BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Sunday, June 26, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



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From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/6/26
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


गोरखा, जौनपुरी रनवल्टा व गदा ओबीसी में शामिल

Posted: 25 Jun 2011 11:15 AM PDT

केंद्र सरकार ने गोरखाओं को सरकारी नौकरियों में और शैक्षणिक संस्थानों में 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल कर दिया है। गोरखा के अलावा गदा और जौनपुरी रनवल्टा को भी ओबीसी में शामिल किया गया है। कैबिनेट ने दो जून को देश की कुछ जातियों को ओबीसी में शामिल करने का निर्णय ले लिया था। 16 जून को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने कैबिनेट के फैसले के अनुसार उन जातियों को अधिसूचित कर दिया है जिन्हें ओबीसी के तहत लाभ दिया जाएगा। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, उत्तराखंड की तीन जातियों को ओबीसी में शामिल किया गया है। इनमें अप्रत्याशित फैसला गोरखाओं को लेकर है। जौनसार की बहुत सी जातियां ओबीसी में हैं। रनवल्टी छूट गई थी जिसे अब शामिल किया गया है। इससे पहले इसमें उत्तराखंड की चर्चित जनजातियों में बुक्सा, थारु, राजि, भोटिया और जौनसारी हैं। भारत के संविधान में प्रावधान है किकोई नेपाली भारत में जन्मा हो या पांच से अधिक समय से भारत में रह रहा हो तो उसे भारत में तमाम सुविधाएं, सरकारी नौकरी या फौज में जाने का मौका मिल जाता है(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,25.6.11)।

कटिहार व किशनगंज के निजी मेडिकल कॉलेजों ने कहा,सरकारी कोटे से नामांकन को बाध्य नहीं

Posted: 25 Jun 2011 11:13 AM PDT

कटिहार व किशनगंज के निजी मेडिकल कॉलेजों ने पटना उच्च न्यायालय से कहा कि वे सरकारी कोटे से छात्रों का नामांकन करने के लिए वाध्य नहीं हैं। ये अल्पसंख्यक कोटे के शिक्षण संस्थान हैं और सरकार उन्हें कोई अनुदान भी नहीं देती है। न्यायालय ने राज्य सरकार से इस मुद्दे पर जवाब देने को कहा है। न्यायमूर्ति एके त्रिपाठी ने इस मामले की सुनवाई 27 जून के लिए स्थगित कर दी है। न्यायालय ने इससे पहले कटिहार मेडिकल कॉलेज व किशनगंज के माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन से कहा था कि वे फिलहाल याचिकाकर्ताओं को पीजी का क्लास करने दें। साथ ही मेडिकल कॉलेजों से जवाब तलब किया था। उसने पूछा था कि कौन-कौन से विषयों में प्रबंधन कोटे व सरकार के कोटे से कितनी सीटें भरी गयीं हैं। न्यायालय में याचिका दाखिल कर 20 छात्रों ने कहा है कि उन्हें बिहार स्टेट इंट्रेंस इग्जामिनेशन बोर्ड ने इन कालेजों में नामांकर करा लेने को कहा है लेकिन कॉलेज प्रबंधन उनका नामांकन नहीं कर रहा है। कॉलेज प्रबंधन ने अपने कोटे से छात्रों का नामांकन कर लिया है जबकि सरकारी कोटे से छात्रों को नामांकन अनिवार्य है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के वकील कुमार ब्रजनंदन ने कहा था कि कटिहार मेडिकल कॉलेज को पीजी के 38 सीटों पर नामांकन करने का अधिकार दिया गया था, लेकिन उसने 40 छात्रों को नामांकित कर लिया है। साथ ही उसने यह भी नहीं बताया है कि नामांकन किस कोटे से किया गया है। छात्रों का कहना है कि इंट्रेंस बोर्ड ने अपने विज्ञापन में छह सीटें खाली होने की बात कही है। जव वे लोग मेडिकल कॉलेज गये तो उन्हें आज-कल कर टाला जाता रहा। छात्रों के अनुसार, सरकारी कोटे से 50 फीसदी छात्रों का नामांकन अनिवार्य है। प्रधान सचिव से जवाब तलब पटना (एसएनबी)। चयन के बावजूद सिपाही के पद पर नियुक्ति नहीं करने के मामले में पटना उच्च न्यायालय ने गृह विभाग के प्रधान सचिव से जवाब तलब किया है। न्यायमूर्ति पीसी वर्मा व न्यायमूर्ति एके त्रिवेदी की पीठ ने उनसे इस मुद्दे पर जवाब देने को कहते हुए सुनवाई 27 जून के लिए स्थगित कर दी है। न्यायालय ने सरकार से यह भी कहा है कि वह याचिकाकर्ता के लिए पद आरक्षित रखे और चयन संबंधी रिकार्ड भी पेश करे। प्रिंस कुमार ने याचिका दाखिल कर कहा है कि सरकार ने उसे पत्र भेजकर सिपाही के पद पर चयन कर लेने की बात कही थी और सभी सार्टिफिकेट पेश करने को कहा था। उसने अपना सभी सार्टिफिकेट जमा कर दिया था। उसके बाद भी न तो उसका योगदान लिया गया और न ही सर्टिफिकेट लौटाया गया। जब भी उसने पूछताछ की तो उसे आजकल का झांसा दिया जाता रहा। आरोपित को जमानत नहीं पटना (एसएनबी)। फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी पाने के आरोपी भारतीय खाद्य निगम के सहायक महाप्रबंधक मनोज कुमार को अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया। वे 4 अप्रैल से न्यायिक हिरासत में हैं। पटना व्यवहार न्यायालय के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बीके जैन ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। मनोज कुमार ने सारण समाहरणालय से 10 अक्टूबर 1983 को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र लिया था। वे इस प्रमाण पत्र के आधार पर भारतीय खाद्य निगम में सहायक महाप्रबंधक के पद पर बहाल हुए थे। उनकी पदस्थापना पटना में हुई थी। वर्तमान में वे रांची में पदस्थापित थे। जांच के बाद उनका जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया था(राष्ट्रीय सहारा,पटना,25.6.11)।

