BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Saturday, January 26, 2013

अब जीना मरना भी बाजार के हवाले!पेट्रोल डीजल बिजली विनियंत्रण के बाद अब रेलवे भाड़ा का भी विनियंत्रण होने जा रहा है!

अब जीना मरना भी बाजार के हवाले!पेट्रोल डीजल बिजली विनियंत्रण के बाद अब रेलवे भाड़ा का भी विनियंत्रण होने जा रहा है!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में आर्थिक सुधारों के सामाजिक सरोकार पर जोर दिया तो इससे पहले वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने अमीरों पर टैक्स लगाने की बत कही।पब्तिक को उल्लू बनाने के इस खेल का मकसद युवराज की ताजपोशी के अलावा और कुछ नहीं है।अश्वमेध अभियान बदस्तूर जारी है। जनसंहार की नीतियों की निरंतरता मैं खिसा व्यवधान की कोई संभावना नहीं है । और अब तो क्रमशः जीना मरना भी बाजार के हवाले है। हर जरुरी बुनियादी सेवाएं बाजेर के हवाले करके पूरे देश को कारपोरेट वधस्थल में तब्दील किया गया है। डिजिटल बायोमेट्रिक नागरिकता के जरिये हमारे वजूद को बाजार​ ​ की मर्जी पर छोड़ दिया गया है।वित्तीय गाटा और भुगतान संतुलन के संकट से निपटने के लिए अर्थव्यवस्था के बुनियादी मुद्दों पर ध्यान दिये बिना बाजार से बहुजनों को खदेड़ने के एकसूत्री वित्तीय नीति है। पूंजीपतियों को लाखों करोड़ के टैक्स छूट में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, गार के भूत को दपनाकर चिदंबरम ने बता ही दिया है। पर नकद सब्सिडी के बहाने सब्सिडी ही खत्म की जा रही है। युद्धोन्मादी धर्म राष्ट्रवाद के आवाहन के साथ पक्ष विपक्ष के साझा उपक्रम बतौर देश को युद्ध गृहयुद्ध कारोबार का रण बना दिया गया है। पेट्रोल डीजल बिजली विनियंत्रण के बाद अब रेलवे भाड़ा का भी विनियंत्रण होने जा रहा है। दस साल बाद बढ़े रेल किराये का मीडिया ने जैसा महिमामंडन किया, उसके बाद इस सरकारी फैसले पर अमल करने में सत्तावर्ग को कोई मुश्किल होगी, इसकी आशंका नहीं है।रेल भाड़ा प्राधिकरण के हवाले करके इसे बाजार से जोड़ने के लिए जरुरी है कि वह रेल बजट को अलग से पेश किए जाने की लंबे अर्से से चली आ रही परंपरा खत्म करने के लिए एक साहस भरा कदम उठाएं। भारतीय रेलवे के कुल बजट का आकार कुछ सरकारी क्षेत्र की इकाइयों से भी छोटा है। केंद्र सरकार के कुल सालाना खर्च को भी देखें तो रेल बजट उसका महज 10 फीसदी ही है। तो फिर भारतीय रेलवे को अलग से बजट पेश करने की क्या जरूरत है। इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि भारतीय रेलवे अपने पूंजीगत खर्च, पुरानी और खराब हो चुकी संपत्तियों को ठीक करने और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन की व्यवस्था किस तरह करता है।

कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी चूंकि इंदिरा जमाने के समाजवादी हैं, इसलिए राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने आर्थिक संस्कारों में अंकुश लगाने की कोशिश की है। दरअसल यह जयपुर मंथन का परिणाम है। वैसे भी राष्ट्रपति भवन को चंडीमंडप में बदल देने वाले राष्ट्रपति से कोई अलग उम्मीद ​​करना गलतफहमी में जीना है। फिर इंदिरा गांधी के समाजवाद और गरीबी हटाओ का रहस्य तो अब सार्वजनिक है।इसी रणनीति का नतीजा है कि इस बार केंद्रीय बजट यानी आम बजट में राहुल इफेक्ट नजर आ सकता है। बजट बनने से पहले कांग्रेस कोर ग्रुप की वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के साथ होने वाली बैठक में पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल होंगे। यही वजह है कि इस बार वित्त मंत्रालय को साफ तौर पर कहा गया है कि वे बजट पूर्व की सभी सिफारिशों और सुझावों को लेकर आए। इन पर कोर ग्रुप की बैठक में चर्चा होगी और इसके बाद ही बजट की रूपरेखा तय हो सकती है।लोकसभा चुनावों से पहले यूपीए सरकार का यह आखिरी बजट होगा। इस पर मार्केट और आम आदमी की खास नजरें होंगी क्योंकि यह बजट आर्थिक के साथ राजनीतिक फायदे-नुकसान से सीधे तौर पर जुड़ा होगा। निश्चित तौर पर कांग्रेस पार्टी ऐसा बजट बनाना पसंद करेगी, जिससे आर्थिक विकास की गति तो बढ़े, मगर आम आदमी की जेब पर भार भी कम पड़े ताकि राजनीतिक रूप से आम आदमी से जुड़ने में उसको परेशानी न आए।बजट चाहे जितना लोकलुभावन शक्ल अख्तियार करें या राष्ट्रपति से लेकर वित्तमंत्री तक चाहे जितना प्यार और सरोकरा की बातें करके जनमानस को सहलायें, सुधारों के एजंडे पर इसका कोई असर नहीं होनेवाला। सब चीजें बाजार पर छोड़ दिया जाये, तो सरकार की जिम्मेवारी कहां बनती है जो कुछ करना होगा बाजार कर देगा सरकार तो लोकलुभावन बनी रहेगी। सत्तावर्ग की यही रणनीति है। सूत्रों के अनुसार इस बार वित्त मंत्रालय से कहा गया है कि बजट की आंकड़ेबाजी की बात बैठक में नहीं होगी। तमाम सिफारिशों और सुझावों की बारीकी से समीक्षा की जाएगी। यह देखा जाएगा कि कौन से सुझाव या सिफारिशें देश की अर्थव्यवस्था, मार्केट या आदमी के लिए बेहतर है। इनका प्रभाव इन सब पर किस तरीके से पड़ेगा और उसका परिणाम क्या होगा। बैठक में कांग्रेस में नंबर दो राहुल गांधी भी शामिल होंगे। निश्चित तौर पर बजट के सुझावों पर उनकी राय काफी अहम होगी।वित्तमंत्रा और राष्ट्रपति के उद्गारों में इसी रणनीति को अमल में लाने की तैयारी है। इस बार कांग्रेस की सबसे अहम चुनौती है संतुलित बजट बनाना। कांग्रेस पर ऐसा बजट बनाने या बनवाने का दबाव है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़े, आर्थिक सुधार की गाड़ी बिना किसी रुकावट की चलती रहे। मार्केट में मनी फ्लो बढ़े और आमदनी में उम्मीद के अनुरूप इजाफा हो। इन सब बातों के साथ कांग्रेस को यह भी देखना होगा कि इस काम में कहीं आम आदमी से उसकी दूरी न हो जाए। महंगाई इतना फन न उठा ले कि आम आदमी के मुंह से बस आह ही आह निकले। ब्याज दरों में कमी की आस पाले आम आदमी के लिए कर्ज लेना इतना मुश्किल न हो जाए कि उसका आर्थिक विकास रुक जाए। साथ ही मार्केट का विस्तार होता रहे ताकि आम आदमी की सैलरी में इजाफा हो और युवाओं के लिये मार्केट में नौकरियां बढ़े।

