BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Monday, July 21, 2014

खुदरा कारोबार में विदेशी कंपनियों की बहार। वालमार्ट, गुची, एलवीएमएच, एपिल जैसी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में शत प्रतिशत एफडीआई!


खुदरा कारोबार में विदेशी कंपनियों की बहार। वालमार्ट, गुची, एलवीएमएच, एपिल जैसी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में शत प्रतिशत एफडीआई!

पलाश विश्वास


खुदरा कारोबार में विदेशी कंपनियों की बहार। वालमार्ट,गुक्की,एलवीएमएच,एपिल जैसी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में सिंगल ब्रांड में शत प्रतिशत एफडीआई!

इकोनामिक टाइम्से की खबर है किः


The department of Industrial policy and promotion (DIPP) is considering a move to scrap the 30% domestic sourcing clause, which could result in higher foreign direct investment (FDI) inflows.

इकोनामिक टाइम्स ने खुलासा किया हैः


The government may completely unshackle foreign investment in singlebrand retail, a sector that has seen growing interest from the world's biggest brands that have been lobbying for the scrapping of a condition they regard as a deal breaker.


डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (डीआईपीपी) इस शर्त को खत्म करने पर विचार कर रहा है, जिससे देश में फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट में इजाफा हो सकता है। एलवीएमएच और गुची जैसी कई बड़ी लग्जरी फर्म्स का मानना है कि हाई-एंड गुड्स को भारत से सोर्स करना मुश्किल है।

गौरतलब है कि एकल (सिंगल) ब्रांड खुदरा में विदेशी निवेश की अनुमति सर्वप्रथम 51 प्रतिशत की सीमा तक फरवरी 2006 में प्रदान की गई। बहु (मल्टी) ब्रांड में विदेशी निवेश देश में व्यापक विरोध के कारण अभी भी प्रतिबंधित है।फिर 2011 को उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय ने सिंगल ब्रांड खुदरा कारोबार में 100 फीसदी विदेशी निवेश के फैसले को अधिसूचित कर दिया।


इकोनामिक्स टाइम्स के मुताबिक डीआईपीपी के एक अधिकारी ने भी कहा कि लग्जरी ब्रांड्स भारत से 30 पर्सेंट माल कैसे खरीद सकते हैं? यह तो मुमकिन ही नहीं है। उन्होंने कहा कि सिंगल-ब्रांड रिटेल पॉलिसी में नरमी की जरूरत है ताकि विदेशी ब्रांड्स यहां निवेश कर सकें। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। पिछले दो वर्षों में इस सेगमेंट में विदेश से 300 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम आई है और इससे यहां रोजगार के मौके बने हैं।


पिछली यूपीए सरकार ने सिंगल-ब्रांड रिटेल में 100 पर्सेंट एफडीआई की इजाजत साल 2011 में दी थी। तब इसमें शर्त जोड़ी गई थी कि ग्लोबल ब्रांड्स को भारत की स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज से 30 पर्सेंट माल अनिवार्य रूप से खरीदना होगा। हालांकि, सितंबर 2012 में सरकार ने स्वीडन की फर्नीचर कंपनी आइकिया की राह आसान करने के लिए 30 पर्सेंट वाले नियम में बदलाव कर दिया और अनिवार्य शर्त के बजाय कहा कि ऐसी सोर्सिंग हो तो बेहतर होगा।


जाहिर है कि सिंगल ब्रांड में विदेशी निवेश शत प्रितशत करने के फैसले के साथ 30 पर्सेंट घरेलू स्रोत की शर्त जो यूपीए ने लगायी, खुदारा कारोबार में प्रत्यक्ष निवेश की प्रबल विरोधी भाजपा की सरकार ने अब वह शर्त हटाकर दुनिया की सबसे बड़ी अमेरिकी कंपनी वालमार्ट को खुश कर दिया है,जिसके खिलाफ सत्ता में आने से पहले तक मोर्चा जमाये हुए थे भाजपाई।आखिरकार अमेरिका ने भी तो अबतक अमेरिका में अवांछित नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए पलक पांवड़े बिछा दिये हैं।जाहिर है कि सरकार सिंगल-ब्रैंड रिटेल में विदेशी निवेश के फुल-स्पीड फर्राटे का इंतजाम कर रही है। दुनिया के कई बड़े ब्रैंड्स ने इस सेक्टर में दिलचस्पी दिखाई है और वे इस सेक्टर में निवेश के लिए 30 पर्सेंट माल भारतीय वेंडर्स से सोर्स करने की शर्त हटवाने के लिए लॉबीइंग कर रहे थे।अब उनकी यह मुराद जल्द पूरी की जा रही है।