बिहारः11 जुलाई से मिलेंगे शिक्षक परीक्षा फॉर्म

Posted: 25 Jun 2011 11:11 AM PDT

राज्य में होने वाले शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए मानव संसाधन विकास विभाग ने आवेदन बिक्री और जमा करने के कार्यक्रम की तिथि को फिर बढ़ा दी है। अब नये कार्यक्रम के अनुसार अब 11 जुलाई से 24 जुलाई तक आवेदन फार्म बिक्री की तिथि तय की गयी है। आवेदन 29 जुलाई से भरा जायेगा और इसके लिए दस दिनों तक समय दिया जायेगा। शुक्रवार को राज्य भर के जिला शिक्षा पदाधिकारियों और क्षेत्र उप शिक्षा निदेशकों की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक की अध्यक्षता मानव संसाधन विकास मंत्री पीके शाही ने की। इस मौके पर प्रधान शिक्षा सचिव अंजनी कुमार सिंह सहित मुख्यालय के कई अधिकारी उपस्थित थे। मालूम हो कि पहले एक जुलाई से चौदह जुलाई तक राज्य के अनुमंडल से लेकर जिलों में बनाये गये काउन्टरों पर आवेदन पत्र बांटने की घोषणा की गयी थी। परीक्षा की तिथि बाद में घोषित की जायेगी। परीक्षा एक से अधिक चरणों में लिये जाने की संभावना है। इसके लिए सभी पदाधिकारियों को अपने-अपने जिले में परीक्षा आयोजित किये जाने से संबंधित स्थान का आकंलन कर विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। इस बार आवेदन के रंग भी अलग-अलग तरह के होंगे। जिससे आवेदन की छंटनी और वितरण में परेशानी न हो। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि पहले से ड्रॉफ्ट बना चुके अभ्यर्थियों के आवेदन उसी ड्राफ्ट के आधार पर दिये जायेंगे। वैसे सरकार ने आवेदन को नकद आधार पर देने की व्यवस्था की है। मालूम हो कि बिहार प्रारंभिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए परीक्षा आवेदन पत्र और सूचना बुलेटिन का वितरण कार्य शुरू किया गया था। परंतु जिलों में आवेदन पत्र प्राप्त करने हेतु अनुमान से अधिक संख्या में आवेदकों के आने के कारण आवेदन फॉम वितरण में कठिनाई हुई। इस कारण इस प्रक्रिया को तत्काल स्थगित कर दिया गया(राष्ट्रीय सहारा,पटना,25.6.11)।

पटना विवि के तीन कॉलेजों में बढ़ी आवेदन की तिथि

Posted: 25 Jun 2011 11:08 AM PDT

पटना विविद्यालय में सीटों की बढ़ोत्तरी के बाद छात्रों के आवेदन की तिथि बढ़ाने की मांग को मान ली गई है। लेकिन अभी इसे पटना विविद्यालय सिर्फ तीन कॉलेजों में लागू किया गया है। बीएन कॉलेज, वाणिज्य कॉलेज व साइंस कॉलेज में स्नातक में नामांकन के लिए आवेदन की तिथि बढ़ाकर 28 जून कर दी गई है। बाकी कॉलेजों 22 जून को ही आवेदन की तिथि समाप्त हो गई है। सिर्फ पटना कॉलेज में शनिवार तक आवेदन किया जा सकेगा। पटना विविद्यालय में सीटों की संख्या बढ़ने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि स्नातक में भी फॉर्म भरने की तिथि में बढ़ोत्तरी की जायेगी। हालांकि इसकी कोई भी औपचारिक घोषणा नहीं की गई थी। शुक्रवार विवि की ओर से इसकी घोषणा कर दी गई। पटना विविद्यालय में सीटें बढ़ाने की घोषणा के बाद से ही लगातार छात्र आवेदन तिथि बढ़ाने की मांग कर रहे थे। हालांकि पटना कॉलेज में फॉर्म भरने की अंतिम तिथि पहले से ही 25 जून तय थी। पटना विविद्यालय के कॉलेजों में 27 जून से कॅट ऑफ लिस्ट जारी होनी है। विवि में सीटों की संख्या दोगुनी होने की वजह से नामांकन के लिए आवेदन के समय व मेरिट लिस्ट आदि में बदलाव आने की उम्मीद की जा रही है। हालांकि कि पटना वीमेंस कॉलेज ने कट ऑफ लिस्ट पहले ही जारी कर दी है। अब यह देखना है कि सीटें बढ़ने के बाद पटना वीमेंस कॉलेज अपने मेरिट लिस्ट में कोई बदलाव करना है अथवा नहीं। मगध विविद्यालय में 30 जून तक फॉर्म भरे जा सकते हैं। जेडी वीमेंस कॉलेज में 30 जून तक फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि है। कट ऑफ लिस्ट पांच जुलाई को जारी किया जायेगा। छह जुलाई से यहां से नामांकन शुरू हो जायेगा। वहीं एएन कॉलेज में भी 30 जून तक फॉर्म भरे जाएंगे(राष्ट्रीयसहारा,पटना,25.6.11)।

यूपीःअक्टूबर से बेरोज़गारों का पंजीयन ऑनलाइन

Posted: 25 Jun 2011 11:02 AM PDT

सेवायोजन कार्यालय में पंजीयन कराने के लिए अब आपको सेवायोजन दफ्तर में लाइन नहीं लगानी होगी। यह संभव होगा प्रशिक्षण एवं सेवायोजन विभाग द्वारा बनाए जा रहे वेबपोर्टल से। यह जानकारी महानिदेशक सेवायोजन एवं प्रशिक्षण शारदा प्रसाद ने दी। वह शुक्रवार को कानपुर रोड के एक निजी होटल में आयोजित 37 वीं वर्किंग ग्रुप कमेटी की दो दिवसीय बैठक के समापन के बाद पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहाकि विभाग की ओर से देश के सभी 1100 सेवायोजन कार्यालयों को वेब पोर्टल के तहत ऑनलाइन कर दिया जाएगा। इससे न केवल बेरोजगार कहीं से भी अपना पंजीयन करा सकेंगे बल्कि नौकरी के लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर सकेंगे। अक्टूबर के अंत तक वेब पोर्टल बनकर तैयार हो जाएगा। उन्होंने कहाकि आने वाले समय में तकनीकी योग्यता रखने वाले लोगों मांग बढ़ेगी। इसे ध्यान में रखते हुए देश में 1500 नई आइटीआइ और 50 हजार स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहाकि रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना अधिनियम-1959 में संशोधन किया जाएगा। अब रिक्तियों की सूचना न देने वाले सेवायोजकों पर 500 के बजाय 5000 से पांच लाख तक का जुर्माना वसूला जाएगा। फिर शुरू होगी एमइएस योजना कम पढ़े लिखे लोगों को तकनीकी प्रशिक्षण देकर रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध कराने की केंद्र सरकार की मॉड्यूलर इम्प्लाबल स्किल्ड योजना प्रदेश में फिर शुरू होगी। सेवायोजन एवं प्रशिक्षण निदेशक अनिल कुमार ने बताया कि स्थगित चल रही योजना को फिर से शुरू करने के लिए समिति का गठन कर दिया गया है। अगले दो महीने में प्रदेश में योजना फिर से शुरू हो जाएगी(दैनिक जागरण,लखनऊ,25.6.11)।