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि राजधानी में चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से बलात्कार और जघन्य कृत्य की घटना से सबक लेते हुए देश को अपनी नैतिक दिशा को फिर से निर्धारित करनी होगी और युवाओं को अपने सपनों को साकार करने का अवसर देना होगा। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने पहले संदेश में मुखर्जी ने महिलाओं के सम्मान की रक्षा और युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कराने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने भरोसा जताया कि अगले एक दशक में भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार आएगा। उन्होंने सीमा पार आतंकवाद पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पिछला वर्ष हम सभी के लिए परीक्षा का वर्षा रहा है। आर्थिक सुधारों के पथ पर अग्रसर होते हुए हमें बाजार आधारित अर्थव्यवस्थाओं की वर्तमान समस्याओं के प्रति जागरूक रहना होगा। बहुत से धनी राष्ट्र अब सामाजिक दायित्व रहित अधिकार की संस्कृति के जाल में फंस गए हैं। हमें इस जाल से बचना होगा।उन्होंने कहा कि हमारी नीतियों के परिणाम हमारे गांवों, खेतों, फैक्टरियों तथा स्कूलों और अस्पतालों में दिखाई देने चाहिए। आंकड़ों का उन लोगों के लिए कोई अर्थ नहीं होता, जिन्हें उनसे लाभ नहीं पहुंचता। हमें तत्काल काम में लगना होगा अन्यथा वर्तमान में जिन अशांत इलाकों का प्राय नक्सलवादी हिंसा के रूप में उल्लेख किया जाता है। उनमें और अधिक खतरनाक ढंग से विस्तार हो सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने कहा कि भारत की सबसे अजेय सम्पत्ति है, उसका खुद में विश्वास। हमारे लिए प्रत्येक चुनौती अभूतपूर्व आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता हासिल करने के हमारे सकंल्प को मजबूत बनाने का अवसर बन जाती है। इस संकल्प को खासकर बेहतर और व्यापक शिक्षा पर भारी निवेश के द्वारा मजबूत बनाना होगा।

कुल मिलाकर फिर राष्ट्रपति बुनियादी सेवाओं में निवेश यानी विदेशी पूंजी के अबाध प्रवाह की ही वकालत कर रहे हैं।

इसीतरह सिंगापुर में वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि बहुत अमीर लोगों पर 'थोड़ा अधिक' कर लगाने के प्रस्ताव पर विचार होना चाहिए।  विदेशी निवेशकों के साथ बैठकों के दौरान उन्होंने यह बात कही।

चिदंबरम ने कहा, 'मैं स्थायी कर दरों में विश्वास करता हूं। फिर भी यह मानना होगा कि जब अर्थव्यवस्था व सरकार को और संसाधनों की जरूरत है तो धनी लोगों को स्वे\'छा से अधिक भुगतान करना चाहिए।' अगले बजट पर चिदंबरम ने कहा, 'चुनाव को ध्यान में रखकर बजट नहीं बनाया जाता। चुनाव बजट से 14 महीने दूर है। आगामी बजट एक जिम्मेदार बजट होगा।' पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी. रंगराजन समेत कई विशेषज्ञों ने अमीर लोगों पर \'यादा टैक्स लगाने की जरूरत बताई है। बुधवार को विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी ने कहा था कि अमीरों पर ऊंची दर से टैक्स लगाने का सुझाव 'राजनीतिक' रूप से सही है।

भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि अगर शिंदे के बयान पर मांफी नहीं मांगी गई तो पार्टी आगामी बजट सत्र को नहीं चलने देगी।भाजपा के इस तेवर से मानसून और शीतकालीन सत्र की तरह संसद भले ही ठप हो जाये, पर कारपोरेट नीतियों को अमल में लाने के लिए संसद को बाईपास करने का दरवाजा कुल्ला हो जाने की संभावना है।बजट सरकार की आमदनी और खर्चों का बहीखाता ही नहीं होता, वह सरकार की आर्थिक नीतियों, सुधारों और राहों के कांटों-कठिनाइयों को हटाकर सुखद समाधान प्रस्तुत करने की दूर दृष्टि और भावी नीतियां तथा कार्यक्रम भी अपने दामन में लिए रहता है।

