BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Monday, January 30, 2012

निशंक के गढ़ में फंस गए हैं हीरा सिंह बिष्ट

निशंक के गढ़ में फंस गए हैं हीरा सिंह बिष्ट


Monday, 30 January 2012 09:41

जनसत्ता संवाददाता डोईवाला (देहरादून), 30 जनवरी। गढ़वाल की सबसे ज्यादा हाट सीट है डोईवाला विधानसभा क्षेत्र। इस सीट पर सबकी नजर है। इस सीट पर भाजपा की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमेश पोखरियाल निशंक चुनाव लड़ रहे हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस के उम्मीदवार एनडी तिवारी सरकार में विवादास्पद परिवहन मंत्री हीरा सिंह बिष्ट चुनाव लड़ रहे हैं। जो मजदूर नेता रहे हैं और इंटक से जुड़े हैं।
हीरा सिंह बिष्ट एनडी तिवारी के शासन काल में परिवहन व श्रम मंत्री  थे। वे तब दूसरी बार राजपुर सीट से विधायक बने थे। 2007 में वे भाजपा के गणेश जोशी से चुनाव हार गए थे। वे 2002 में राजपुर सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुने गए थे। वे हरीश रावत गुट के कोटे से राजपुर सीट से 2002 में टिकट पाए थे। लेकिन तिवारी मंत्रिमंडल में परिवहन मंत्री बनने के बाद वे बस खरीद घोटाले में विवादास्पद हो गए थे। तिवारी से करीबी रखने के चक्कर में हीरा सिंह बिष्ट ने हरीश रावत का साथ छोड़ दिया था और जब वे 2007 में राजपुर सीट से चुनाव लड़े तो हीरा सिंह बिष्ट को तिवारी ने बीच मझधार में छोड़ दिया था। तिवारी उनका प्रचार करने नहीं गए। रावत तो पहले ही उनका साथ छोड़ चुके थे। इस तरह हीरा सिंह बिष्ट अलग-थलग पड़ गए और भाजपा के मामूली से नेता गणेश जोशी से चुनाव हार गए। हरक सिंह रावत डोईवाला सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन हरक सिंह रावत रमेश पोखरियाल निशंक के सामने चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं दिखा पाए। कांग्रेस ने उन्हें रूद्रप्रयाग भेज दिया। जहां वे अपने साथ भाजपा के मातवर सिंह कंडारी के सामने बौने साबित हो रहे हैं। उधर हीरा सिंह निशंक के सामने डोईवाला में कहीं टिक नहीं पा रहे हैं। निशंक ने मुख्यमंत्री रहते डोईवाला क्षेत्र में बहुत काम करवाए।
कांग्रेस के बागी के रूप में पंजाबी सिख समुदाय के एसपी सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। जो कांग्रेस के उम्मीदवार हीरा सिंह बिष्ट के वोट काट रहे हैं। जिसका फायदा भाजपा को मिल रहा है। निशंक को इस क्षेत्र में 40 फीसद ब्राह्मण वोट का सीधा फायदा हो रहा है। निशंक हीरा सिंह बिष्ट से बहुत आगे चल रहे हैं। हीरा सिंह बिष्ट मिलनसार स्वभाव के नहीं हैं। वे लोगों से सीधा संपर्क रखते हैं। निशंक का बर्ताव मिलनसार वाला है। वे लोगों के कामकाज करने और लोगों के बीच संपर्क रखने में भी माहिर हैं।

हर्रावाला के सुरेश नौटियाल कहते हैं कि निशंक व्यवहार कुशल हैं। उन्होंने हर्रावाला के विकास के लिए हर्रावाला में आयुर्वेद विश्वविद्यालय का कैंपस खुलवाने के लिए फैसला लिया। हीरा सिंह बिष्ट रामपुर से लड़ना चाहते थे। उन्हें कांग्रेस ने डोईवाला से टिकट देकर फंसा दिया। डोईवाला सीट पर गढ़वाली ब्राह्मण 40 फीसद, राजपूत 15 फीसद, लोध जाति के 15 फीसद, मुसलमान पांच फीसद, पंजाबी सिख 10 फीसद हैं। ब्राह्मण, लोधा राजपूत व भाजपा कैडर व युवा वोट बड़ी तादाद में निशंक को मिल रहा है। निशंक ब्राह्मण हैं। हीरा सिंह बिष्ट राजपूत हैं। कांग्रेस में बड़ी भारी बगावत है। हीरासिंह बिष्ट के लिए यह सीट एकदम नई है।
जिससे वे परेशान हैं। निशंक ने यहां छह महीने पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। जबकि हीरा सिंह बिष्ट को 12 जनवरी को कांग्रेस ने डोईवाला से टिकट दिया। जबकि वे तो डोईवाला से निशंक के सामने लड़ने को तैयार नहीं थे। रामपुर से चुनाव लड़ने की एक डेढ़ साल से तैयारी कर रहे थे। जिसका नुकसान हीरासिंह बिष्ट को उठाना पड़ रहा है। कांग्रेस का एक बड़ा खेमा निशंक के साथ जुड़ गया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी की भानिया वाला में बड़ी जनसभा करवा कर अपने पक्ष में निशंक ने माहौल बनाया है। डोईवाला सीट पर करीब एक लाख मतदाता हैं। जो निशंक व हीरा सिंह बिष्ट, कांग्रेस बागी एसपी सिंह के भाग्य का फैसला करेंगे।


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