लखनऊ में खुला पहला कम्युनिटी कॉलेज

Posted: 25 Jun 2011 11:00 AM PDT

कम फीस में रोजगारपरक कोर्स करने की चाहत रखने वाले विद्यार्थियों के लिए खुशखबरी है। राजधानी में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विवि के पहले कम्युनिटी कॉलेज की शुरूआत हो चुकी है। शहर में इकबाल नारायण कम्युनिटी कॉलेज के रूप में इग्नू का पहला यह संस्थान है। कॉलेज में 45 रोजगारपरक कार्यक्रम संचालित होंगे। शुक्रवार को कॉलेज प्रशासन ने प्रेसवार्ता के दौरान कोर्सो के बारे में जानकारी दी। कॉलेज के प्रोजेक्ट निदेशक मनमीत सिंह ने बताया कि कॉलेज में संचालित कोर्स तीन श्रेणियों सर्टीफिकेट, डिप्लोमा व एसोसिएट डिग्री के रूप में विभक्त होंगे। इग्नू ने कम्युनिटी कॉलेज की शुरूआत समय की मांग के अनुसार रोजगारपरक पाठ्यक्रम पढ़ाने के लिए की है। यह कोर्स विश्र्वविद्यालय में चलने वाले परांपरागत पाठ्यक्रमों से भिन्न होंगे। वर्षा जल संचयन, रिटेल मैनेजमेंट, सौर्य ऊर्जा व एनिमेशन जैसे कोर्स रोजगारपरक कोर्सो का संचालन इन कम्युनिटी कॉलेज में होगा। कम्युनिटी कॉलेजों का संचालन तो स्थानीय निकाय करेगा लेकिन नियंत्रण इग्नू का ही होगा। संस्थान के प्रोजेक्ट निदेशक ने कहा कि कम फीस में यह कोर्स करने के बाद कोई भी व्यक्ति बेहतर रोजगार पा सकते हैं। ज्ञापन तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने की मांग को लेकर तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति ने शुक्रवार को माध्यमिक शिक्षा निदेशक को ज्ञापन सौंपा। संगठन के अध्यक्ष प्रवीण द्विवेदी ने बताया कि प्रदेश में करीब बीस हजार तदर्थ शिक्षक कई वर्षो से विनियमित होने की राह देख रहे हैं(दैनिक जागरण,दिल्ली,25.6.11)

हिमाचलःशैक्षणिक सत्र के बीच खाली नहीं होगा कर्मचारियों का आवास

Posted: 25 Jun 2011 10:53 AM PDT

सरकारी आवास की सुविधा ले रहे प्रदेश के कर्मचारी वर्ग के लिए अच्छी सूचना है। सरकार ने आवास आवंटन नीति में 13 साल के बाद बदलाव किया ह। इससे पूर्व 27 अप्रैल 1998 को इस नीति में बदलाव किया गया था। नई नीति के अनुसार अब शैक्षणिक सत्र के बीच में सरकारी आवास खाली नहीं करना पड़ेगा। सूत्रों के मुताबिक यदि किसी कर्मचारी का शैक्षणिक सत्र व सेमेस्टर के दौरान तबादला होता है और संबधित कर्मचारी को सरकारी आवास का आवंटन हुआ है तो उससे वह खाली नहीं करवाया जाएगा। इतना ही नहीं यह सुविधा उन कर्मचारियों को भी मिलेगी जो रिटायर हो रहे हैं। इस बाबत सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसमें कहा गया है कि इसके लिए पहले मुख्य सचिव के पास सरकारी आवास के रिटेंशन में एक्सटेंशन प्रदान की शक्तियां होती थी, वहीं अब इसके लिए संबधित विभाग के सचिव व विभागाध्यक्षों को अधिकृत किया गया है। पहले विशेष परिस्थितियों में अधिकांश तौर पर यह एक्सटेंशन छह माह के लिए केवल मुख्य सचिव द्वारा ही प्रदान की जाती रही है। अब विभागीय सचिव व विभागाध्यक्ष को यह शक्ति दी गई है। दूसरा बदलाव यह किया गया है कि यदि नई नीति में कोई सामान्य पूल आवास के तहत सरकारी आवास रखना चाहता है तो उसे निर्धारित सामान्य लाइसेंस शुल्क का चार गुणा अदा करना पड़ेगा। चालू शैक्षणिक सत्र की अवधि पूरी होने तक वह अपने पास सरकारी आवास रख सकता है। सामान्य प्रशासन विभाग के हवाले से जारी अधिसूचना में सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, विभागाध्यक्ष, समस्त उपायुक्त व निदेशक (संपदा) को भी निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि सरकारी आवास आवंटन नीति में किए बदलाव पर तत्काल प्रभाव से अमल किया जाए(दैनिक जागरण,शिमला,25.6.11)।

चंडीगढ़ःबचपन में ही बन रहे हैं बैचलर ऑफ एटिकेट

Posted: 25 Jun 2011 10:25 AM PDT

शहर में ऐसे कई फिनिशिंग स्कूल चल रहे हैं जो बच्चों को डायनिंग टेबल से लेकर ड्राइंग रूम तक के सलीके सिखा रहे हैं। उन्हें बता रहे हैं कि किससे, कब और कैसे बिहेव करना है। मगर कितना सही या गलत है बचपन में बच्चों पर एटिकेट का पाठ पढ़ाना, एकता सिन्हा की रिपोर्ट:

आए दिन अखबार में किसी न किसी इंस्टिट्यूट का पैंफलेट घर पहुंच ही जाता है। इनमें सबसे ज्यादा होते हैं पर्सनैलिटी डिवेलपमेंट और एटिकेट सिखाने वाले इंस्टिट्यूट। बचपन संवारने की पाठशाला के पीछे हर किसी की अपनी कहानी है। सेक्टर-23 में 'कुटलेहर इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोटोकॉल एंड एटिकेट' चला रहीं ओमकारेश्वरी पाल की भी इसे खोलने की अपनी वजह है।

