BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Tuesday, August 14, 2012

समाजवादी जमाने की याद दिलाते हुए गरीबी उन्मूलन की सर्वोच्च प्राथमिकता!असम समझौता लागू करने पर जोर!

समाजवादी जमाने की याद दिलाते हुए गरीबी उन्मूलन की सर्वोच्च प्राथमिकता!असम समझौता लागू करने पर जोर!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को खारिज करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लोकतांत्रिक संस्थाओं कोबचाने पर जोर दिया और अर्थ व्यवस्था के लक्ष्य बतौर समाजवादी जमाने की याद दिलाते हुए गरीबी उन्मूलन की सर्वोच्च प्राथमिकता तय की।उन्होंने कहा कि भूख, रोग और गरीबी से मुक्ति के लिए दूसरे स्वाधीनता संग्राम की जरूरत है।  जबकि योजना आयोग के अध्यक्ष मंटेक सिंह आहलूवालिया ने निवेशकी की आस्था लौटाने की प्रथमिकता बतायी। विवादास्पद सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (गार) से जुड़े सभी मुद्दों की जांच परख के लिए गठित विशेषज्ञ समिति अपनी सिफारिशों का मसौदा 31 अगस्त तक और अपनी अंतिम रिपोर्ट 30 सितंबर तक सरकार को सौंप सकती है।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जनरल एंटी अवॉयडेंस रूल्स (गार) के क्रियान्वयन के मामले की देखरेख की खातिर एक समिति का गठन किया। पिछले बजट में कर चोरी रोकने की खातिर गार का प्रावधान किया गया था। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्यो पर वित्तीय प्रबंधन के सर्वेसर्वा और देस के प्रथम नागरिक के बयानों का यह​ ​अंतर्विरोध हैरतअंगेज  है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर टीम अन्ना और बाबा रामदेव के आंदोलनों को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन पर तीखा प्रहार किया है।  मुखर्जी ने राष्ट्र के नाम अपने संदेश में भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने की अपील की है। राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ है। पिछले दो दशक के आर्थिक सुधार के कारण शहर और गांव के लोगों की आमदनी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि नयी आर्थिक बेहतरी के लिए क्षेत्र में शांति जरूरी है जो हिंसा की प्रतिस्पर्धी वजहों को शांत कर सकती है। देश में सूखे और बाढ़ की मौजूदा स्थिति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति विशेषकर खाद्य मुद्रास्फीति चिन्ता की वजह बनी हुई है। राष्ट्रपति ने कहा कि खाद्य उपलब्धता अच्छी है लेकिन हम उन लोगों की हालत को नहीं भूल सकते, जिन्होंने सुस्त हालात वाले वर्ष में भी इसे संभव कर दिखाया यानी कि हमारे किसान। वे देश की जरूरत के वक्त उसके साथ खड़े हुए। उनके संकट में देश को भी उनके साथ खडा होना चाहिए।असम में हाल में हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा लिए गए असम समझौते को प्रभावी ढंग से और मौजूदा समय के परिप्रेक्ष्य में लागू करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चलने और उन्हें समझने की जरूरत है। कोई भी हिंसा विकल्प नही हो सकती। अलबत्ता यह बड़े हिंसा को आमंत्रित करती है।

