BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Saturday, June 14, 2014

अनुराधा मण्डल नहीं रहीं



बहुत बुरी खबर है।पुराना मोबाइल बदल जाने से दिलीप से लंबे अरसे से बात हुई नहीं है।घर में पीसी क्रैश हो जाने की वजह से आखिरकार मीडियामोर्चे की खबर से पता चला कि कैंसर जीतने वाली बहादुर लड़की अनुराधा नहीं रही।सामाजिक सरोकारों से लबालब एक तेजस्वी युवा कलमकार के इस असमय निधन से स्तब्ध हूं।दिलीप को फोन भी नहीं कर पाया।न उससे फेसबुक से संपर्क हो सकता है।अपने ही परिजन के निधन पर इस शोक को बांटने के सिवाय हमारे पास कोई दूसरा चारा नहीं है।अनुराधा दो टुक लहजे में सटीक बातें करती थीं। इस बीच हम एकबार उनके घर जाने को थे जब हम आखिरीबार दिल्ली गये,संजोगवश जाना नहीं हुआ।दिलीप से जब भी बात हुई,अनुराधा के स्वास्थ्य के बारे में कोई आशंका की बात नहीं सुनी।अभी हमारे कई अत्यंत प्रियजन कैंसर से जूझ रहे हैं।हम उनके स्वस्थ होने की कामना ही कर सकते हैं।
पलाश विश्वास

अनुराधा मण्डल नहीं रहीं

2014.06.14

नई दिल्ली । भारतीय सूचना सेवा की वरिष्ठ अधिकारी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग में संपादक अनुराधा मण्डल नहीं रहीं। आज वे हमें अलविदा कह गईं। लम्बे समय से कैंसर से जूझ रही थी ।

 2005 में अनुराधा ने कैंसर से अपनी पहली लड़ाई पर आत्मकथात्मक पुस्तक लिखा था - "इंद्रधनुष के पीछे-पीछे : एक कैंसर विजेता की डायरी" जो राधाकृष्ण प्रकाशन से 2005 में प्रकाशित हुई थी। उनकी एक और महत्वपूर्ण कृति है- "पत्रकारिता का महानायकः सुरेंद्र प्रताप सिंह संचयन" जो राजकमल से जून 2011 में प्रकाशित हुआ था।  वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल की पत्नी होने के वावजूद अनुराधा मण्डल की अपनी अलग लेखकीय पहचान थी ।

केंद्रीय मंत्री  उपेन्द्र कुशवाह ने अनुराधा मण्डल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि, भारतीय सूचना सेवा की अधिकारी, सामाजिक मुद्दों पर प्रखर-बेबाक आर.अनुराधा नहीं रहीं। आज दोपहर उनके निधन की खबर से काफी मर्माहत महसूस कर रहा हूँ। 2005 में अनुराधा ने कैंसर से अपनी पहली लड़ाई पर आत्मकथात्मक पुस्तक लिखा था - "इंद्रधनुष के पीछे-पीछे : एक कैंसर विजेता की डायरी" जो राधाकृष्ण प्रकाशन से 2005 में प्रकाशित हुई थी। लेकिन वे आखिरकार कैंसर की बिमारी की वजह से चल बसी। उनकी एक और महत्वपूर्ण कृति है - "पत्रकारिता का महानायकः सुरेंद्र प्रताप सिंह संचयन" जो राजकमल से जून 2011 में प्रकाशित हुआ था। अनुराधा जी की लेखनी के कारण एक अपनी खास पहचान है पर उनको वरिष्ठ पत्रकार और मेरे अनन्यतम छोटे भाई के समान दिलीप मंडल जी की पत्नी होने की वजह से भी जानता हूँ ।  दिलीप मंडल ने हाल ही में इंडिया टूडे में मैनेजिंग एडिटर के तौर पर अपना काम इसीलिये छोड़ दिया था ताकि अनुराधा की सेवा कर सके और उनके साथ ज्यादा वक्त गुजार सकें। मै इस दुख की घड़ी में अनुराधा और दिलीप के परिवार के साथ खड़ा हूँ। यह मेरे लिये पारिवारिक क्षति की तरह है। उनके तमाम सहयोगियों, शुभचिंतकों से भी मैं अनुराधा जी के असामयिक निधन पर अपना दुख और हार्दिक संवेदना प्रकट करता हूँ ।

एच एल दुसाद ने अनुराधा मण्डल के निधन पर फेसबुक पर लिखा, मंडल साहब ने जब इंडिया टुडे से इस्तीफा दिया तभी से हम इस दुखद घटना का सामना करने की मानसिक प्रस्तुति लेने लगे थे। इसबीच अनुराधा जी से मिलने के लिए मंडल साहब के समक्ष एकाधिक बार अनुरोध किया, पर वह मिलने की स्थिति में नहीं रहीं । बहरहाल, इस दुखद स्थित के लिए लम्बे समय से मेंटल प्रिपरेशन लेने के बावजूद आज जब उनके नहीं रहने की खबर सुना , स्तब्ध रह गया। अनुराधा जी विदुषी ही नहीं, बेहद सौम्य महिला थीं। उनके नहीं रहने पर एक बड़ी शून्यता का अहसास हो रहा है। बहुजन डाइवर्सिटी मिशन की ओर से उन्हें अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि।

अनुराधा मण्डल के निधन पर मीडियामोरचा श्रद्धांजलि अर्पित करता है ।

No comments:

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...