BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Monday, March 14, 2016

दो इंच का फर्क भी नहीं है हार और जीत में,फिरभी बंगाल में ममता के मुकाबले विपक्ष की चुनौतियां कम नहीं! विज्ञापित विकास और विकास के लिए निवेश के दावों का सच उजागर हो ही रहा है और धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण से कोई ज्यादा फर्क बंगाल में पड़ने वाला नहीं है क्योंकि बजरंगियों की यहां एकदम चल नहीं रही है और दूसरी तरफ केंद्र सरकार और संघ परिवार के साथ मधुर संबंध का खुलासा भी कोलकाता और दिल्ली में जनविरोधी राजकाज और केंद्र सरकार के फासिस्ट रवैये के खिलाफ मौकापरस्त मौन और विरोध के मनोरंजक अंतर्विरोधों से उजागर हैं। अल्पसंख्यकों के वोटों के जरिये या बहुसंख्यकों के हिंदुत्वकरण से बंगाल के चुनाव परिणामों पर कुछ ज्यादा असर अबकी दफा होने के आसार नहीं है। एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


दो इंच का फर्क भी नहीं है हार और जीत में,फिरभी बंगाल में ममता के मुकाबले विपक्ष की चुनौतियां कम नहीं!
विज्ञापित विकास और विकास के लिए निवेश के दावों का सच उजागर हो ही रहा है और धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण से कोई ज्यादा फर्क बंगाल में पड़ने वाला नहीं है क्योंकि बजरंगियों की यहां एकदम चल नहीं रही है और दूसरी तरफ केंद्र सरकार और संघ परिवार के साथ मधुर संबंध का खुलासा भी कोलकाता और दिल्ली में जनविरोधी राजकाज और केंद्र सरकार के फासिस्ट रवैये के खिलाफ मौकापरस्त मौन और विरोध के मनोरंजक अंतर्विरोधों से उजागर हैं।

अल्पसंख्यकों के वोटों के जरिये या बहुसंख्यकों के हिंदुत्वकरण से बंगाल के चुनाव परिणामों पर कुछ ज्यादा असर अबकी दफा होने के आसार नहीं है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
महज दर्जन भर सीटों को छोड़कर बंगाल के 294 सीटों पर कांग्रेस और वाम गठबंधन के साझे उम्मीदवार ममता दीदी के मुकाबले मैदान में होंगे।पहले चरण के मतदान के लिए हर सीट पर एक के मुकाबले एक उम्मीदवार तय है।

गौरतलब है कि पिछले चुनावों में कांग्रेस के वोट दीदी के हक में ही गिरे और जैस जिलों से खबरे आ रही हैं और कार्यकर्ताओं के तेवर हैं और साझा चुनाव प्रचार के रंग हैं,वाम कांग्रेस गठजोड़ का मुकाबला भाजपा के वोट दीदी के खाते में जोड़ भी लें तो भी हार जीत में सिर्फ दो इंच का फर्क है।

बाकी चरणों के लिए कहीं त्रिमुखी लड़ाई न हो,यह कांग्रेस और वमापक्ष सुनिश्चित कर लें तो दीदी की जीत उतनी आसान भी नहीं है।

विज्ञापित विकास और विकास के लिए निवेश के दावों का सच उजागर हो ही रहा है और धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण से कोई ज्यादा फर्क बंगाल में पड़ने वाला नहीं है क्योंकि बजरंगियों की यहां एकदम चल नहीं रही है और दूसरी तरफ केंद्र सरकार और संघ परिवार के साथ मधुर संबंध का खुलासा भी कोलकाता और दिल्ली में जनविरोधी राजकाज और केंद्र सरकार के फासिस्ट रवैये के खिलाफ मौकापरस्त मौन और विरोध के मनोरंजक अंतर्विरोधों से उजागर हैं।

अल्पसंख्यकों के वोटों के जरिये या बहुसंख्यकों के हिंदुत्वकरण से बंगाल के चुनाव परिणामों पर कुछ ज्यादा असर अबकी दफा होने के आसार नहीं है।

उम्मीदवार में साठ फीसद नये हैं और अल्पसंख्याक भी खूब है,हालाकि महिलाएं कम हैं।इसका फायदा वाम को होना है।

 जमीनी हकीकत के मुताबिक सभी समुदायों को साथ लेकर चलने की राजनीतिक सदिच्छा का सबूत अगर पेश कर सके वामपंथी नेतृत्व  तो कांग्रेस के साथ समझौते के वैचारिक विवाद के बावजूद कामयाबी के आसार है।

कांग्रेस ने तो इस वैचारिक पहेली को सुलझा ही लिया है। 

कास बात यह है कि कांग्रेस वाम गठबंधन में चुनावी रणनीति और तालमेल बैठाने का काम सोमेन मित्र कर रहे हैं जो हर इलाके की जमीनी परिस्थितियों के मुताबिक मुकाबले को संगठनात्मक तरीके से अमली जामा पहनाने के विशेषज्ञ है और पिछले चुनावों में उनकी इस विशेषज्ञता  का फायदा दीदी को हुआ था।

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