रेल किराया विनियंत्रण के रोड मैप पर जरा गौर करें। रेलमंत्री ने कहा कि रेलवे जल्द ही एक रेल किराया प्राधिकरण गठित करेगा, जो यह सिफारिश करेगा कि यात्री या माल ढुलाई किराया बढ़ाया जाए या नहीं। उन्होंने आर्थिक सम्पादकों के सलाना सम्मेलन में कहा, "हमने रेल किराया प्राधिकरण गठित करने का फैसला किया है।"रेलमंत्री ने कहा कि दो विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद फैसला लिया गया है। परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनिल काकोदकर और प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा इन समिति के अध्यक्ष थे। समिति ने अगले पांच सालों में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि की जरूरत बताई थी। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनय मित्तल ने कहा कि प्राधिकरण रेलवे को ईंधन के ऊंचे मूल्य और अत्यधिक लागत खर्च के असर से बचाएगा। उन्होंने कहा, "हमने पिछले एक दशक से यात्री किराया नहीं बढ़ाया है।बंसल से पहले रेल मंत्री रह चुके सी पी जोशी ने अपने छोटे से कार्यकाल में यात्री किराया और माल भाड़ा तय करने के लिए एक प्राधिकरण के गठन के लिए कैबिनेट नोट तैयार किया था। किराया कैसे तय किया जाएगा और वह प्राधिकरण कितना स्वायत्त होगा, इसकी बारीकियां जोशी ने तय नहीं की थीं।

यानी सरकारी पैसले या बजट के झंझट के बगैर बाजार के मुताबिक लागत के हिसाब से प्राधिकरण रेलकिराया जब चाहे तब बढ़ाने के लिए ​​स्वतंत्र होगा।रेल मंत्रालय या रेलमंत्री की राजनीतिक मजबूरी रेल किराया बृद्धि में बाधक नहीं होगी। पेट्रोल और डीजल, बिजली की दरों को जैसे बाजार से जोड़ दिया गया है, ठीक उसीतरह रेल किराया भी बाजार से ही तय हो जायेगा।योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने  रेल भाड़ा प्राधिकरण के गठन पर जोर दिया है। इस प्राधिकरण पर यात्री किराए और माल ढुलाई भाड़ा को दुरुस्त करने का जिम्मा होगा।आयोग के विचार से, इससे भारतीय रेलवे को आने वाले वषरें में अपनी पूंजीगत खर्चे के लिए व्यापक स्तर पर संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी।रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनय मित्तल ने कहा कि रेलवे की माली हालत इन दिनों काफी गंभीर है। कर्मचारियों को छठवें वेतन आयोग का लाभ दिए जाने से 73 हजार करोड का अतिरिक्त भार पड़ा है। अब जबकि मंहगाई बढ़ रही है और रेलवे परिचालन की लागत में भी बढ़ रही है ऐसी स्थिति में रेल यात्री किराया में बढोत्तरी भी जरूरी है। इसके लिए एक शीघ्र ही रेल टेरिफ प्राधिकरण का गठन किया जा रहा है जो रेल यात्री किराया का निर्धारण करेगा।ज्यादातर सुधारवादी नए रेल मंत्री पवन कुमार बंसल की प्रशंसा करने से नहीं चूकेंगे। रेल भवन में पदभार संभालने के बाद पहले ही दिन बंसल ने यात्री भाड़ा बढ़ाने की पैरवी की और कहा कि इसके बिना भारतीय रेल वित्तीय संकट में घिर जाएगी।

रेलवे अपनी पूरी की पूरी आय रेलवे के संचालन पर ही खर्च कर डालती है और इसे कई कार्यों के लिए धन की जरूरत है। मार्च में तत्कालीन रेलमंत्री ने किराया बढ़ाने की कोशिश की थी, लेकिन तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के नाराज हो जाने के कारण उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। उनकी पार्टी के ही अगले मंत्री मुकुल राय ने उनकी सिफारिश कुछ हद तक वापस ले ली थी। जोशी ने सुरक्षा और यात्री सुविधा को सर्वोपरि बताया और कहा कि वे बाधाओं और लोगों की उम्मीदों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करेंगे।

हालांकि भारतीय रेल किसी भी अन्य प्रकार के परिवहन से कहीं सस्ता साधन है, फिर भी भारतीय रेलवे कभी किसी भारी घाटे में नहीं रही। पिछले लगभग एक दशक से भी अधिक समय से भारतीय रेलवे एक लाभकारी उपम के नाते उभरी है और इससे सरकारी राजस्व को भी भारी लाभ हुआ। लेकिन वर्ष 2010-11 में रेलवे की वित्तीय व्यवस्था काफी खराब हो गई और रेलवे का घाटा असहनीय हो गया। वर्ष 2007-2008 में रेलवे के पास 19,000 करोड़ रूपये के नकद अधिकोष था, जिसका बहुत बड़ा हिस्सा मई 2010 तक समाप्त हो गया और रेलवे के पास मात्रा 5,000 करोड़ का ही अधिकोष बचा। अप्रैल से दिसम्बर 2010 के दौरान रेलवे के वित्तीय परिणाम उत्साहजनक नहीं थे और यह माना जाता है कि वर्ष 2010-11 का राजस्व लक्ष्य भी प्राप्त नहीं हो सका। इससे विदित है कि रेलवे का वित्तीय स्वास्थ्य बहुत अच्छा नहीं है और सितम्बर माह आते-आते नकद अधिकोष मात्र 75 लाख रूपये रह गये थे। रेलवे को अपने विस्तार के लिए वर्ष 2020 तक 14 लाख करोड़ रूपये की जरूरत पड़ेगी।

