BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Monday, April 15, 2013

लो कल्लो बात! मोदी साम्प्रदायिक हैं और आडवाणी …?

लो कल्लो बात! मोदी साम्प्रदायिक हैं और आडवाणी …?



एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


 मीडिया चीख चीखकर बोल रहा है कि जनता दल (यू) की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में गुजरात के मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी के संघी प्रधानमन्त्रित्व के दावे की नीतीश कुमार ने हवा निकाल दी। पर लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ इन धर्मनिरपेक्ष महानुभवों का कोई मतामत अभी अप्रकाशित है।जदयू की राष्ट्रीय परिषद में पारित एक राजनैतिक प्रस्ताव के अनुसार, प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार ऐसा होना चाहिये कि जिसकी धर्मनिरपेक्ष छवि देश में संदेह से परे हो, जो समावेशी विकास का पक्षधर हो और पिछड़े वर्ग एवं क्षेत्रों तथा सभी को साथ लेकर चलने का हिमायती हो। प्रस्ताव में कहा गया है कि उसकी साख अटल बिहारी वाजपेयी की तरह हो अन्यथा इसके नकारात्मक परिणाम होंगे। पार्टी का कहना है, 'भाजपा का दायित्व है कि उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुये उम्मीदवार तय करे। इस वर्ष के अन्त तक भाजपा प्रधानमन्त्री पद के उम्मीदवार का नाम अवश्य बताये, जैसी परम्परा पूर्व में रही है।'

इस मामले पर समाजवादी पार्टी ने कहा है कि जब नीतीश को बिहार का मुख्यमन्त्री बनना था तब उन्हें भाजपा धर्मनिरपेक्ष पार्टी लगती थी और अब जब मोदी का नाम सामने आया है तो वो धर्मनिरपेक्षता की बात कर रहे हैं। वहींकांग्रेस ने भी पलटवार करते हुये पूछा है कि नीतीश कुमार किस आधार पर मोदी को साम्प्रदायिक बता रहे हैं और किस आधार पर आडवाणी को धर्मनिरपेक्ष मानते हैं।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

सवाल उठ रहे हैं कि अगर गुजरात नरसंहार के लिये मोदी साम्प्रदायिक हैं तो बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में मुख्य अभियुक्त लालकृष्ण आडवाणी क्या हैं? राम मन्दिर के कारसेवकों को लेकर गुजरात नरसंहार की पृष्ठभूमि बनी। वे कारसेवक कहाँ से आये उनका आवाहन किसने किया देश दुनिया में बाबरी विध्वंस के लिये जो दंगे हुये, उसकी जिम्मेवारी किस पर है? लेकिन नीतीश कुमार और उनकी पार्टी इस मुद्दे पर चुप हैं। और तो और, बिहार से ही उनकी पार्टी के सांसद कैप्टेन जय नारायण निषाद मोदी के प्रधानमंत्रित्व के लिये यज्ञ महायज्ञ कर रहे हैं। धर्मनिरपेक्षता का तकाजा तो यह है कि वे निषाद को बाहर का दरवाजा दिखा दें। आडवाणी कोई अटल बिहारी वाजपेयी तो है नहीं, जिन पर धर्मनिरपेक्ष मुखौटा भी जम जाये! फिर संघ परिवार में ऐसा कौन माई का लाल है जो उग्र हिन्दुत्व के एजेण्डा और हिन्दू साम्राज्यवाद के खिलाफ है? खिलाफ तो जनता दल (यू) भी नहीं है। सुशासन बाबू गैर कांग्रेसवाद के समाजवादी नारे के साथ संघ परिवार को बिना शर्त समर्थन के तहत ही बिहार में सत्ता में काबिज हैं। इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं है कि मोदी की खिलाफत धर्मनिरपेक्षता कम दरअसल नीतीश कुमार की राजनीतिक महात्वाकाँक्षा ज्यादा है।

प्रश्न है कि यदि भाजपा अपने तेवर पर कायम रहती है और संघ परिवार की पसंद पर मुहर लगाते हुये मोदी को ही प्रधानमन्त्री बनाने का निश्चय करती है तो क्या नीतीश कुमार कांग्रेस के साथ खड़े हो जायेंगे? नीतीश कुमार जो कदम उठायेंगे, क्या समाजवादियों की यह जमात, जिनकी सत्तालिप्सा अब उनकी विचारधारा बन गयी है, उसी दिशा में चल पड़ेगी? फिर अगर संघ परिवार ने लालकृष्ण आडवानी के नाम पर ही सहमति दे दी तो क्या समाजवादी धर्मनिरपेक्षता का एजेण्डा कामयाब माना जायेगा? सुशासन बाबू जो मन चाहे करें, लोकतन्त्र हैं और वे दूसरे तमाम क्षत्रपों की तरह कोई भी निर्णय लेने को आजाद हैं,। कम से कम धर्मनिरपेक्षता का जाप करते हुये बिहार के बाद बाकी देश में अपनी रथयात्रा को तो विराम दें।

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