वह कहती हैं, 'एक दिन रेस्त्रां में बैठे बच्चे और उसकी फैमिली को देखा। मां अपने चार साल के बच्चे पर ध्यान नहीं दे रही थी। बच्च बार-बार सवाल पूछ रहा था और मां उसे नजरअंदाज कर दूसरों के साथ गप्पें मारने में व्यस्त थी। जैसे ही उनका खाना खत्म हुआ टेबल पर फिंगर बॉउल आया। बच्चे ने पहले की तरह फिर पूछा, यह क्या है? मां से जवाब नहीं मिला तो बच्चा उसे उठाकर पीने लगा। यह देखकर मां को शर्म आ गई और वह उसे डांटने लगी। उस दिन मुझे लगा कि बच्चों को इस ट्रेनिंग की जरूरत है।'


अब बचपन की हरकतें नहीं 

सेक्टर-18 में रहने वाली रमनीक सिद्धू अपने दोनों बच्चों को विदेश पढ़ने भेजना चाहती हैं। इसलिए रेस्त्रां में नैपकीन के यूज से लेकर वेटर से बात करने और हैंड शेक करने के तरीके तक बताने में जुटी हैं सिद्धू। वह कहती हैं, 'वैसे तो बच्चे स्मार्ट हैं मगर मगर मैंने उन्हें सोशलाइज होने के लिए एटिकेट स्कूल में भेजा है।' फिनिशिंग स्कूल जाने वाली 12 साल की अनायना को यह स्कूल बोरिंग नहीं लगता है। 

वह कहती हैं, 'पहले सबके सामने बोलने में झिझक थी। मगर अब मुझे पता है कि क्या बोलना है और कितना बोलना है। अब मैं न केवल नाइफ एंड फोक बल्कि चॉपस्टिक यूज करना सीख गई हूं।' वहीं नौ साल के कुं वर अभिराज ने फिनिशिंग स्कूल जाकर रेस्त्रां में हैंकी यूज करना और टेलीफोन पर बात करना सीखा है। सात साल का रोहन पिछले एक साल से फिनिशिंग स्कूल जा रहा है। वह कहता है, 'पहले मैं बेड पर कूदता और कारपेट खराब कर देता था। अब यहां आकर पता चल गया है कि इन हरकतों से मम्मा को कितनी प्रॉब्लम होती है।'

माहौल सिखाता है बहुत कुछ 

ओमकारेश्वरी कहती हैं कि पेरंट्स भी बच्चों को मैनर्स सिखा सकते हैं। मगर वे उतना ही सिखा पाएंगे जितना वे खुद जानते हैं। 'जब डर होता तो गलतियां भी सौ होती हैं। ऐसे में ये स्कूल बच्चे को इस डर से मुक्त करते हैं। मैनर्स का मतलब सिर्फ फोर्क से खाना ही नहीं है, अगर कॉन्फिडेंस के साथ हाथ से भी खा रहे हैं तो वह मैनर्स ही हैं।' इस बात पर सहमति जताते हुए सेक्टर-18 में 'मेक लिटिल एंजेल सोशलाइज' की सुरेखा गुलाटी भी कहती हैं, 'अब बच्चे भी स्मार्ट हो गए हैं। 

उन्हें भी पता है कि पार्टी या किसी फंक्शन में जाकर कैसे बिहेव करना है। मगर कुछ पेरंट्स के पास टाइम की कमी तो कहीं नॉलेज कम है। इसलिए उन्हें बच्चों को ऐसी जगह भेजना पड़ता है जहां मैनर्स सिखाए जाएं। कई लोग यह भी कहते हैं कि यहां ऐसा क्या सिखाया जाता है जो बच्च घर पर नहीं सीख सकता। खास कुछ नहीं है बस एक माहौल है जिसमें यहां बच्च जल्दी चीजों को सीख जाता है।'

सोसाइटी का प्रेशर इतना है कि पेरंट्स सोचते हैं कि अगर उनका बच्च फिनिशिंग स्कूल नहीं गया तो पिछड़ जाएगा। इसलिए ऐसे स्कूल भी आ गए हैं जहां छह-सात महीने के बच्चों को भी सोशलाइज किया जाता है।

शेरी सभरवाल, सोशल साइंटिस्ट

बच्चों को रॉबोट की तरह आदेश मानने के लिए तैयार करना सही नहीं है। यहां बच्चों को इमोशंस को काबू करना या कहें कि इमोशंस को मारना सिखाया जा रहा है। 

गौरव, सोशल साइंटिस्ट, पीयू(दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,25.6.11)

हिमाचलःजाति से नहीं,नाम से होगी पुलिसकर्मियों की पहचान

Posted: 25 Jun 2011 10:19 AM PDT

देवभूमि हिमाचल के पुलिस महकमे में अब मुलाजिमों की जाति से नहीं बल्कि नाम से पहचान होगी। विभाग ने अनूठी पहल करते हुए इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। इसमें कहा गया है कि विभागीय कर्मचारियों व अधिकारियों में टीम भावना जागृत करने के ध्येय से यह फैसला किया गया है। एआइजी पुलिस मुख्यालय बृज मोहन ने इस बारे में दिशानिर्देश जारी करते हुए बताया कि पुलिस अधिकारी और कर्मचारी एक-दूसरे से सरकारी व औपचारिक संवाद करते हुए धर्म, जाति व उपनाम का प्रयोग नहीं करेंगे। विभाग ने प्रदेश के सभी अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि वे अधीनस्थ कर्मचारियों को इस नियम का पालन करने व धर्म, जाति या उपनाम का प्रयोग न करने के बारे में जागरूक करें(दैनिक जागरण,शिमला,25.6.11)।

छत्तीसगढ़ःशिक्षाकर्मी भर्ती से पहले अचानक बढ़ गए बहरे

Posted: 25 Jun 2011 10:05 AM PDT

नौकरी की चाहत लोगों से क्या-क्या करा सकती है, यह शिक्षाकर्मी भर्ती में नजर आ रहा है। प्रक्रिया में विकलांगों के लिए अलग कोटा के साथ बोनस नंबर भी हैं। इसका बेजा फायदा उठाने के लिए फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाने वालों का गिरोह सक्रिय हो गया है।

बहरेपन का सर्टिफिकेट इसके लिए सबसे आसान रास्ता है। पिछले छह महीनों में ही 311 लोगों ने ईएनटी हैंडीकैप का सर्टिफिकेट लिया है। इनमंे से कई प्रमाण पत्र संदेह के दायरे मंे हैं।