जनता पहले से ही रेलवे किराये के नये तौर तरीके से गदगद है क्योंकि टिकट लेने या फिर सामान बुक कराने में छुट्टे रुपये के लिए अब रेलवे में कोई झंझट नहीं होगी। बस दो का पांच और सात का 10 रुपये अदा करें। टिकट विंडो पर यात्रियों की मुश्किल कम करने के लिए रेलवे ने पांच के गुणांक में किराया कर दिया है। ऐसे में यह आम लोगों की जेब पर डाका डालेगा।करीब दस साल के बाद रेलवे ने एसी प्रथम, द्वितीय व तृतीय, स्लीपर क्लास के किराए में बढ़ोतरी की है। यह बढ़ोतरी छह से दस पैसे प्रति किमी है। टिकट विंडो पर खुले पैसे को लेकर अक्सर झंझट होता था परंतु अब इसे खत्म करने के लिए किराए को पांच के गुणांक के आधार पर तय किया गया है।इस पर तुर्रा यह कि जनरल कोच का एडवांस टिकट लेकर महाकुंभ मेले में इलाहबाद गए लोगों से भी रेलवे बढ़ा हुआ किराया वसूलेगी। आरक्षित कोचों की तरह ही जनरल कोच के यात्रियों से ट्रेन में बढ़ा किराया वसूलने के लिए रेलवे ने अपने सभी कर्मियों को व्यापक दिशा-निर्देश दिए हैं।यात्रा के दौरान जैसे ही टीटीई के सामने एडवांस टिकट आएगा, वह बढ़े हुए किराए के हिसाब से अतिरिक्त राशि यात्री से ले लेंगे।इलाहाबाद में महाकुंभ के दौरान 14 जनवरी से 10 मार्च के बीच रेलवे ने एडवांस जनरल टिकट यात्रा के 15 दिन पहले खरीदने की विशेष सुविधा दी थी। यह सुविधा इलाहाबाद और उसके आसपास के 15 स्टेशनों के लिए थी।शर्त यह थी कि टिकट कम-से-कम 200 किमी की यात्रा का हो। 19 से 21 जनवरी के बीच जनरल एडवांस टिकटों की बिक्री बंद हो गई थी।इससे पहले जिन यात्रियों ने एडवांस जनरल टिकट खरीदे थे, उनसे यात्रा के दौरान अतिरिक्त राशि वसूली जाएगी।

यहीं नहीं, सरकार चीनी विनियंत्रण पर फैसला अगले 2 महीने में ले लेगी। हालांकि, ये डीकंट्रोल आंशिक ही होगा। खाद्य मंत्री के वी थॉमस के मुताबिक चीनी विनियंत्रण पर रंगराजन कमेटी की रिपोर्ट मंत्रालय के पास आ गई है। रंगराजन कमेटी ने लेवी कोटा हटाने की सिफारिश की थी।विनियंत्रण के तहत पहले चरण में लेवी शुगर और रिलीज ऑर्डर की व्यवस्था खत्म की जाएगी। लेवी शुगर के तहत सरकार 10 फीसदी कम दाम पर मिलों से चीनी खरीदती है।रिलीज ऑर्डर के तहत सरकार बताती है कि कब उसे चीनी चाहिए। नियंत्रण हटने के बाद चीनी कंपनियों को अपनी मर्जी से चीनी सप्लाई करने की छूट मिलेगी।

अगले महीने पेश होने वाला बजट पावर सेक्टर के लिए खुशखबरी ला सकता है। एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक सरकार बिजली कंपनियों के लिए अगले 2 साल तक टैक्स छूट जारी रखने का फैसला ले सकती है।इससे 31 मार्च 2015 तक प्रोडक्शन शुरू करने वाले प्लांट को फायदा होगा। फिलहाल टैक्स हॉलिडे की मियाद 31 मार्च 2013 तक की है। बिजली बनाने वाली और ट्रांसमिशन कंपनियों दोनों को राहत  दी जाएगी।इसके अलावा पावर कंपनियों के मुनाफे पर आयकर छूट संभव है। प्लांट में लगने वाली मशीनों पर डेप्रिशिएशन 15 फीसदी की बजाय 25 फीसदी किया जा सकता है। साथ ही, विदेश से कर्ज लेने की शर्तें आसान की जा सकती है।गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2013 की तीसरी तिमाही में रिलायंस पावर का मुनाफा 30.2 फीसदी बढ़कर 265.4 करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2012 की तीसरी तिमाही में कंपनी का मुनाफा 204 करोड़ रुपये रहा था।वित्त वर्ष 2013 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में रिलायंस पावर की बिक्री 3 गुना बढ़कर 1464 करोड़ रुपये हो गई है। वित्त वर्ष 2012 की अक्टूबर दिसंबर तिमाही में रिलायंस पावर की बिक्री 467 करोड़ रुपये रही थी।साल दर साल आधार पर रिलायंस पावर की अन्य आय 217 करोड़ रुपये से घटकर 122 करोड़ रुपये हो गई है। वहीं सालाना आधार पर एबिटडा 150 करोड़ रुपये से बढ़कर 493 करोड़ रुपये पहुंच गया है।रिलायंस पावर के के रोसा प्लांट में 1200 मेगावॉट पावर का काम शुरु हो गया है। इसमें 103 फीसदी क्षमता पर काम हो रहा है। वहीं सासन यूएमपीपी के अगले कुछ हफ्तों में कमीशन होने की उम्मीद है।बुटीबोरी प्लांट की दूसरी यूनिट में भी काम शुरु हो गया है। वहीं राजस्थान में सोलर सीएसपी प्रोजेक्ट वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में कमीशन हो जाएगा।

इसी परिदृश्य में विनियंत्रण को अर्थव्यवस्था के लिए अचूक रामवाण माना जारहा है। सिर्फ पेट्रोल का मामला ही इकलौता नहीं है, जहां विनियंत्रण और कीमतों में बार-बार हो रही बढ़ोतरी के बाद खपत घटी है। इस वजह से डीजल की मांग बढ़ी है।लेकिन डीजल भी अब विनियंत्रित है। तो क्या लोग गाड़ियों से चलना बंद कर देंगे?

