BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Wednesday, July 27, 2011

वाह जनगणना

वाह जनगणना !

प्रस्तुति: मोहन सिंह रावत

census-2011-indiaगाँव के कुछ भले लोगों के भरोसे गुजर-बसर कर रही बुधिया की 95 साल की अम्मा को जब दरवाजे पर किसी के आने का अहसास हुआ तो उसने बिस्तर पर पड़े-पड़े ही उन्हें पहचानने की कोशिश की। कंधे पर झोला लटकाये दो अजनबी सामने थे। अम्मा कुछ पूछती कि उन्होंने खुद ही अपना परिचय दिया 'प्रगणक' राष्ट्रीय जनगणना कार्यक्रम। अम्मा के लिए यह परिचय नया नहीं था। उम्र के लिहाज से देश की जनसंख्या में अम्मा की गिनती कितनी बार हो चुकी थी, यह खुद अम्मा भी नहीं जानती। आगंतुकों को देख अम्मा की ठंडी प्रतिक्रिया ने अहसास करा दिया कि अम्मा की इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में कोई दिलचस्पी नहीं थी। गाँव की धूल फाँकते कीचड़ से सने जूते लिए प्रगणक भी मोर्चे पर डटे थे। अम्मा ने यह सोचकर बेरुखी से मुँह मोड़ लिया कि हो सकता है उनकी उपेक्षा से क्षुब्ध होकर वह यहाँ से चले जायें तो जान छूटे लेकिन देश सेवा को समर्पित 'प्रगणक' भी ऐसे कहाँ मानने वाले थे ? अम्मा के व्यवहार से उन्हें इस बात का अहसास तो हो गया था कि उन्हें बैठने के लिए भी अपना ठौर खुद ही खोजना होगा और झोपड़ी पर पड़ी दूसरी टूटी-फूटी चारपाई में उन्होंने अपना आसन जमा लिया। उसके बाद झोले से लम्बा-चैड़ा रजिस्टर निकाला और अम्मा पर सवालों की बौछार होने लगी। शुरूआत परिवार के मुखिया के नाम से हुई। कई बार उन्होंने सवाल दोहराया तो अम्मा फट पड़ी- ''बार-बार चले आते हैं नासपीटे, और कोई काम नाहीं है…गिनती करन आए हैं…कर लो गिनती हमारी, सालों से खटिया पर पड़े हैं, कोई हालचाल तो पूछता नहीं, गिनती करन आए हैं!''

अम्मा रूपी ज्वालामुखी कुछ शांत हुआ तो प्रगणकों ने राष्ट्रीय जनगणना कार्यक्रम के महत्व से उन्हें परिचित कराया। दुनियादारी की अच्छी समझ रखने वाली अम्मा की समझ में फिर भी कुछ नहीं आया। ''दो महीना पहले गाय, भैंस, बछिया की गिनती करन आए थे, उससे पहले यह देखन आए कि घर में लाइट है या नहीं फिर राशन मिलत है या नहीं, कभी विकलांगन की गिनती की खातिर, कभी पेंशन मिलत है या नहीं और हर दूसरे महीने पोलियो दवा पिलावन खातिर और अब आए हो हमारी गिनती करन के वास्ते।''

इस बहस-मुबाहसे के बाद प्रगणक इतना तो जान ही गये थे कि अम्मा बुधिया सहित नौ बच्चों की माँ थी। पाँच लड़के और चार लड़कियाँ। इन नौ बच्चों में पाँच बच्चे बीमारी (कुपोषण) की वजह से दुनिया से विदा हो चुके थे। दो लड़कियों के हाथ पीले हो चुके थे और दो लड़के गाँव के बाहर मजदूरी किया करते थे जो कभी-कभार अम्मा की सुध लेने चले आते थे। प्रगणकों के अगले सवाल ने अम्मा के गुस्से को भड़काने में आग में घी का काम किया- ''अम्मा टीवी है…टीवी…फ्रिज…वाशिंग मशीन ?'' बड़ी मुश्किल से खुलने वाली अम्मा की आँखें चौड़ी हो गई। वह फिर से फट पड़ी- ''नासपीटो, गाँव में आज तक लाइट नहीं आई तो टीवी और जे सब कहाँ से होगा? गिनती करन वास्ते आए हो तो इस टूटी चारपाई, फटी धोती, मैले बिस्तर, पानी को तरसते नल, जंगली जानवरों से चौपट फसल, बरसात में चूते घर, गिरन को तैयार ई झोपड़ी की गिनती करो।'' अम्मा ने जो सूची प्रगणकों को थमाई, रजिस्टर में उसका नामोल्लेख तक नहीं था। अम्मा से आधी-अधूरी जानकारी ही सही, इस मुलाकात के बाद प्रगणक देश की अस्सी फीसदी आबादी का हाल तो जान ही चुके थे।