शिक्षाकर्मी भर्ती प्रक्रिया शुरू होते ही विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाने वालों की संख्या अचानक कई गुना बढ़ गई है। जनवरी से अब तक 1804 लोगों को जिला अस्पताल से विकलांगता प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। इनमें से 1286 लोगों ने अस्थि विकलांग, 123 लोगों ने दृष्टि बाधित, 84 लोगों ने मंद बुद्धि और 311 लोगों ने ईएनटी (कान, नाक, गला) विकलांगता का प्रमाण पत्र बनवाया है।

अब भी इसके लिए ढेरों आवेदन आ रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि कई ऐसे लोग भी प्रमाण पत्र लेने की कोशिश में हैं, जो किसी भी तरह से विकलांग नहीं हैं। कई ने तो यह प्रमाण पत्र हासिल भी कर लिया है। असल वजह यह है कि शिक्षाकर्मियों की थोक में हो रही भर्ती में विकलांगों को बोनस नंबर दिए जा रहे हैं।

नौकरी पाने के लिए बेरोजगार अब फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर शार्टकट रास्ता भी अख्तियार कर रहे हैं। अब तक शिक्षाकर्मी भर्ती में फर्जी मार्कशीट, अनुभव प्रमाण पत्र और डीएड-बीएड डिग्री के मामले सामने आते रहे हैं।


अब बेरोजगार विकलांगता का रास्ता अपनाकर नौकरी पाने की जुगत में हैं। जिला पुनर्वास केंद्र में जांच करवाने के लिए बिलासपुर के अलावा दूसरे जिलों के लोग भी पहुंच रहे हैं। जांजगीर-चांपा, कोरबा, रायगढ़ समेत कई जिलों के लोग यहां जांच करवा रहे हैं। 

जांच और कार्रवाई दोनों मुश्किल

फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र हासिल करने के इस रैकेट का पता लगाना काफी मुश्किल है। हाथ-पैर या दिमागी विकलांगता के बारे में किसी को देखकर ही पता लगाया जा सकता है, पर किसी को कुछ सुनाई दे रहा है या नहीं, यह पता करना काफी मुश्किल है। 

दूसरी तरफ प्रमाण पत्र हासिल करने वाले कई लोग वाकई में विकलांग हैं। अगर श्रवण बाधितों को मिलने वाली सुविधाएं बंद की जाएं, तो उन्हें बेवजह नुकसान होगा। इसे देखते हुए कोई सीधी कार्रवाई भी नहीं की जा सकती। मामले की शिकायत अफसरों तक भी पहुंची है। अफसर भी उधेड़बुन में हैं कि मामले में कैसे कदम उठाएं।

ऐसे होती है चालाकी

मशीन के दो ईयरफोन कान में लगा दिए जाते हैं। फिर चेक करने वाले माइक से कुछ बोलते हैं। आवेदक से पूछा जाता है कि उन्होंने क्या सुना? अलग-अलग फ्रिक्वेंसी में यह टेस्ट किया जाता है। फर्जी प्रमाण पत्र हासिल करने पहुंचे लोग यहीं चालाकी करते हैं। वे बार-बार कुछ सुनाई नहीं देने का बहाना करते हैं। 

इससे इसी आधार पर उन्हें बहरेपन की टेस्ट रिपोर्ट मिल जाती है और इसे दिखाकर जिला अस्पताल से डॉक्टर का मेडिकल सर्टिफिकेट भी मिल जाता है। छह महीनों में 322 लोगों ने श्रवण बाधित विकलांगता के लिए जिला पुनर्वास केंद्र में अपनी जांच करवाई है। इनमें से 311 लोगों को प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए। 

"हम पूरी सावधानी से ऑडियोमेटरी मशीन के माध्यम से श्रवण शक्ति की जांच की जाती है। इत्मिनान होने के बाद ही संबंधित व्यक्ति को टेस्ट रिपोर्ट दी जाती है। "

वीके सिंह, विशेष शिक्षक जिला पुनर्वास केंद्र

"श्रवण बाधित विकलांगता प्रमाण पत्र जिला पुनर्वास केंद्र से मिली टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर जारी किए जाते हैं।"

डा. बीआर नंदा, सिविल सर्जन जिला अस्पताल

निजी केंद्रों की टेस्ट रिपोर्ट भी चलती है

श्रवण बाधित विकलांगता प्रमाण पत्र के मामले में एक घालमेल ये भी है कि कुछ निजी सेंटर भी ऑडियोमेटरी मशीन के माध्यम से जांच कर टेस्ट रिपोर्ट देते हैं। निजी सेंटर द्वारा जारी इस रिपोर्ट के आधार पर भी जिला अस्पताल से विकलांगता प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं। ऐसे में जाहिर है कि प्रमाण-पत्र बनाने में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी होती है। 

ईएनटी में बड़ा खेल

फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र का असली खेल ईएनटी (कान, नाक, गला) में होता है, खासकर बहरेपन में। बाकी श्रेणियों में विकलांगता दिखती है, पर बहरेपन की जांच के लिए कोई निश्चित पैमाना नहीं है। इसकी जांच ऑडियोमीटर मशीन से होती है। जिला पुनर्वास केंद्र में लगी इस मशीन से जांच होती है कि आवेदक कितना बहरा है। 

पकड़ें भी तो कैसे?

विकलांग प्रमाण पत्र के लिए बहरा बनना जितना आसान है, उतना ही कठिन इस फर्जीवाड़े को पकड़ना है। जिला पंचायत दूसरे प्रमाण पत्रों की तरह विकलांग प्रमाण पत्र को भी जांच के लिए भेजता है। यह प्रमाण पत्र उसी संस्थान और उन्हीं अधिकारियों के पास पहुंचता है, जो लेनदेन कर इसे जारी करते हैं। ऐसे में प्रमाण पत्र के फर्जीवाड़े के खुलासे की उम्मीद बेमानी ही है। 

अगर किसी दूसरी एजेंसी से भी जांच कराई जाए तो भी प्रमाण पत्र को झुठलाना टेढ़ी खीर है। दरअसल जांच का वही पुराना तरीका है, जिसमें परिणाम अपने आपको बहरा बताने वाले पर ही निर्भर करता है। बहरे आदमी के कान में मशीन ईयर फोन लगाया जाता है। 

विशेष मशीन से जुड़े इस ईयरफोन का वाल्यूम तब तक बढ़ाया जाता है, जब तक उसे सुनाई न पड़े। जितना ज्यादा वाल्यूम होगा, बहरेपन का प्रतिशत भी उतना ही अधिक होगा। यही वजह है कि बहरेपन का खेल बिना किसी रोक-टोक के फल-फूल रहा है(यासीन अंसारी,दैनिक भास्कर,बिलासपुर,25.6.11)।