गौरतलब है कि यूरिया को छोड़कर बाकी उर्वरकों पर सरकार सब्सिडी सीमित कर रही है, लिहाजा ऊंची कीमत की वजह से डीएपी और एमओपी की खपत घटी है। डीएपी की खपत साल 2002-03 के बाद पहली बार घटी है जबकि एमओपी की खपत पिछले वित्त वर्ष में असामान्य रूप से 28 फीसदी घटने का अनुमान है। हालांकि एनबीएस योजना के बाहर रहने वाले यूरिया की खपत बढ़ी है और इस वजह से संतुलित उर्वरक के इस्तेमाल का मामला बेमेल हो गया है।पेट्रोल के विनियंत्रण से दो महीने पहले यानी 1 अप्रैल 2010 को एनबीएस योजना लागू हुई थी। एनबीएस के तहत उत्पादों की पोषकता - नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और सल्फर - के आधार पर सीधे किसानों को सब्सिडी दी जाती है। इससे अधिकतम खुदरा कीमतों का कोई मामला नहीं रहा, जिस पर उर्वरक कंपनियों को अपना उत्पाद बेचना पड़ता था। पहले एमआरपी तय होता था जबकि सब्सिडी मेंं बदलाव होता था। अब सब्सिडी तय होती है और एमआरपी बदलती रहती है। हालांकि यूरिया अभ भी एमआरपी के दायरे में है। एनबीएस के साथ सरकार को उम्मीद थी कि यूरिया का बेहतर तरीके से इस्तेमाल होगा। पर इस उम्मीद के उलट यूरिया की खपत बढ़ रही है। अभी भी यूरिया सबसे सस्ता उर्वरक है क्योंकि इसकी कीमतें नियंत्रित हैं। डीजल की तरह ही यूरिया के विनियंत्रण का सरकार का इरादा है।

बजट उम्मीदें: रियल एस्टेट को इंफ्रा का दर्जा

ग्राहकों की कमी और बढ़ते कर्ज से जूझ रहे रियल्टी सेक्टर को बजट से काफी उम्मीदें हैं। इंडस्ट्री की मांग है कि रियल्टी सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिया जाए।इसके अलावा रियल्टी सेक्टर की मांग है कि सरकार डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स को कम करे या पूरी तरह से हटाए।

अंसल प्रॉपर्टीज के सीओओ, दिनेश गुप्ता का कहना है कि देश की ग्रोथ में रियल्टी सेक्टर का बड़ा हिस्सा है। सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा मिलने से ग्राहकों का फायदा होगा।इसके अलावा होम लोन महंगा होने की वजह से भी रियल्टी कंपनियों पर मार पड़ रही है। दिनेश गुप्ता के मुताबिक हाउसिंग लोन पर ब्याज दरें कम की जाए। या फिर होम लोन पर छूट मिलनी चाहिए।

उर्वरक नीति

निरंतर कृषि के विकास और संतुलित पोषक तत्व आवेदन को बढ़ावा देने के लिए, यह जरूरी है कि उर्वरक किसानों को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध बना रहे हैं.इस उद्देश्य के साथ, केवल नियंत्रित उर्वरक की जा रही यूरिया, सांविधिक वर्दी अधिसूचित बिक्री मूल्य पर बेचा जाता है, और विनियंत्रित फास्फेटिक और पोटाश fertilizes संकेतात्मक अधिकतम खुदरा मूल्य (MRPs) पर बेचा. नियंत्रित कीमतों के लिए संदर्भ के साथ अपने निवेश पर एक उचित लाभ कमाने में विनिर्माण द्वारा समस्याओं का सामना करना पड़ा, यूरिया इकाइयों के लिए नई मूल्य निर्धारण योजना और विनियंत्रित फास्फेटिक और पोटाश उर्वरकों के लिए रियायत योजना के तहत सहायता प्रदान करके कम कर रहे हैं. सांविधिक रूप से अधिसूचित बिक्री मूल्य और संकेतात्मक एमआरपी सामान्यत है चाहे विनिर्माण इकाई के उत्पादन की लागत से भी कम है. उत्पादन लागत और बिक्री मूल्य / एमआरपी के बीच अंतर / निर्माताओं के लिए सब्सिडी रियायत के रूप में भुगतान किया जाता है. स्वदेशी और आयातित दोनों उर्वरकों का उपभोक्ता मूल्य के रूप में समान रूप से तय कर रहे हैं, वित्तीय सहायता आयातित यूरिया और विनियंत्रित फास्फेटिक और पोटाश उर्वरकों पर भी दिया जाता है.

यूरिया मूल्य निर्धारण नीति:

2003/03/31 तक, यूरिया निर्माताओं के लिए सब्सिडी तत्कालीन रिटेंशन प्राइस योजना (आर पी एस) के प्रावधानों के संदर्भ में विनियमित किया जा रहा था.आर पी एस, प्रतिधारण मूल्य (प्लस नेटवर्थ पर 12% पोस्ट कर रिटर्न सरकार द्वारा मूल्यांकन के रूप में उत्पादन की लागत) और सांविधिक रूप से अधिसूचित बिक्री मूल्य के बीच अंतर के तहत प्रत्येक यूरिया इकाई को सब्सिडी के रूप में भुगतान किया गया था. व्यय सुधार आयोग (ईआरसी), श्री के.पी. Geethakrishnan की अध्यक्षता भी renationalizing उर्वरक सब्सिडी के मुद्दे की जांच की थी. 20 सितंबर, 2000, ईआरसी की सिफारिश की, अन्य बातों के साथ - साथ, मौजूदा आर पी एस की समाप्ति पर और अपनी जगह में इस्तेमाल फीडस्टॉक और पौधों के पुराने पर आधारित यूरिया इकाइयों के लिए एक रियायत योजना के परिचय प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में.