जनरल एंटी अवॉयडेंस रूल्स (गार) और पिछली तिथि के संशोधनों के बाद वित्त मंत्री पी चिदंबरम अब पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के कार्यकाल में 2012-13 के बजट में की गई सब्सिडी गणना की जांच करेंगे। मंत्रालय ने जिस तरीके से सब्सिडी की गणना की है, उससे चिदंबरम खुश नहीं हैं।वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सब्सिडी गणना में जिस तरह से दो मुख्य उत्पादों-पेट्रोलियम और उर्वरक का आकलन किया गया है, उस पर चिदंबरम ने नाखुशी जाहिर की है। एक चौंकाने वाले कदम के तहत वित्त मंत्री ने व्यय सचिव सुमित बोस और राजस्व सचिव आर एस गुजराल के पद को आपस में बदल दिया है। 2012-13 के सब्सिडी प्रारूप को तैयार करने में बोस की अहम भूमिका थी।2012-13 के बजट में पेट्रोलियम सब्सिडी 43,580 करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया गया था जबकि 2011-12 में यह 68,481 करोड़ रुपये था। हालांकि चालू वित्त वर्ष में सब्सिडी इससे कहीं ज्यादा रहने की आशंका है।इसी तरह उर्वरक सब्सिडी के लिए चालू वित्त वर्ष में 60,974 करोड़ रुपये का आकलन किया गया था जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 67,199 करोड़ रुपये था। खाद्य सब्सिडी के तौर पर जन वितरण प्रणाली के लिए 75,000 करोड़ रुपये सब्सिडी का अनुमान जताया गया था जो पिछले वित्त वर्ष में  72,823 करोड़ रुपये थी।इस बीच महंगाई को लेकर आलोचना झेल रही सरकार के लिए जुलाई के आंकडे़ मामूली राहत देने वाले रहे। केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने महंगाई जल्द ही नीचे आने का भरोसा देते हुए कहा है कि कीमतों में स्थिरता लाना सरकार की प्राथमिकता है।प्याज और फलों की कीमतों में गिरावट से माह के दौरान सकल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर जून के 7.25 प्रतिशत की तुलना में 0.38 प्रतिशत गिरकर 6.87 प्रतिशत रह गई। हालांकि इस दौरान आलू, दूध, अंडे और सब्जियों की कीमतों में तेजी का रुख रहा।व्यापार घाटा बढ़ने के बावजूद सकल महंगाई दर में नरमी आने से कर्ज सस्ता होने की उम्मीद और विदेशों बाजारों से अच्छे संकेत मिलने से घरेलू शेयर बाजारों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। बीएसई का सेंसेक्स 94.75 अंक बढ़कर 17,728.20 पर व निफ्टी 32.45 अंक ऊपर 5,380.35 के स्तर पर बंद हुआ।शुरुआती सत्र में एशियाई बाजारों में तेजी के बावजूद घरेलू बाजार दबाव में दिखे। लेकिन महंगाई के आंकड़े आने के बाद शेयरों में उछाल आया। छोटी और मझोली कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही। बीएसई का मिडकैप 18.26 अंक ऊपर 6,147.67 पर और स्मॉलकैप 16.48 अंक बढ़कर 6,596.40 पर बंद हुए।बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का खासा जोर है, पर ऐसा लगता है मानो इसका वास्तविक असर नजर आने में फिलहाल समय लगेगा।योजना आयोग ने 2012-13 की पहली तिमाही में बुनियादी ढांचा क्षेत्रों- ऊर्जा, सड़क, रेलवे, बंदरगाह और हवाई अड्डों के विकास की समीक्षा की थी और इससे साफ पता चलता है कि ज्यादातर क्षेत्रों में परिणाम लक्ष्य से काफी पीछे हैं। हालांकि ऊर्जा क्षेत्र में क्षमता विकास की स्थिति से कुछ उम्मीदें हैं। पहली तिमाही में ऊर्जा क्षेत्र के लिए 3,807 मेगावॉट क्षमता का लक्ष्य रखा गया था जबकि यह बढ़कर 10 जुलाई तक 5,266 मेगावॉट हो चुकी है। इस क्षमता विकास में ताप और जल विद्युत क्षेत्रों की क्रमश: 4,695 मेगावॉट और 301 मेगावॉट हिस्सेदारी है जबकि इनके लिए लक्ष्य क्रमश: 3,680 मेगावॉट और 127 मेगावॉट का था।वैश्विक स्तर पर मांग में नरमी के बीच भारत का निर्यात इस साल जुलाई महीने में 14.8 प्रतिशत घटकर 22.4 अरब डालर रह गया। निर्यात में कमी की वजह से विदेश व्यापार का घाटा भी 15.5 अरब डॉलर के खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है।नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने मंगलवार को बताया कि एयर इंडिया के पायलटों की हालिया 58 दिनों की हड़ताल के कारण करीब 600 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। उन्होंने राज्यसभा को लिखित उत्तर में बताया कि पायलटों की लंबी हड़ताल के कारण एयर इंडिया को हुआ कुल राजस्व घाटा करीब 600 करोड़ रुपये का है।

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने आज कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को वर्तमान कीमत पर पेट्रोल बेचने से 1.37 रुपये प्रति लीटर का घाटा उठाना पड़ रहा है। राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में रेड्डी ने हालांकि इस बात का कोई संकेत नहीं दिया कि पेट्रोल की कीमतों में कब वृद्धि होगी।