मारवाड़ी है आठ करोड़ लोगों की भाषा

Posted: 25 Jun 2011 09:37 AM PDT

अमेरिका के प्रेजिडेंशियल हाउस की ओर से मारवाड़ी को अंतरराष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने को पद्मश्री डॉ चंद्र प्रकाश देवल ने 'दुनिया भर में आठ करोड़ लोगों की भाषा को मान्यता' बताया है।

भास्कर से इस संबंध में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसा देश ज्ञान के सारे मार्ग अपनी ओर खोल लेना चाहता है। मीरां जैसी महान कवयित्री के ज्ञान का मार्ग राजस्थानी भी उनमें से एक है। दुनिया भर में आठ करोड़ से अधिक लोगों की भाषा राजस्थानी के माध्यम से वह हजार साल से अधिक पुरानी एक समृद्ध परंपरा से खुद को जोड़ना चाहता है।


दूसरी ओर ठीक उलट हमारे देश में ज्ञान के ऐसे सारे मार्ग बंद किए जा रहे हैं। रामचरित मानस की भाषा अवधि, सूरदास की भाषा ब्रज के अलावा भोजपुरी जैसी भाषाओं के साथ न्याय नहीं किया जा रहा। इन भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल न कर हमारी उन्नति के मार्ग में अवरोध पैदा किए जा रहे हैं।
इस विषय पर शहर के साहित्यकारों और राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति ने भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

हमारी सरकार है असंवेदनशील

अमेरिकी राष्ट्रपति भवन में मारवाड़ी को अंतरराष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिलना एक सुखद घटना है। उन्हें हमारी समृद्ध परंपराओं का अहसास है, तभी यह महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति हमारी सरकार की है जो मामले में अभी भी असंवेदनशील है। इस कारण राजस्थान की युवा पीढ़ी बड़ा नुकसान उठा रही है। जनप्रतिनिधियों को आगे आना चाहिए। 
डॉ विनोद सोमानी, साहित्यकार

कंप्यूटर की भाषा बनाना होगा

भाषा की मान्यता के लिए हम सरकार या राजनीतिज्ञों की ओर देखें ही क्यों? सवाल यह है कि हम दुनिया भर में फैले आठ करोड़ राजस्थानी लोग अपनी लोक भाषा का कंप्यूटर युग में तालमेल बिठाने के लिए क्या कर रहे हैं। इसे आपसी संप्रेषण का माध्यम बनाते हुए हमें इसे आज की तकनीक की भाषा बनाना होगा। एक व्यावहारिक पहल करनी होगी। - बख्शीश सिंह, साहित्यकार

यह व्हाइट हाउस की जरूरत

दुनिया की सबसे बड़ी ताकत ने बाजारवाद के चलते व्यावहारिक सत्ता को सामने रख कर एक बड़ा कदम उठाया है। यह व्हाइट हाउस की जरूरत है। मारवाड़ी को उसने उपयोगिता के आधार पर परखा है। वह हमारी ताकत का उपयोग करेगा। हमारी राजनीतिक सत्ता यह नहीं समझेगी। नई पीढ़ी सोशल नेटवर्किग साइट जैसे साधनों से राजस्थानी को आगे बढ़ाए।
रासबिहारी गौड़, हास्य कवि(दैनिक भास्कर,अजमेर,25.6.11)

डीयू की थर्ड लिस्ट: कॉमर्स के ऑप्शन होंगे कम

Posted: 25 Jun 2011 09:59 AM PDT

डीयू में सेकंड एडमिशन लिस्ट के एडमिशन शनिवार तक होने हैं और थर्ड लिस्ट की तस्वीर भी करीब- करीब साफ हो गई है। थर्ड एडमिशन लिस्ट में कुछ ही कॉलेज ऐसे होंगे, जहां पर कॉमर्स कोसेर्ज में एडमिशन ओपन रहेंगे वहीं आर्ट कोसेर्ज में स्टूडेंट्स के पास ज्यादा ऑप्शन होंगे। कॉलेजों में साइंस के जनरल कोसेर्ज में एडमिशन का चांस भी थर्ड लिस्ट में मिलेगा।

कैंपस के किरोड़ीमल कॉलेज और हंसराज कॉलेज में बीकॉम ऑनर्स कोर्स में एडमिशन का चांस स्टूडेंट्स को अगली लिस्ट में मिलेगा लेकिन आउट ऑफ कैंपस के काफी कॉलेजों में बीकॉम ऑनर्स के दरवाजे बंद हो गए हैं। यहां तक कि ईवनिंग कॉलेजों में भी बीकॉम ऑनर्स कोर्स स्टूडेंट्स की पहली चॉइस बनकर उभरा है और कई ईवनिंग कॉलेजों में भी कॉमर्स कोसेर्ज में एडमिशन क्लोज नजर आएंगे।

वहीं ज्यादातर कॉलेजों में हिंदी ऑनर्स व संस्कृत ऑनर्स में एडमिशन ओपन रहेंगे। जिन 21 कॉलेजों में केट के बेस पर इंग्लिश ऑनर्स कोर्स में एडमिशन हो रहा है, उनमें से काफी कॉलेजों की थर्ड लिस्ट आएगी। केट कॉलेजों में शहीद भगत सिंह कॉलेज, जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज, राजधानी कॉलेज, किरोड़ीमल कॉलेज, सत्यवती ईवनिंग कॉलेज समेत कई जगह इंग्लिश ऑनर्स कोर्स में एडमिशन जारी रहने के पूरे चांस हैं। साउथ कैंपस के श्री वेंकेटेश्वर कॉलेज में बीकॉम ऑनर्स, बीकॉम में एडमिशन ओपन रहेंगे। 


किरोड़ीमल कॉलेज में अभी बीकॉम ऑनर्स कोर्स में एडमिशन ठीक से शुरू भी नहीं हो पाए हैं। दरअसल कॉलेज ने अपनी दूसरी कट ऑफ 95.50 रखी है और इस कट ऑफ पर हिंदू कॉलेज में एडमिशन हो चुके हैं। केएमसी में सेकंड लिस्ट के बेस पर बीकॉम ऑनर्स में अभी तक जनरल कैटिगरी में सिर्फ पांच एडमिशन हुए हैं और बीकॉम में 25 एडमिशन हुए हैं। 