यूरिया के लिए नई मूल्य निर्धारण योजना (एनपीएस) के प्रभावी 1 अप्रैल, 2003 पेश किया गया था. मैं एनपीएस के चरण 1 अप्रैल से एक वर्ष की अवधि के, 2003 से 31 मार्च, 2004 और स्टेज-II दो वर्ष की अवधि के 1 अप्रैल से 31 मार्च, 2006 तक किया गया था. एनपीएस के चरण III कार्यान्वित प्रभावी 1st अक्टूबर, 2006 के साथ, द्वितीय स्टेज एनपीएस के 31 सितंबर, 2006 तक बढ़ाया खड़ा है.

यूरिया इकाइयों के लिए तृतीय - नई मूल्य निर्धारण योजना स्टेज में संशोधन.

एनपीएस III में संशोधन के बाद किया गया है

यह निर्णय लिया गया है कि प्रत्येक यूरिया कड़ाई से नई मूल्य निर्धारण योजना III के तहत समूह औसत सिद्धांत की वजह से इकाइयों की तय लागत में कमी Normated फिक्स्ड आधार रियायत दरों के तहत अभिकलन लागत का 10% करने के लिए प्रतिबंधित किया जाएगा. तय की लागत की कमी पर सीमा लागू प्रभावी 1 अप्रैल, 2009 हो जाएगा.

पोस्ट की क्षमता का उपयोग किया - 1992 नाप्था आधारित समूह का औसत यूरिया इकाइयों के आधार रियायत दर की गणना के लिए 98% के बजाय 95% के रूप में माना जाएगा कोई भी कीमत प्रदान की दिशा में रूपांतरण एनपीएस क्ष्क्ष्क्ष् के तहत मान्यता प्राप्त है. अनुमोदित संशोधनों को मदद मिलेगी स्वदेशी यूरिया इकाइयों को उनकी नई मूल्य निर्धारण योजना स्टेज के अंतर्गत औसतन समूह के कारण घाटे को कम - III और उन्हें आधुनिकीकरण और वृद्धि की दक्षता की दिशा में अपने संयंत्रों में पुनर्निवेश के लिए संसाधनों का सृजन करने में मदद.

मामले में यूरिया के शेयरों को बनाए रखने के लिए या तो feedstocks या देरी / आयात में व्यवधान की आपूर्ति में व्यवधान और / मांग की कमी में अचानक उछाल, एक बफर संग्रहण के लिए योजना यूरिया में कार्यान्वयन के तहत प्रमुख है पर ज्वार के कारण उत्पादन में कमी है अमेरिका. कंपनियों निम्नलिखित मानकों पर बफर मोजा व्यय की प्रतिपूर्ति कर रहे हैं. बफर स्टाक के संचालन के लिए कंपनी के लिए एक दर 1 प्रतिशत अंक के रूप में समय समय पर अधिसूचित भारतीय स्टेट बैंक की पीएलआर से कम भार उठाते लागत (आईसीसी) इन्वेंटरी के हकदार होंगे. इस दर लागू at4650 (डीलर ie4830-180 मार्जिन से कम एमआरपी) प्रति मीट्रिक टन मात्रा के लिए और अवधि जिसके लिए बफर स्टॉक के रूप में किया जाता है होगा. सहकारी समितियों के मामले में, यह at4630 प्रति मीट्रिक टन हो जाएगा प्रति मीट्रिक टन इस is200 मामले में डीलरों के मार्जिन के रूप में.


  • कंपनी प्रति माह प्रति टन बफर के रूप में किया जाता मात्रा पर of23 दर पर भंडारण और बीमा शुल्क का भुगतान किया जाएगा.
  • चूंकि सामग्री संयंत्र से बफर मोजा बात करने के लिए अर्थात और खपत अंक पर तो दो चरणों में ले जाया जाएगा, of30 दर पर प्रति मीट्रिक टन अतिरिक्त हैंडलिंग शुल्क बफर स्टाक से बेचा मात्रा पर उर्वरक कंपनी को भुगतान किया जाएगा.
  • इसके अलावा, बफर मोजा गोदाम से जिले में बफर मोजा गोदाम स्थित है के बाहर आंदोलन के मामले में ब्लॉक करने के लिए माल भी कंपनी को भुगतान किया जाएगा भाड़ा सब्सिडी के लिए एक समान नीति के तहत प्रावधानों के अनुसार, हो द्वारा की घोषणा की 1 अप्रैल, 2008 से प्रभावी के साथ सरकार.

नई मूल्य निर्धारण योजना के चरण -... परे मौजूदा यूरिया के लिए नीति के निरूपण

मंत्री (जीओएम) के एक समूह का गठन toreview उर्वरक नीति में 5 जनवरी 2011 को आयोजित themeeting का फैसला किया है ShriSaumitra चौधरी, सदस्य, PlanningCommission की अध्यक्षता में यूपीए समिति स्थापित करने के लिए यूरिया में पोषक तत्व आधारित सब्सिडी के प्रस्ताव forintroduction (NBS) की जांच और suitablerecommendations बनाने के लिए.