दूसरी ओर, खराब मॉनसून से पैदा हुए सूखे के हालात से निपटने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने किसानों को राहत पैकेज मुहैया कराने का ऐलान किया है। देश में सूखे की गंभीरता को ध्यान में सरकार ने 320 जिलों के लिए आपात योजना तैयार की है, साथ ही सूखा सहित अन्य प्राकृतिक आपदाओ के कारण होने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष एवं राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष का गठन किया है। शरद पवार ने कहा कि किसानों को जो राहत राशि दी जाएगी वो राज्य सरकार के माध्यम से नहीं बल्कि सीधे किसानों तक पहुंचाई जाएगी जिसका ऐलान सरकार 1 हफ्ते के भीतर कर देगी।देश में कम बारिश से किसानों और फसलों को हो रहे नुकसान को देखते हुए कृषि मंत्री शरद पावर ने राहत पैकेज मुहैया कराने का ऐलान किया है, जो किसानों को सीधे पहुंचाया जाएगा। कम बारिश होने से हरियाणा ने किसानों के लिए 4,000 करोड़ रुपये और पंजाब ने 2,200 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मांग की थी। कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि राहत पैकेज की रकम की घोषणा अगले 1 हफ्ते के भीतर कर दी जाएगी।

मुखर्जी ने कहा कि इस बार मानसून सामान्य नहीं रहा है, जिसके कारण कई क्षेत्र सूखे की चपेट में है और कई स्थानों पर बाढ आ गई है। इस कारण मंहगाई खासतौर से खाद्यान्नों की कीमतें बढ़ना चिंता का विषय है। ऐसे में किसानों की समस्याओं पर भी पूरा ध्यान देने की जरूरत है।राष्ट्रपति ने कहा कि अगर अपेक्षाओं के अनुरूप प्रगति नहीं होती तो युवाओं में भारी निराशा होगी। युवाओं की ज्ञान की पिपासा को पूरी करके हम उनकी क्षमता बढ़ा सकते हैं तथा इसके साथ भारत को प्रगति के पथ पर तेजी से आगे ले जा सकते हैं। बेहतर शिक्षा पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा बीज है तो अर्थव्यवस्था फल है। अच्छी शिक्षा से अर्थव्यवस्था भूख, रोग और गरीबी कम होगी।

देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए लोकसभा में सरकार से आज इस मुद्दे पर श्वेतपत्र जारी करने और सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने की मांग की गयी। कम्युनिस्ट पार्टी के गुरूदास दासगुप्ता ने सदन में शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाते हुए दावा किया, 'देश की अर्थव्यवस्था इतने गहरे संकट में है , जितना पहले कभी नहीं हुई। '
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था अभूतपूर्व मंदी , निवेश की कमी, उत्पादन और निर्माण के ठप हो जाने , उद्योग, कृषि और सेवा समेत सभी क्षेत्रों में गिरावट की ओर बढ़ रही है। देश का औद्योगिक सूचकांक 0.1 प्रतिशत तक आ गिरा है। दासगुप्ता ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की रेटिंग घट रही है , रूपये का अवमूल्यन हो रहा है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लगभग समाप्त हो चुका है।सरकार से इस पूरी स्थिति पर श्वेतपत्र लाने की मांग करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि देश की अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय मंदी के कारण नहीं बल्कि सरकार की खराब आर्थिक नीतियों के कारण इस स्थिति में पहुंची है। उन्होंने इसे दुखद बताया कि परसों स्वतंत्रता दिवस अर्थव्यवस्था पर छायी इस महामंदी के साये में मनाया जाएगा।

विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इस मुद्दे से खुद को संबद्ध करते हुए देश की आर्थिक स्थिति पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने की मांग की और इस मुद्दे पर सदन में जल्द से जल्द चर्चा कराए जाने को कहा।