इकोनामिक्स टाइम्स के मुताबिक हालांकि, अब भी कई कंपनियों के लिए पॉलिसी के मोर्चे पर तस्वीर साफ नहीं है और उनके आवेदन महीनों से डीआईपीपी के पास अटके पड़े हैं। 30 पर्सेंट की शर्त हटाने से स्वारोव्स्की जैसे ब्रांड्स की भारत में एंट्री आसान हो जाएगी। ऐसे कई ब्रैंड्स के आवेदन इसलिए खारिज हो गए थे क्योंकि वे कैश ऐंड कैरी और सिंगल-ब्रांड रिटेल, दोनों फॉर्मेट में काम करना चाहते थे।


डीआईपीपी ने कंपनियों से कहा था कि दोनों के लिए अलग-अलग आवेदन करें, अन्यथा कैश एंड कैरी पर भी 30 पर्सेंट वाला नियम लगेगा। लॉ फर्म टाइटस एंड कंपनी के दिलजीत टाइटस ने कहा कि ज्यादातर सिंगल-ब्रांड रिटेल कंपनियों ने सरकार से 30 पर्सेंट डोमेस्टिक सोर्सिंग वाली शर्त हटाने को कहा है क्योंकि इसे पूरा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर वे यह शर्त पूरी करें भी तो वे इस पर निगरानी नहीं रख पाएंगी और हो सकता है कि पांच साल बाद नॉन-कंप्लायंस के लिए उन पर मुकदमा हो जाए।


गौरतलब है कि वालमार्ट 15 देशों में 55 विभिन्‍न नामों से 8500 स्‍टोर परिचालित करता है । 2011 में इसका राजस्‍व 418952 मिलियन .डालर था।अब छोटे और मंझौले कारोबारी भी समझ लें कि उनकी पूंजी इस वालमार्ट प्रलय का मुकाबला कैसे करेगी।


गौरतलब है कि दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी वालमार्ट ने यूपीए सरकरी की ओर से  खुदरा बहु-ब्रांड क्षेत्र में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति के भारत के फैसले को महत्वपूर्ण कदम बताया था।


मल्टीब्रांड में नहीं,सिंगल ब्रांड के जरिये ही विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय कारोबार को बाट लगा रही है बिजनेस फ्रेंडली केसरिया कारपोरेट सरकार।


याद करें कि संसद में कारपोरेट वकील वित्त प्रतिरक्षा मंत्री के बजट पेश करने के ठीक एक दिन पहले भारतीय मुक्त बाजार के लिए एक बुरी खबर आई थी कि फ्रांस के सबसे बड़ी रिटेल कंपनी कैरफोर इस साल सितंबर में भारत से अपना कारोबार समेटने की तैयार कर चुकी है। उस वक्त जो खबर आई ,उसके बाद भारत की  चिंताएं और ब़ढ़ने लगीं कि भारत में हो रहे घाटे के बाद अब कंपनी पड़ोसी मुल्‍क चीन और ब्राजील के बाजार में निवेश करने की पूरी तैयारी कर चुकी है।चीन और ब्राजील के बाजारों का हौआ खड़ा करके स्वदेशीकरण के बहाने देशी कृषि की तरह देशी कारोबार का भी सत्यानाश का इंतजाम हो गया।


बनिया पार्टी के वोट बैंक के मद्देनजर   केंद्र में आई नई एनडीए सरकार भी स्थानीय दुकानदारों का हित देखते हुए खुदरा क्षेत्रों में विदेशी निवेश के पक्ष में नहीं है।इसपर बजट से एकदिन पहले  खुदरा क्षेत्र की सलाहकार एजेंसी थर्ड आई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवांगशु दत्ता ने कहा है कि, 'जो कंपनियां बाजार में नुकसान नहीं उठाना चाहती, वे या तो अपना कारोबार रोक दें या बोरिया बिस्तर बांध लें। '