रियायत योजना / विनियंत्रित फास्फेटिक और पोटाश उर्वरकों के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति

भारत विनियंत्रित फास्फेटिक और 25 अगस्त 1992 से संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों पर प्रभाव के साथ पोटाश उर्वरकों (पी एंड कश्मीर) की सरकार है. विनियंत्रण के फलस्वरूप, फास्फेटिक और पोटाश उर्वरकों की कीमतें बाजार में एक तेज वृद्धि हुई है, जो उसी की मांग और खपत पर एक प्रतिकूल प्रभाव का प्रयोग दर्ज की गई. यह एन, पी एंड कश्मीर (नाइट्रोजन, फास्फेट और पोटाश) और मिट्टी की उत्पादकता के पोषक तत्वों के उपयोग में एक असंतुलन के लिए नेतृत्व किया. पी एंड कश्मीर उर्वरक, कृषि और सहकारिता विभाग के विनियंत्रण के प्रतिकूल प्रभाव को ध्यान में रखते हुए विनियंत्रित फास्फेटिक और पोटाश (पी एंड कश्मीर) पर उर्वरक के लिए रियायत योजना शुरू की तदर्थ 1992/01/10 प्रभावी है, जो सरकार द्वारा जारी की अनुमति दी गई है आधार 2010/03/31 समय - समय पर बदल पैरामीटर के साथ तक भारत का. तब सरकार विनियंत्रित पी एंड कश्मीर उर्वरकों के लिए तत्कालीन रियायत स्कीम की निरंतरता में पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति प्रभावी 2010/04/01 (एसएसपी लिए प्रभावी 2010/05/01) की शुरुआत की.

रियायत स्कीम और पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति के मूल उद्देश्य के लिए किसानों को रियायती दामों पर उर्वरक प्रदान किया गया है. प्रारंभ में, तदर्थ रियायत स्कीम डीएपी, एमओपी, NPK परिसर उर्वरकों पर सब्सिडी के लिए पेश किया गया था. यह योजना 1993-94 से भी एसएसपी के लिए बढ़ाया गया था. रियायत राज्य सरकारों द्वारा निर्माताओं / आयातकों को संवितरित किया गया था 1992-93 और 1993-94 के दौरान कृषि और सहकारिता विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए अनुदान के आधार पर. इसके बाद, डैक बिक्री के 100% के आधार पर राज्य सरकारों द्वारा जारी प्रमाण पत्र के आधार पर उर्वरक कंपनियों के लिए रियायत का भुगतान जारी करने शुरू कर दिया. सरकार ने 80% 1997-98 में रियायत की महीने वार उर्वरक कंपनियों, जो अंत में राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए बिक्री के प्रमाण पत्र के आधार पर निपटारा किया गया भुगतान खाता 'में' जारी करने की प्रणाली शुरू की. 1997-98 के दौरान, कृषि एवं सहकारिता विभाग भी एक अखिल भारतीय डीएपी / / NPK एमओपी के लिए वर्दी अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) का संकेत है शुरू कर दिया.

एसएसपी के संबंध में एमआरपी का संकेत करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों के साथ विश्राम किया. विशेष फ्रेट सब्सिडी प्रतिपूर्ति योजना भी उर्वरकों की आपूर्ति के लिए किया गया था 1997 में जम्मू एवं कश्मीर और उत्तर - पूर्वी राज्यों, जो 2008/03/31 तक जारी के दुर्गम क्षेत्रों में शुरू की. डीएपी की लागत मूल्य अध्ययन के आधार पर और एमओपी औद्योगिक लागत एवं मूल्य ब्यूरो (BICP - अब टैरिफ आयोग कहा जाता है), कृषि और सहकारिता विभाग द्वारा आयोजित लागत अतिरिक्त तिमाही आधार पर 1999/01/04 प्रभावी दृष्टिकोण के आधार पर रियायत दरों की घोषणा शुरू . निरपवाद रूप से एमआरपी से अधिक होने उर्वरकों की कुल लागत वितरित सरकार द्वारा संकेत किए गए पुराने फाटक और एमआरपी पर उर्वरकों का दिया कीमत में अंतर पर उर्वरक बेचने के लिए / निर्माताओं और आयातकों के लिए सब्सिडी के रूप में सरकार द्वारा मुआवजा किया गया था एमआरपी सरकार द्वारा संकेत दिया.योजना के प्रशासन कृषि और सहकारिता विभाग से उर्वरक विभाग 2000/01/10 प्रभावी करने के लिए स्थानांतरित किया गया था.

सरकार को बाहर काम कर रहे हैं जटिल उर्वरक 2002/04/01 प्रभावी टैरिफ कमीशन की सिफारिशों के आधार पर सब्सिडी के लिए एक नई पद्धति शुरू की.जटिल निर्माताओं गैस, नाफ्था, आयातित अमोनिया जैसे आउटसोर्सिंग, नाइट्रोजन के लिए feedstock के आधार पर समूहों में विभाजित किया गया. समय बीतने के साथ, डीएपी उद्योग की संरचना को भी बदल के रूप में नए डीएपी विनिर्माण संयंत्र के कुछ स्वदेशी फॉस्फोरिक एसिड / डीएपी के निर्माण के लिए रॉक फास्फेट का उपयोग कर स्थापित किए गए थे. तदनुसार, टैरिफ आयोग एक ताजा लागत मूल्य अध्ययन किया और फरवरी 2003 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. 2003-04 से 2007-08 के लिए रियायत की डीएपी विनिर्माण इकाइयों के लिए भुगतान प्रति दो कच्चे माल (रॉक / फास्फेट फॉस्फोरिक एसिड) के स्रोत के आधार पर समूहों के रूप में बनाया गया था. 2004-05 में सरकार के निर्णय के आधार पर उर्वरक विभाग एक पद्धति सुझाव फॉस्फोरिक एसिड की कीमत अंतरराष्ट्रीय डीएपी मूल्य के साथ लिंक का प्रस्ताव तैयार.

