BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Saturday, October 22, 2011

उत्तराखंड में माओवाद या माओवाद का भूत ? !!

उत्तराखंड में माओवाद या माओवाद का भूत ? !!

http://www.nainitalsamachar.in/maoism-in-uttarakhand-or-just-the-exercise-of-getting-money/

nainital-samachar-editorial उत्तराखंड में माओवाद का कोई तात्कालिक खतरा नहीं है। अब तक इस तरह की कोई वारदात नहीं हुई है। पुलिस जासूसी उपन्यासों की तर्ज पर कुछ कहानियाँ बना कर पकड़-धकड़ कर रही है तो उसकी मजबूरियाँ हैं। केन्द्र से माओवाद को नियंत्रित करने के नाम पर जो पैसा मिलना है, उसका लालच बहुत बड़ा है। तमाम राज्यों को खासी रकम मिल जायेगी और उत्तराखंड इस लूट-झपट में पीछे रह जायेगा, यह तो इस सरकार की नाकामयाबी ही मानी जायेगी। अतः मजदूरों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बीच में काम कर रहे कुछ वामपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं को माओवादी कह कर गिरफ्तार कर लिया जाता है। प्रकारान्तर से ऐसे कार्यकर्ताओं में डर फैलाया जाता है कि अपनी गतिविधियों से बाज आओ और हमें अपनी मनमानी करने दो। दूसरी ओर केन्द्र के पैसे में हिस्सा भी सुनिश्चित होता है। मीडिया में चूँकि अनपढ़ और पूछताछ करने के बदले इमला लिखने वाले स्टेनोग्राफर किस्म के लोग घुस आये हैं तो इत्मीनान से माओवाद का हल्ला हो जाता है।
लेकिन यह भी सच है कि पिछले नौ साल से इस प्रदेश में जिस तरह से मोहभंग की स्थिति आयी है, उसे ठीक करने की दिशा में प्रभावी कदम न उठाये गये तो कोई ताज्जुब नहीं कि यहाँ के नौजवान सचमुच हथियार उठाने लगें। आजादी की जंग के दौर से ही उत्तराखंड के लोग राजनीति की मुख्यधारा में शामिल रहे और राज्य आन्दोलन में मुजफ्फरनगर कांड, जिसके दोषियों को सजा दिलवाने के लिये भी सरकार हाथ-पाँव नहीं चला रही है, का अपमान झेलने के बाद भी उन्होंने हिंसा का सहारा नहीं लिया। मगर पृथक राज्य से उनकी तमाम आशायें जुड़ी थीं। उसका एक छोटा हिस्सा भी पूरा न हुआ, तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है। फिलहाल जरूरी यह है कि सरकार माओवाद का झूठा हौआ बनाने के बदले उन तमाम कारणों को खत्म करे, जिनके कारण माओवाद के पनपने की आशंका हो सकती है। विकास की गति तेज करे, गाँवों की हालत रहने लायक बनाये और रोजगारों का सृजन करे। माओवाद का भूत ज्यादा दिन तक उत्तराखंड में अमन-चैन नहीं बचा सकता।
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