धुआंधार सुधारों का मुसलाधार से सांढ़ संस्कृति के बल्ले बल्ले और सेनसंक्स में अविराम उछाल।


जाहिर है कि मनमोहन सिंह ने देश में अमरीकी कंपनी वालमार्ट से लेकर वहां के नाभिकीय संयंत्रों के लिये बाजार उपलब्ध करवाने की भरसक कोशिश की थी। वे नीतगत विकलांगकता और राजनीतिक बाध्यताओं के बंवर में डूब गये। जनादेश नमोसुनामी से बना तो वालमार्ट की भी बल्ले,अमेरिकी युद्ध अर्थव्यवस्था भी जमानत पर और भारतीय अर्थव्वस्था में बभरे सावन की  बेशुमार प्राकृतिक आपदाओं के मध्य वसंत बहार।जाहिर है कि  ऐसे में अमरीका, भारत के प्रधानमंत्री को निमंत्रण देकर अपनी भलाई की ही सोच रहा है उस भवाई के पद्मप्रलय की बहार भी कम नहीं है।


मीडिया में राजनीति और अपराध के सिवाय कोई खबर नहीं है। स्पेक्ट्रम शेयर करने की बात की जा रही है जो दरअसल स्पेक्ट्रम डीकंट्रोल है।वैसे ही जैसे कि आधिकारिक तौर पर भारत में अभी खुदरा बाजार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है नहीं, लेकिन खुदरा बाजार विदेशी कंपनियों के हवाले है।हमने डिजिटल देश के बायोमेट्रिक नागरिकों के लिई कामार्स के बिजनेस टु होम के फंडे की पहले ही चर्चा की है।


खबरे लार्ड्स पर अट्ठाइस साल के जीत के जश्न पर फोकस है लिकिन भारतीय बाजार पर तेईस साल के जनसंहारी नवउदारजमाने में अमेरिकी मुकम्मल जीत के बारे में कोई खुलासा नहीं है।


प्रतिरक्षा और बीमा में एफडीआई के बाद सिंगल ब्रांड रिटेल में एफडीआई का फैसला भी हो गया। यानी बिना मल्टी ब्रांड एफडीआई भारतीय बाजारों में विदेशी और खासकर अमेरिकी कंपनियों की हर संवेदनशील सेक्टर में अबाध घुसपैठ का स्वदेशीकरण है तो डिजिटल नागरिकता के जरिये बहुसंख्य आबादी का  हीरक बुलेट चतुर्भुज तैयार है।बेदखली के लिए नागरिकता छीनकर विदेशी बना देने का खेल भी तेज हो गया है।


अमेरिकी मांग के मुताबिक बीमा और प्रतिरक्षा में एफडीआई के बाद दक्षिण एशिया का हथियार बाजार पर अमेरिकी वर्चस्व कायम है तो बीमा क्षेत्र में भी अबाध निरंकुश छिनाल पूंजी के खातिर शर्म कानूनों के सफाये के साथ एकमुश्त सुधार।


स्पेक्ट्रम घोटाले पर फोकस है और स्पेक्ट्रम शेयरिंग से स्पेक्ट्रम डीकंट्रोल।नीलामी का किस्सा खत्म तो सरकारी हस्तक्षेप का भी निषेध।

कोयला ब्लाकों के आबंटन का घोटाला पर बहुत हो हल्ला है तो कोलइंडिया की हत्या दिनदहाड़े है। कोल इंडिया का एकाधिकार तोड़ने के लिए निजी कंपनियों को खनन की इजाजत।


अब समझ लीजिये कि भूमि अधिग्रहण कानून,खनन अधिनियम,पर्यावरण कानून और श्रम कानून क्यों बदले जा रहे हैं।


आउटलुक में पी साईनाथ के टैक्स फोरगन से संबंधित आलेख की हम चर्चा पहले की कर चुके हैं तो आज बजट में योजना गैरयोजना व्यय के खुलासे के लिए जनसत्ता के संपादकीय पेज पर आलेख भी है। इसी के मध्य पावर सेक्टर की निजी कंपनियों को राहत देने की खबरे हैं। तो विनिवेश की भी खबरें हैं।


केसरिया कारपोरेट सरकार ने कारपोरेट कंपनियों का कर्ज रफा दफा करने का फैसला भी कर लिया है।