यानी इन दोनों टॉप कोसेर्ज की थर्ड लिस्ट भी इस कॉलेज में आएगी, अब यह देखना दिलचस्प रहेगा कि कॉलेज थर्ड लिस्ट में कितने पर्सेंट की कमी करता है। केएमसी में इंग्लिश ऑनर्स की तीसरी लिस्ट भी आ सकती है जबकि बाकी कोसेर्ज में एडमिशन करीब- करीब पूरे हो चुके हैं। 

हंसराज कॉलेज में इकनॉमिक्स ऑनर्स, बीकॉम ऑनर्स, फिजिक्स ऑनर्स व केमिस्ट्री ऑनर्स की थर्ड लिस्ट आने की उम्मीद है। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. वी. के. क्वात्रा ने बताया कि फिजिक्स व केमिस्ट्री ऑनर्स की कट ऑफ में आधे पर्सेंट की गिरावट आ सकती है जबकि कॉमर्स कोसेर्ज में 0.25 की कमी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इकनॉमिक्स ऑनर्स में अभी जनरल कैटिगरी की करीब 20 सीटें बची हुई हैं। बीकॉम ऑनर्स में भी कुछ सीटें बाकी हैं। 

वहीं आउट ऑफ कैंपस के काफी कॉलेजों में बीकॉम ऑनर्स के काफी एडमिशन हो चुके हैं। दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, शिवाजी कॉलेज, दयाल सिंह कॉलेज, दयाल सिंह ईवनिंग कॉलेज, जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज, राजधानी कॉलेज, रामलाल आनंद कॉलेज में बीकॉम ऑनर्स की थर्ड लिस्ट नहीं आएगी। 

डीडीयू कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एस. के. गर्ग ने बताया कि फिजिक्स ऑनर्स व केमिस्ट्री ऑनर्स में तो 90-90 एडमिशन हो चुके हैं, जो सीटों से काफी ज्यादा हैं। इसी तरह से बीकॉम ऑनर्स में भी एडमिशन फुल हैं। जिन कोसेर्ज की थर्ड लिस्ट आएगी, उनमें बीएससी लाइफ साइंसेज, बीएससी फिजिकल साइंसेज, बॉटनी ऑनर्स और इलेक्ट्रॉनिक्स ऑनर्स शामिल हैं। हो सकता है कि बीए की भी लिस्ट आ जाए। 

शिवाजी कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. शशि निझावन ने बताया कि बीकॉम ऑनर्स व इंग्लिश ऑनर्स की थर्ड लिस्ट नहीं आएगी बल्कि हिंदी ऑनर्स, संस्कृत ऑनर्स व हिस्ट्री ऑनर्स कोसेर्ज में स्टूडेंट्स को आगे भी मौके मिलेंगे। रामलाल आनंद कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. विजय कुमार शर्मा ने बताया कि बीकॉम ऑनर्स में 77 सीटों पर 100 से अधिक एडमिशन हो गए हैं। कॉलेज में ओबीसी के अभी 30 पर्सेंट एडमिशन ही हुए हैं इसलिए ओबीसी कैंडिडेट के लिए एडमिशन थर्ड लिस्ट में भी जारी रहेंगे। 

जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज में इंग्लिश ऑनर्स, हिंदी ऑनर्स और संस्कृत ऑनर्स की थर्ड लिस्ट आएगी जबकि कॉमर्स कोसेर्ज के एडमिशन क्लोज हो जाएंगे। राजधानी कॉलेज में भी इंग्लिश ऑनर्स, हिंदी व संस्कृत की लिस्ट आएगी। 

दयाल सिंह कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आई. एस. बख्शी ने बताया कि हिंदी व हिस्ट्री ऑनर्स में ही स्टूडेंट्स को चांस मिल सकता है जबकि बाकी कोसेर्ज में कोई चांस नहीं है(भूपेंद्र,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,25.6.11)।


दैनिक जागरण की रिपोर्टः
डीयू की तीसरी कट ऑफ में सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए अब कॉलेज के कुछ ही कोर्सो में विकल्प नजर आएंगे। ओबीसी की सीटें खाली रहने से डीयू की तीसरी कट ऑफ में ओबीसी छात्रों की लॉटरी निकलनी तय है। जिन कॉलेजों ने दूसरी कट ऑफ में 10 फीसदी तक ओबीसी कोटे में छूट नहीं दी है, वे तीसरी कट ऑफ में ओबीसी छात्रों को पूरी छूट देने के मूड में हैं। जिससे कोटे की सीटों को फुल किया जा सके। नियमित सीटों से अधिक दाखिले होने पर कॉलेजों का अनुमान यह भी है कि तीसरी कट ऑफ में छात्रों को बेहतर विकल्प मिलेंगे तो करीब 20 फीसदी सीटें खाली हो जाएंगी। जिससे अतिरिक्त दाखिले के दबाव को मैनेज किया जा सकेगा। दयाल सिंह सांध्य कॉलेज के प्राचार्य डा. दीपक मल्होत्रा ने बताया कि उनके यहां 639 सीटें हैं और दाखिले 700 हो गए हैं। दरअसल बीकॉम में दूसरी कट ऑफ में कॉलेज ने 79 फीसदी से ऊपर की कट ऑफ निकाली। इसमें पहली कट ऑफ में आने वाले छात्रों को भी दाखिला मिल गया और 170 सीटों पर 210 दाखिले हो गए। बीए पास में 140 सीटों पर 200 दाखिले हो चुके हैं। कुछ कोर्सो में ओबीसी की सीटें खाली हैं। जिसके लिए तीसरी कट ऑफ में 10 फीसदी तक की छूट दी जाएगी। अनुमान है कि तीसरी कट ऑफ में कुछ छात्र दाखिला भी कैंसिल कराएंगे। जिससे कॉलेज में अतिरिक्त दाखिले का दबाव संतुलित हो जाएगा। भीम राव आंबेडकर कॉलेज के प्राचार्य डा. गुलजीत आरोड़ा ने बताया कि उनके यहां 872 सीटें हैं और दाखिले 257 ही हुए हैं। इसकी वजह कट ऑफ में ज्यादा गिरावट न होना है। कॉलेज में ओबीसी के दाखिले करीब 40 हुए हैं। तीसरी कट ऑफ में गिरावट के बाद दाखिले का रूझान बढे़गा। कमला नेहरू, रामजस, हंसराज और दौलत राम व अन्य कॉलेजों में हिंदी, संस्कृत और कुछ कोर्सो को छोड़कर लगभग सभी सीटों पर दाखिले फुल हो चुके हैं। ओबीसी में दाखिले के लिए यह तीसरी कट ऑफ जारी करेंगे। उम्मीद है कि दर्शनशास्त्र, हिंदी, संस्कृत एप्लाइड साइंस सहित कुछ और कोर्सो के लिए कॉलेज कट ऑफ निकालेंगे। 