भाजपा के हरेन पाठक ने काले धन का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि सदस्यों की मांग पर सरकार इस मुद्दे पर श्वेतपत्र तो ले आयी लेकिन उसने इसमें 'छुपाया ज्यादा , बताया कम।' उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने से इसलिए कतरा रही है क्योंकि सरकार में शामिल कई लोगों का काला धन विदेशों में जमा है।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद को सर्वोच्च बताते हुए आगाह किया कि अगर लोकतांत्रिक संस्थाओं पर प्रहार हुआ तो देश में अव्यवस्था फैल जाएगी। राष्ट्र के नाम अपने पहले सम्बोधन में मुखर्जी ने कहा, भ्रष्टाचार  का विरोध जायज है लेकिन यह लोकतांत्रिक संस्थाओं पर आक्रमण करने का बहाना नहीं बन सकता। मुखर्जी ने चेतावनी दी है कि अगर देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला होगा तो इससे अव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।  उन्होंने कहा कि हमें आजादी के दूसरे संघर्ष की आवश्यकता है। इस बार यह सुनिश्चित करने के लिए दूसरा स्वतंत्रता संग्राम लड़ना होगा कि भारत भूख, बीमारी और गरीबी से हमेशा के लिए मुक्त हो जाए। मुखर्जी ने पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के हवाले से कहा कि आर्थिक प्रगति लोकतंत्र की परीक्षाओं में से एक होती है।हिंसाग्रस्त असम में लोगों के जख्मों पर मरहम रखने की प्रक्रिया शुरू करने पर जोर देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि ऐतिहासिक असम समझौते पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है और इसे न्याय एवं राष्ट्रहित की भावना से मौजूदा परिस्थितियों के अनुकूल बनाया जाना चाहिए।स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में मुखर्जी ने कहा कि असम के जख्मों को भरने के लिए ठोस प्रयास किये गये, जिनमें असम समझौता भी शामिल है, जो हमारे युवा एवं प्रिय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का विचार था। हमें उस पर दोबारा चर्चा करनी चाहिए और न्याय एवं राष्ट्रहित की भावना से उसे मौजूदा परिस्थितियों के अनुकूल बनाया जाना चाहिए।जातीय समूहों के बीच तनाव पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश की स्थिरता के लिए खतरा बनने वाली पुरानी आग पूरी तरह बुझी नहीं है. उसमें से अभी भी धुआं निकलना जारी है। मुखर्जी ने कहा कि हमारे अल्पसंख्यकों को आघात से सुरक्षा, तसल्ली और समझ की जरूरत है। हिंसा कोई विकल्प नहीं है बल्कि हिंसा अपने से कहीं बडी हिंसा को आमंत्रित करती ।

भले ही योग गुरू कांग्रेस हटाओ देश बचाओ का नारा लगा रहे हैं, लेकिन आने वाले दिनों में खुद उनका संगीन इल्जामों से बच पाना मुश्किल है। सीएनएन आईबीएन को सेंट्रल एक्साइज इंटेलिजेंस की एक खुफिया रिपोर्ट हाथ लगी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक बाबा रामदेव के दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट ने करोड़ों रुपए का सर्विस टैक्स नहीं चुकाया है। तो क्या केंद्र सरकार बाबा के गले में टैक्स चोरी का फंदा डालने को तैयार है?


राष्ट्रपति के तौर पर प्रणब मुखर्जी के पहले संबोधन में टीम अन्ना और बाबा रामदेव के आंदोलनों पर सख्त टिप्पणी हुई। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन भ्रष्टाचार और कालेधन के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलनों को लेकर चेतावनी दे डाली। उन्होंने माना कि लोगों में इन मुद्दों पर गुस्सा है, लेकिन इस ग़ुस्से के बहाने लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला ज़ायज़ नहीं है। लोकतांत्रिक संस्थाएं संविधान की महत्वपूर्ण स्तंभ हैं और इनमें दरार आने पर संविधान के आदर्श कमजोर होंगे। बात-बात पर आंदोलन देश में अव्यवस्था फैला सकते हैं। संसद देश की आत्मा है और उसे क़ानून बनाने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। लोकतंत्र को स्वतंत्र चुनावों के जरिए शिकायतों के समाधान के लिए बेहतरीन अवसर का वरदान प्राप्त है।

देश के 66वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संदेश में मुखर्जी ने कहा कि भ्रष्टाचार की महामारी के खिलाफ गुस्सा और आंदोलन जायज़ है क्योंकि यह महामारी हमारे देश की क्षमता का ह्रास कर रही है. उन्होंने कहा कि कभी कभार जनता अपना धैर्य खो देती है लेकिन इसे हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं पर प्रहार का बहाना नहीं बनाया जा सकता.

राष्ट्रपति ने कहा कि ये संस्थाएं संविधान के दर्शनीय स्तंभ हैं और यदि इन स्तंभों में दरार आयी तो संविधान का आदर्शवाद नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि सिद्धांतों और जनता के बीच ये संस्थाएं 'मिलन बिंदु' का काम करती हैं। हो सकता है कि हमारी संस्थाएं समय की सुस्ती का शिकार हों लेकिन इसका जवाब यह नहीं है कि जो निर्मित किया गया है, उसे ध्वस्त किया जाए. बल्कि करना यह चाहिए कि उन्हें फिर से तैयार किया जाए ताकि वे पहले के मुकाबले अधिक मजबूत बन सकें. संस्थाएं हमारी आजादी की अभिभावक हैं।


मुखर्जी ने कहा कि विधायिका से कानून बनाने का काम नहीं छीना जा सकता. जनता को अपना असंतोष व्यक्त करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि जब अधिकारी सत्तावादी बन जाए तो लोकतंत्र पर असर होता है लेकिन जब बात बात पर आंदोलन होने लगें तो अव्यवस्था फैलती है. राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र साझा प्रक्रिया है। हम साथ-साथ ही जीतते या हारते हैं.