कल रात से मेरे पीसी के नेट सेटिंग उड़ी हुई थी।सारी चीजे तुरंत समेट नहीं सकते आज इंजीनियर के आने के बाद फिर आनलाइन हो जाने के बावजूद।तथ्यों के अध्ययन और विश्लेषण में वक्त लगेगा। लेकिन इस सुधार नरमेध यज्ञ का आंखों देखा हाल देर सवेर आप तक पहुंचाने की कोशिसें जारी रहेंगी।


केसरिया कारपोरेट सरकार का स्वदेशीकरण और भारतीयकरण का वेग बुलेट ट्रेन से भी ज्यादा भयंकर है।हमारी उगलियों में उतना दम नहीं है कि सारी बातों का तुंरत खुलासा किया जा सकें।पर सारे मुद्दे संबोधित करने की कोशिश जरुर होगी और प्रचलित मीडिया के मुकाबले हमारा फोकस आर्थिक मुद्दों पर ही ही रहेगा।


फिलहाल रिटेल एफडीआई का किस्सा हरिकथाअनंत।


मल्टी ब्रांड में एफडीआई की घोषणा यूपीए दो सरकारी कर चुकी थी और ममता बनर्जी के समर्थन वापस लेने से इस फैसले को अंजाम तक पहुंचाया नहीं जा सका।भाजपा ने भी विपक्ष में रहते हुए सबसे ज्यादा शोर शराबा खुदरा कारोबार में एफडीआई के खिलाफ मचाया है।सत्ता में आने के बाद भी भाजपा बिजनेस फ्रेंडली होने के वावजूद,प्रधानमंत्री सीईओ के अनोखे बिजनेस मैनेजमेंट के जरिये मल्टी ब्रांड एफडीआई की इजाजत दिये बिना डिजिटल देश में ईकामर्स के जरिये क्या गुल खिला रही है,इस पर हमने पहले ही विस्तार से लिखा है।


ताजा किस्सा सिंगल ब्रांड एफडीआई का है,जिसका कभी राजनीतिक विरोध हुआ या नहीं,निरंतर मीडिया में होने के बावजूद हमें जानकारी नहीं है।


खुदरा कारोबार में इसी सिंगल ब्रांड के विनडो से विदेशी कंपनियों की अबाध घुसपैठ का स्थाई बंदोबस्त कर दिया गया है।


मजे की बात है कि मल्टी ब्रांड एफडीआई के लिए जिस वालमार्ट का प्रबल विरोध होता रहा है,सिंगल ब्रांड में एफडीआई शत प्रतिशत करने के बाद कैश एंड कैरी में उसने तुरंत 623 करोड़ की पूंजी और भारतीय बाजार में झोक दी है।लेकिन सन्नाटा इतना घनघर है कि कहीं सुई तक गिरने की आवाज नहीं है।


याद करें  23 सितंबर,2012 को केसरिया लौहपुरुष का लिक्खा ब्लाग।


भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने रविवार को कहा कि जहां एक ओर भारत में वालमार्ट का स्वागत किया जा रहा है, उसी वालमार्ट के खिलाफ अमेरिका में प्रदर्शन हो रहे हैं और न्यूयार्क से उसका बोरिया-बिस्तर बांध दिया गया है।

आडवाणी ने रविवार को अपने ब्लॉग में लिखा है,प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जिस शुक्रवार (14 सितम्बर) को वालमार्ट के लिए लाल गलीचे बिछाए, उसी दिन अमेरिका के सबसे बड़े शहर न्यूयार्क ने वालमार्ट के बोरिया-बिस्तर बांध दिए।

आडवाणी ने यह भी लिखा है कि जिस दिन संप्रग सरकार ने वालमार्ट को एफडीआई का तोहफा सौंपा और लॉबिस्टों ने भरोसा दिलाया कि छोटे खुदरा व्यापारी सुरक्षित हैं, उसी दिन वेब समाचार पत्र, अटलांटिकसिटीज ने विदेशी मामलों की प्रसिद्ध पत्रिका से एक विनाशकारी हेडलाइन दी थी- `रेडिएटिंग डेथ : हाउ वालमार्ट डिस्प्लेसेस नियरबाइ स्माल बिजनेसेस`।