छत्तीसगढ़ःपीएमटी पर्चा कांड में अटके सात परीक्षाओं के रिजल्ट

Posted: 25 Jun 2011 09:31 AM PDT

पीएमटी का पर्चा फूटने के बाद हुए बखेड़े से व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा आयोजित सात प्रवेश परीक्षाओं के नतीजे अटक गए हैं। मंडल के अधिकारी और कर्मचारियों का सारा ध्यान फिलहाल तीसरी बार आयोजित की जाने वाली पीएमटी पर है।

ऐसे में पीपीटी, पीएटी, बीएड, डीएड समेत सात परीक्षाओं के नतीजों का मामला ठंडे बस्ते में चला गया लगता है। इन चारों परीक्षाओं के मॉडल आंसर जारी करने के साथ दावा-आपत्ति बुलाने का काम पूरा हो चुका है। पर इनके नतीजे कब घोषित होंगे इसकी जानकारी फिलहाल किसी के पास नहीं है।

पीएमटी की नई तिथि की घोषणा भी टली :

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के दो दिवसीय प्रवास और मुख्यमंत्री के बेटे की शादी में अधिकारियों की व्यस्तता की वजह से पीएमटी की नई तारीख तय नहीं हो पा रही।

इस बात की संभावना है कि सोमवार को पीएमटी की तारीख की घोषणा हो सकती है। पीएमटी जुलाई के पहले पखवाड़े में 9 या 10 जुलाई को हो सकती है। पीएमटी की नई तारीख तय होते ही छात्रों के नए प्रवेश पत्र तैयार करने का काम शुरू हो जाएगा। परीक्षार्थियों को डाक से सारे प्रवेश पत्र भेजे जाएंगे।


नए परीक्षा नियंत्रक प्रदीप चौबे ने मंडल कर्मचारियों और प्रभारियों को सीआईडी और पुलिस विभाग को पूरा सहयोग करने को कहा है। उन्होंने मंडल के कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि दोनों विभागों की ओर से मांगे गए दस्तावेजों को तुरंत उपलब्ध करवाया जाए। 

दस्तावेज मांग की जाती है तो उसे तत्काल उपलब्ध करवाया जाए। जांच में किसी भी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

सीआईडी ने व्यापमं से लिए गोपनीय दस्तावेज

सीआईडी ने यूपी पीएससी का प्रश्नपत्र पीएमटी में पूछे जाने की जांच तेज कर दी है। इसी वजह से 11 मई को हुई पीएमटी को निरस्त करना पड़ा था। दूसरी बार पीएमटी के एक दिन पहले पर्चा फूट गया। सवाल हूबहू रिपीट किए जाने के मामले में सीआईडी मंडल से गोपनीय दस्तावेज जुटा रही है। 

जांच अधिकारी वीरेंद्र सतपथी परीक्षा कार्यो से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों के बयान लेने के साथ ही पर्चा सेट करने वाली कंपनी से संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं। सीआईडी ने व्यापमं से अनुबंध की प्रति हासिल कर ली है। इसके अलावा कंपनी ने अब तक जो सफाई दी है उन बिंदुओं की भी जांच की जा रही है(असगर खान,दैनिक भास्कर,रायपुर,25.6.11)।

डीयूःदाखिलों में दस्तावेज के नियम बने पहेली

Posted: 25 Jun 2011 09:22 AM PDT

डीयू में जारी दाखिले की दौड़ में कॉलेजों की ओर से जरूरी दस्तावेजों को लेकर अपनाए जा रहे नियम अपने आप में पहेली बने हुए हैं। किसी कॉलेज की स्थिति यह है कि यहां बिना माइग्रेशन सर्टिफिकेट के दाखिला सम्भव नहीं है तो कहीं दस्तावेज दिखाने भर से दाखिला सुनिश्चित हो जा रहा है।

आलम यह है कि दाखिले की दौड़ में जहां छात्र सीट सुरक्षित करने में जुटे हैं, वहीं इन कॉलेजों को आखिर तक पता नहीं होगा कि उनके यहां दाखिला लेने वाला छात्र रहेगा भी या फिर छोड़ जाएगा।

श्री अरविदो कॉलेज ऐसे कॉलेजों में शामिल है, जहां दाखिले के लिए पहुंच रहे छात्रों के दस्तावेजों की जांच कर उनकी स्वयं सत्यापित फोटोकॉपी जमा की जा रही है और मूल दस्तावेज लौटा दिए जा रहे हैं।

ऐसे में जब मूल दस्तावेज वापस लेकर लौट रहे छात्रों के कहीं ओर दाखिला लेने की सम्भावना के विषय में कॉलेज ग्रीवांस कमेटी की सदस्य डॉ. अपराजिता चौहान से पूछा गया तो उनका कहना था कि ऐसी सूरत में हमें पता नहीं चलेगा कि छात्र ने कॉलेज में नए सत्र में पढ़ेगा या नहीं।

उन्होंने कहा कि यदि मूल दस्तावेज जमा कर लेते हैं तो ऐसा करने पर जब भी छात्र कटऑफ में राहत मिलने पर किसी अन्य कॉलेज का रुख करेगा तो वह हमें सूचित करेगा कि वह दाखिला रद्द कराना चाहता है और इस तरह खाली होने वाली सीट को समय रहते भर पाना मुमकिन होगा।

कुछ ऐसा ही कहना सत्यवती कॉलेज की ग्रीवांस कमेटी के सदस्य राजेन्द्र राठौर का भी है, लेकिन जब उनसे पूछा गया कि दाखिला प्रक्रिया खत्म होने के बाद यदि पता चला कि उनके यहां से छात्रों ने कहीं ओर दाखिला लेने के चलते सीट खाली की है तो उनका जवाब था कि इस तरह की परेशानी से निपटने के लिए हम पहले ही हर पाठ्यक्रम मंे 10 से 15 दाखिले अतिरिक्त कर लेते हैं, ताकि एकाएक सीटें खाली होने पर निर्धारित कोटा पूरा करने में परेशानी न आए।


दस्तावेजों के मोर्च पर राहत देने वाले अन्य कॉलेजों में लक्ष्मीबाई कॉलेज का नाम भी शामिल है। हाला



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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