लोकतांत्रिक प्रकृति के लिए व्यवहार की मर्यादा और विरोधाभासी नजरियों को बर्दाश्त करना आना चाहिए. संसद अपने कैलेंडर और लय से चलेगी. उन्होंने कहा कि कभी कभार यह लय बिना तान की लग सकती है लेकिन लोकतंत्र में हमेशा फैसले का दिन आता है और वह होता है चुनाव. संसद जनता और भारत की आत्मा है. हम इसके अधिकारों और कर्तव्यों को अपने जोखिम पर चुनौती देते हैं।


मुखर्जी ने कहा कि वह उपदेश देने की भावना से यह बात नहीं कह रहे हैं बल्कि वह उन अस्तित्वपरक मुद्दों की बेहतर समझ की अपील कर रहे हैं, जो सांसारिक मुखौटे के पीछे छिपे रहते हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को जवाबदेही की महान संस्था 'स्वतंत्र चुनावों' के जरिए शिकायतों के समाधान के लिए बेहतरीन अवसर का वरदान प्राप्त है।


मुखर्जी ने कहा कि सीमाओं पर सतर्कता की आवश्यकता है और वह अंदरूनी सतर्कता से मेल खाती होनी चाहिए। हमें अपने राजतंत्र, न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के उन क्षेत्रों में विश्वसनीयता बरकरार रखनी चाहिए जहां शायद संतोष, थकान या जनसेवक के गलत आचरण के कारण काम रुका हुआ हो। अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विकास दर 1947 में एक प्रतिशत की वाषिर्क औसत दर से पिछले सात सालों में आठ प्रतिशत तक जा पहुंची है।

उन्होंने अपने भाषण में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस) के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि 27 साल पहले बना यह मंच आतंकवादियों के खिलाफ लडाई का उपयुक्त जवाब है। मुखर्जी ने कहा कि दक्षेस को अपना जनादेश पूरा करने के लिए जोश हासिल करना चाहिए. आतंकवादियों के खिलाफ साझा लड़ाई में इसे एक बड़े हथियार के रूप में काम करना चाहिए।


बाजार जुलाई में महंगाई की दर बढ़कर 7.37 प्रतिशत पर पहुंचाने का अनुमान कर रहा था। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी महंगाई के आंकड़ों में पिछले साल जुलाई में यह 9.36 प्रतिशत रही। खाने-पीने की वस्तुओं की महंगाई दर जून के 10.81 प्रतिशत से घटकर 10.06 प्रतिशत रह गई। थोक मूल्य सूचकांक में 14.3 प्रतिशत का भारांक रखने वाली इस श्रेणी की महंगाई दर पिछले साल जुलाई में 8.19 प्रतिशत थी।

विनिर्माण वर्ग की महंगाई दर पांच प्रतिशत से बढ़कर 5.58 प्रतिशत पर पहुंच गई। विनिर्माण श्रेणी में सूती कपड़ा, कागज, सीमेंट और चूने के दामों में बढ़ोतरी हुई। जुलाई माह में वार्षिक आधार आलू 73 प्रतिशत महंगा हुआ। चावल के दाम 10.12 प्रतिशत बढे़। मोटे अनाज में 8.29 प्रतिशत और दालों की कीमतों में 28.26 प्रतिशत की तेजी आई। अंडा, मछली और मांस 16 प्रतिशत महंगे हुए। दूध 8.01 प्रतिशत और सब्जियां 24.11 प्रतिशत तेज हो गईं। हालांकि प्याज और फलों की कीमतों में कुछ नरमी दिखाई दी।

माह के दौरान प्राथमिक वस्तुओं की महंगाई दर में भी गिरावट का रुख रहा और यह जून के 10.46 प्रतिशत की तुलना में घटकर 10.39 प्रतिशत रही। ऊर्जा समूह की महंगाई दर में तेज गिरावट देखी गई। यह 10.27 प्रतिशत से गिरकर 5.98 प्रतिशत रह गई। मई माह के संशोधित महंगाई आंकड़ों में इसे 7.55 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है महंगाई के आंकडे़ जारी होने के बाद शेयर बाजारों में सुधार का रुख आया।







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