है।

आरटीआई ऐक्ट के तहत दायर आवेदन के जवाब में केंद्र के दो मंत्रालयों और अम्बेडकर प्रतिष्ठान ने अपने पास अंबेडकर की मौत से जुड़ी कोई भी जानकारी होने से इंकार किया है। एक मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी ने यह भी कहा है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि मांगी गई सूचना किस विभाग से संबद्ध है।

आरटीआई कार्यकर्ता आर एच बंसल ने राष्ट्रपति सचिवालय में आवेदन दायर कर पूछा था कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर की मौत कैसे और किस स्थान पर हुई थी? उन्होंने यह भी पूछा था कि क्या मृत्यु उपरांत उनका पोस्टमॉर्टम कराया गया था। पोस्टमॉर्टम की स्थिति में उन्होंने रिपोर्ट की एक प्रति मांगी थी।

आवेदन में यह भी पूछा गया था कि संविधान निर्माता की मृत्यु प्राकृतिक थी या फिर हत्या। उनकी मौत किस तारीख को हुई थी, क्या किसी आयोग या समिति ने उनकी मौत की जांच की थी?

राष्ट्रपति सचिवालय ने यह आवेदन गृह मंत्रालय के पास भेज दिया जिस पर गृह मंत्रालय द्वारा आवेदक को दी गई सूचना में कहा गया है कि डॉ. अम्बेडकर की मृत्यु और संबंधित पहलुओं के बारे में मांगी गई जानकारी मंत्रालय के किसी भी विभाग, प्रभाग और इकाई में उपलब्ध नहीं है ।

कहा जाता है कि अम्बेडकर 1948 से मधुमेह से पीड़ित थे। जून से अक्टूबर 1954 तक वे बहुत बीमार रहे इस दौरान वे अवसाद और कमजोर होती दृष्टि से ग्रस्त थे। राजनीतिक मुद्दों से परेशान अम्बेडकर का स्वास्थ्य बद से बदतर होता चला गया और 1955 के दौरान किये गये लगातार काम ने उन्हें तोड़ कर रख दिया। अपनी अंतिम पांडुलिपि बुद्ध और उनके धम्म को पूरा करने के तीन दिन के बाद 6 दिसंबर 1956 को अम्बेडकर की मृत्यु नींद में दिल्ली में उनके घर मे हो गई।

7 दिसंबर को चौपाटी समुद्र तट पर बौद्ध शैली मे अंतिम संस्कार किया गया जिसमें हजारों समर्थकों, कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों ने भाग लिया था।

बिहार खोज खबर ब्यूरो

http://www.biharkhojkhabar.com/archives/20032

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