अम्मा की फटकार में भारत महान की आम जनता का दर्द छिपा था जिसकी नियति हर दस वर्ष में गिना जाना ही है। अम्मा की बौखलाहट जैसे कह रही थी कि प्रत्येक भारतीय के गले में हमेशा के लिए एक पट्टा डाल दिया जाना चाहिए जिस पर उसका नंबर अंकित हो जिससे पता चल सके कि वह इस महान देश का महान सपूत है क्योंकि उसका नाम देशवासियों की सूची में दर्ज है। जिसके गले में यह पट्टा न हो वह गैर भारतीय है। इससे देश में घुसपैठ कर डेरा जमाये विदेशी घुसपैठियों और शरणार्थियों की पहचान भी आसानी से की जा सकेगी। अम्मा की दलीलें भले ही हाशिये पर डाल दी जायें लेकिन उनमें दम तो है, इस बात से शायद ही कोई इंकार करे कि हम भारतीय गिनती में भले ही एक अरब का आँकड़ा पार कर चुके हैं लेकिन देशवासियों को मिलने वाली बिजली, पानी, घर जैसी सामान्य सुविधाओं के मामले में हम दुनिया के देशों की गिनती में बहुत नीचे हैं। हमारी गिनती का भी कोई एक निश्चित आधार नहीं है। हम भारतीय अलग-अलग तरहों से बार-बार गिने जाते हैं। कभी राशन कार्ड, कभी स्थाई या मूल निवास, कभी मतदाता पहचान पत्र, कभी बीपीएल-एपीएल और कभी अन्य सरकारी सुविधाएं मसलन मनरेगा, पेंशन आदि का लाभ प्राप्त करने वालों की सूची में हम अपना नाम शामिल कराने की जद्दोजहद में हमेशा लगे रहते हैं। एक गिनती खत्म होती नहीं कि दूसरी शुरू हो जाती है। अरबों की जनसंख्या वाले देश में इस तरह की गिनती करना भी गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में नाम लिखाने से कम नहीं है।

यह तो भला हो देश सेवा को समर्पित प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों व अन्य सरकारी कर्मचारियों का जो चुटकियों में इस तरह की गिनती बार-बार कर लेखा-जोखा सरकार को निर्धारित समय से पहले सौंपकर अपना मानदेय पक्का कर लेते हैं। प्रशिक्षणों का लाभ कहें या कुछ और इस कार्य में इन्हें इतनी महारत हासिल है कि गिनती मनुष्यों की हो, घरों की या गाय, भेड़, बकरी की, इनकी पैनी निगाह से कोई छूट नहीं पाता। कुछ समर्पित गणनाकार तो जगह-जगह भटकने की बजाय इस महान कार्य को गाँव के प्रधान या सरपंच के घर दावत का आनंद उठाते मुखिया जी के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही अंजाम देते हैं। अब ऐसी गणना में खाते-पीते प्रधान जी के रिश्तेदार, यार-दोस्त यदि गरीबी से नीचे की रेखा में दर्ज हो जायें और बेसहारा या जरूरतमंद गिनती में छूट जायें तो गलती आखिर मनुष्य से ही तो होती है।

Share

संबंधित लेख....


For Nainital Samachar Members

हरेला अंक-2010

स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ा रहा भीमताल का हरेला मेलास्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ा रहा भीमताल का हरेला मेला
हरेले की वैज्ञानिकता ढूंढने का प्रयासहरेले की वैज्ञानिकता ढूंढने का प्रयास
मुम्बई का हिल स्टेशन 'माथेरान' और नैनीतालमुम्बई का हिल स्टेशन 'माथेरान' और नैनीताल
पानी के दिनपानी के दिन
खेती-बाड़ी से जुड़ा है हरेला त्यौहारखेती-बाड़ी से जुड़ा है हरेला त्यौहार
जयदीप लघु उद्योग
श्रीनगर के लिये अभिशाप बन कर आई है जल विद्युत परियोजनाश्रीनगर के लिये अभिशाप बन कर आई है जल विद्युत परियोजना
पूरन चन्द्र चन्दोला का गिरजा हर्बल फार्मपूरन चन्द्र चन्दोला का गिरजा हर्बल फार्म
उत्तराखंड के लिये जरूरी है चकबन्दीउत्तराखंड के लिये जरूरी है चकबन्दी
लैंसडाउन ने बाबा नागार्जुन को याद कियालैंसडाउन ने बाबा नागार्जुन को याद किया

होली अंक -2010

निर्मल पांडे: कहाँ से आया कहाँ गया वोनिर्मल पांडे: कहाँ से आया कहाँ गया वो
'कैंपेन फार ज्यूडिशियल एकांउटेबिलिटी एण्ड रिफार्म्स' का तीसरा राष्ट्रीय अधिवेशन'कैंपेन फार ज्यूडिशियल एकांउटेबिलिटी एण्ड रिफार्म्स' का तीसरा राष्ट्रीय अधिवेशन
''तब के आई.सी.एस. साइकिल पर जाते थे या फिर इक्के पर''''तब के आई.सी.एस. साइकिल पर जाते थे या फिर इक्के पर''
कटाल्डी खनन प्रकरण: खनन माफियाओं के साथ न्यायपालिका से भी संघर्षकटाल्डी खनन प्रकरण: खनन माफियाओं के साथ न्यायपालिका से भी संघर्ष
नदियों को सुरंगों में डालकर उत्तराखण्ड को सूखा प्रदेश बनाने की तैयारीनदियों को सुरंगों में डालकर उत्तराखण्ड को सूखा प्रदेश बनाने की तैयारी
भष्टाचार की भेंट चढी़ विष्णगाड़ जल विद्युत परियोजनाभष्टाचार की भेंट चढी़ विष्णगाड़ जल विद्युत परियोजना
उत्तराखंड में माओवाद या माओवाद का भूत ? !!उत्तराखंड में माओवाद या माओवाद का भूत ? !!
शराब माफिया व प्रशासन के खिलाफ उग्र आन्दोलन की तैयारीशराब माफिया व प्रशासन के खिलाफ उग्र आन्दोलन की तैयारी
अपने मजे का मजा ठैरा दाज्यूअपने मजे का मजा ठैरा दाज्यू
दुःखद है ऐसे प्रकृतिप्रेमियों का जानादुःखद है ऐसे प्रकृतिप्रेमियों का जाना

No comments:

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...