आडवाणी ने लिखा है, पहली जून को सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने वालमार्ट के खिलाफ वाशिंगटन डीसी में प्रदर्शन किया। पूरे अमेरिका में `से-नो-टू-वालमार्ट` आंदोलन लगातार जारी है।

यही नहीं आडवाणी ने राजग सरकार के दौरान घटी एक घटना का भी जिक्र किया है। कांग्रेस सदस्य प्रियरंजन दासमुंशी ने तत्कालीन केंद्रीय वाणिज्य मंत्री अरुण शौरी से खुदरा में एफडीआई को अनुमति देने की योजना पर स्पष्टीकरण मांगा था।

आडवाणी ने लिखा है, राजग सरकार के दौरान खुदरा में एफडीआई के मुद्दे पर एक बार भाजपा और कांग्रेस के बीच तीखी नोक-झोंक हुई थी। यह घटना 16 दिसम्बर, 2002 की है।


जाहिर है कि हाथी के दांत खाने के और,दिखाने के और होते हैं।



इसी बीच किशोर बियाणी-प्रवर्तित फ्यूचर समूह इस साल अक्टूबर से चरणबद्घ तरीके से अपना ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म लॉन्च करने की योजना बना रहा है। ऑनलाइन रिटेल में समूह की यह दूसरी कोशिश होगी, क्योंकि ई-कॉमर्स के संदर्भ में कुछ साल पहले किया गया प्रयास विफल साबित हुआ था। रिलायंस रिटेल और वालमार्ट (होलसेल के जरिये) भी ई-कॉमर्स पर जोर दे रही हैं।


फ्यूचर गु्प के मुख्य कार्याधिकारी किशोर बियाणी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'अक्टूबर तक इलेक्ट्रॉनिक श्रेणी ऑनलाइन हो जाएगी। साल के अंत तक पूरा बिग बाजार स्टोर पूरे भारत में ऑनलाइन पर उपलब्ध होगा।' यूरोपीय कंपनी हाइब्रिस टेक्नोलॉजी पोर्टल स्थापित करने में फ्यूचर गु्प की मदद कर रही है। बियाणी ने कहा, 'एक बार जब हम ई-कॉमर्स में जगह बना लेंगे, तो हमारी पहुंच पूरे भारत में संभवत: सभी शहरों तक हो जाएगी।'






Jul 21 2014 : The Economic Times (Kolkata)

Walmart Infuses Rs.623 Cr More







Walmart infused R.s 623 crore into its Indian cash-andcarry operations in June, taking its total investment in Rs 2,000 crore. 5 the country to nearly `



Jul 21 2014 : The Economic Times (Kolkata)

RELIEF LIKELY FOR GUCCI, LVMH, APPLE - 30% Rider on Single Brand may Go 100%

DILASHA SETH & RASUL BAILAY

NEW DELHI





The government may completely unshackle foreign investment in singlebrand retail, a sector that has seen growing interest from the world's biggest brands that have been lobbying for the scrapping of a condition they regard as a deal breaker.

Their wish could come true. The department of Industrial policy and promotion (DIPP) is considering a move to scrap the 30% domestic sourcing clause, which could result in higher foreign direct investment (FDI) inflows.

This has been viewed by many luxury firms such as LVMH and Gucci as a stumbling block as they argue that it is difficult to source high-end goods locally.

"How can luxury brands source 30% from India? It is simply not possible. Single-brand retail policy needs to be eased to allow foreign brands to invest in the country . We are working on that right now," said a DIPP official. Such a move would also free up companies such as Ap ple to open wholly owned stores in India.

More than . 300 crore has ` come into this segment from overseas in the last two years, generating jobs in a depressed economy . The previous government allowed 100% FDI in single-brand retail in 2011 with mandatory 30% sourcing from small and medium enterprises. However, in September 2012, the government tweaked the 30% mandatory sourcing norm for FDI in single-brand retail to accommodate Swedish furniture maker Ikea, changing it to something that was preferable rather than mandatory.

However, there is still a lack of policy clarity for many companies, with their applications having got stuck at DIPP for months.

The move to completely free up single-brand retail will ease entry for brands such as Swarovski, which have had applications rejected as they wanted to house both formats -cash and carry and single-brand retail -together. India allows 100% overseas investment in both, while restricting it to 51% in multi-brand retail with conditions attached.

DIPP asked the companies to apply separately for both. Otherwise the 30% sourcing rule would apply for the cash and carry operations as well. "Most singlebrand retail companies that have applied have asked the government to do away with the 30% domestic sourcing requirement, saying this cannot be implemented. Even if they source domestically , there is no supervision. So after five years they could be prosecuted for non-compliance, which will create a difficult situa tion," said Diljeet Titus of the law firm Titus and Co.

He said luxury brands make a limited number of pieces, maybe 100 or 1,000, and change product lines often, which makes it impossible for them to comply with the domestic sourcing requirement. "In fact, a lot of Indian real estate companies, which would cater to single-brand players, have also requested the government to do away with this hurdle of 30% domestic sourcing to let more FDI flow in," he added.

The government is also considering a plan to allow single-brand retailers to bring in sub-brands or sell under different trademarks.

The 30% sourcing condition has also been seen as impacting investments by technology companies such as Apple as any overseas company looking to own more than 51% of a single-brand retailing venture would have to comply with the norm.

"This (removing the 30% sourcing norm) would be a positive move as companies have been slowly and steadily increasing single-brand presence in India, especially in apparel and footwear brands," said Abhishek Malhotra, a partner with consulting firm Booz & Co. "This should make it possible for companies like Apple to open stores. We should see more such companies coming in.

This was a hurdle for such companies and luxury retailers."




Jul 21 2014 : The Economic Times (Kolkata)

Walmart Invests Rs 623 Cr to Expand in India

RASUL BAILAY & SAGAR MALVIYA

NEW DELHI | MUMBAI





Investment underscores retailer's optimism in India; funds to be used to run & expand operations

Walmart Stores infused more cash into its Indian cash-and-carry operations in June to expand the network, taking the world number one retailer's total investment in the country to nearly .

`2,000 crore and underscoring its renewed optimism about business prospects in the South Asian nation.

Funds amounting to .

`623 crore were allotted as share application money by the parent company last month, according to a company resolution submitted to the Registrar of Companies on July 16. Walmart India, the local entity registered in January, had earlier raised a cumulative .

`1,328 crore from its US-based parent.

This is the second large capital infusion by Walmart after its October 2013 separation from Bharti Walmart when the company acquired the 50% stake held by the In

dian partner to go solo with the cash-and-carry venture.

In its latest annual report released mid April, Walmart said it paid a total $334 million (. `2,018 crore at current rates) to end its high-profile retail partnership with Bharti Enterprises, resulting in a net loss of $151 million (. `912 crore) accruing to the US company's consolidated income in 2013.

The retailer paid $100 million (. `604 crore) to acquire Bharti's stake in its India wholesale joint venture to convert it into a fullyowned subsidiary. Walmart said it also took a $234 million (. `1,414 crore) hit that included debt and other investments in back-end partner Bharti Retail that it waived as part of the October 2013 separation. India allows 100% overseas investment in cash and carry or wholesale ventures and in single-brand retail. It allows 51% overseas investment in multibrand retail enterprises such as su

permarkets with conditions.

Walmart said the latest infusion would be used to run and expand the current business. "The equity infusion is to fund our working capital and capex requirements of our cash-and-carry business in India," Krish Iyer, chief executive of Walmart India, said in an e-mail.

In a June interview with ET, Iyer had cited a McKinsey & Co. report that identified India's current wholesaling business as a $300 billion opportunity and that the market was expected to swell to $700 billion by 2020. Walmart currently operates 20 Best Price wholesale stores in India but the business had stalled for two years amid an internal probe to find out if the local unit had in any way flouted US anti-bribery laws while operating in the country.

Also, several executives left the company amid the probe and following the separation from Bharti.

Now Walmart says it's ready to roll out more stores in the coming months.

Walmart India also plans to expand the e-commerce initiative that is currently being piloted in Lucknow and Hyderabad, which involves existing wholesale members ordering online and products being delivered at their doorstep.

"We have received a very encouraging response by our members for our pilot project on B2B e-commerce initiative in both Lucknow and Hyderabad and we hope to extend this virtual shopping opportunity to our members in all our stores in next few months," said Rajneesh Kumar, a spokesperson for Walmart in India.






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