बाद में, मामला विशेषज्ञ समूह के लिए भेजा गया था. विशेषज्ञ समूह, प्रोफेसर अभिजीत सेन के तहत अक्टूबर 2005 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. एक अन्तर - मंत्रालयी समूह (आईएमजी) से विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों पर विचार किया गया. टैरिफ आयोग / डीएपी एमओपी और NPK परिसरों की ताजा लागत मूल्य अध्ययन किया और दिसंबर 2007 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. टैरिफ आयोग की रिपोर्ट और दीर्घकालिक दृष्टिकोण प्रोफेसर अभिजीत सेन की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समूह ने सुझाव दिया है, सरकार 2008/04/01 से डीएपी / एमओपी / NPK परिसर / नक्शे, के लिए प्रभाव के साथ रियायत स्कीम को मंजूरी दे दी परीक्षा के आधार पर जो कुछ संशोधनों के साथ 2010/03/31 तक जारी रखा. रियायत की अंतिम दरों मासिक आधार पर बाहर काम कर रहे थे.स्वदेशी डीएपी के लिए रियायत आयातित डीएपी (आयात समता मूल्य के आधार पर) के रूप में ही किया गया था. जटिल उर्वरकों पर रियायत कुछ संशोधनों के साथ टैरिफ आयोग द्वारा सिफारिश की पद्धति के आधार पर किया गया था. NPK जटिल उद्योग 4 समूहों में विभाजित किया गया था, नाइट्रोजन के स्रोत पर निर्भर करता है, विज़ावी, गैस, नाफ्था, आयातित यूरिया - अमोनिया मिश्रण और आयातित अमोनिया. जटिल सल्फर युक्त उर्वरक के लिए एक 'एस' की अलग - अलग लागत 2008/04/01 प्रभावी पहचाना गया था. रियायत स्कीम के लिए इनपुट / उर्वरक कीमतों को एक ग़ैर पद्धति के आधार पर निकाली थी.

बफर स्टॉकिंग इस योजना के तहत 3.5 लाख टन डीएपी और बफर के रूप में 1 लाख मीटरी टन एमओपी लिए के लिए के साथ जारी रखने की अनुमति दी गई थी. 2009/04/01 से प्रभाव के साथ रियायत योजना के कुछ तत्वों में संशोधन भी किए गए अंतर्राष्ट्रीय मूल्य निर्धारण गतिशीलता के लिए रियायत योजना के मापदंडों को समायोजित और 'एन' समूह के लिहाज से मूल्य निर्धारण के रूप में के रूप में अच्छी तरह से भुगतान प्रणाली को युक्तिसंगत. पी एंड कश्मीर उर्वरक के लिए मौजूदा नीति में कुछ परिवर्तन लागू किए गए. तदनुसार, प्रभावी रियायत के 2009/01/04 अंतिम दरों मासिक आधार पर बाहर काम कर रहे थे, खाते में महीने की औसत अंतरराष्ट्रीय कीमत पिछले महीने या वास्तविक भारित औसत सी एंड एफ चालू माह के लिए भारतीय बंदरगाहों पर कीमत उतरा पूर्ववर्ती ले, कम जो भी डीएपी और एमओपी के लिए सम्मान के साथ. कच्चे माल / जटिल उर्वरकों के लिए आदानों के मामले में, वहाँ एक महीने के अंतराल था. 2008/01/12 से, रियायत का भुगतान / विनियंत्रित उर्वरकों के निर्माताओं और आयातकों के लिए बनाया गया है / उर्वरकों की आगमन राज्य / विषय कंपनी के सांविधिक लेखापरीक्षक सरकार द्वारा प्राप्ति की रसीद और प्रमाणपत्र के आधार पर फाइनल में (एसएसपी को छोड़कर) मात्रा की बिक्री के आधार पर निपटान.

पी एंड कश्मीर उर्वरकों, जो सरकार / राज्य सरकार द्वारा किया गया संकेत दिया है की MRPs 2002 के बाद से लगातार 2010/03/31 तक किया गया है.NPK परिसरों के MRPs 2008/06/18 प्रभावी कम हो गई थी. आदेश में रियायत योजना में उर्वरकों की टोकरी को बढ़ाने के लिए, मोनो अमोनियम फास्फेट (एमएपी) रियायत योजना के प्रभावी 2007/1/4, ट्रिपल सुपर फास्फेट (टीएसपी) में शामिल किया गया था रियायत स्कीम 2008/01/04 प्रभावी और अमोनियम सल्फेट में शामिल किया गया (के रूप में) एम / एस सचः और एम / एस GSFC 2008/01/07 प्रभावी शामिल किया गया है द्वारा निर्मित.विनियंत्रित पी एंड कश्मीर उर्वरक के लिए रियायत योजना (एसएसपी को छोड़कर) के तहत वर्ष 2009-10 के दौरान रियायत की दर अनुबंध एक्स के अनुसार थे.

(ए) विनियंत्रित फास्फेटिक और पोटाश उर्वरकों के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति

रियायत योजना के कार्यान्वयन में, यह अनुभव किया गया है कि कोई निवेश पिछले दशक में जगह ले ली है. सब्सिडी खर्च 530% द्वारा तेजी से 2004 के दौरान उर्वरकों और आदानों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि के कारण वृद्धि के बारे में 90% के साथ वृद्धि हुई है 2009 तक. कृषि उत्पादकता सब्सिडी बिल में वृद्धि के अनुरूप में वृद्धि पंजीकृत नहीं किया. उर्वरकों की एमआरपी 2002 के बाद से स्थिर बने रहे. मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) उर्वरक शासन के सभी पहलुओं, की सिफारिश की है कि पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) रियायती उर्वरकों में पोषक तत्वों की सामग्री के आधार पर पेश किया जा सकता है में देखने के लिए गठन किया है. माननीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में 2009 और राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, कृषि उत्पादकता में सुधार और उर्वरकों के संतुलित प्रयोग सुनिश्चित करने के उद्देश्य से फास्फेटिक और पोटाश उर्वरकों के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति की शुरूआत के लिए की घोषणा की. सरकार ने पोषक तत्व आधारित (NBS) विनियंत्रित पी एंड कश्मीर उर्वरक (एसएसपी लिए प्रभावी 2010/05/01) के लिए पूर्व रियायत योजना के सिलसिले में सब्सिडी नीति प्रभावी 2010/04/01 शुरू की. पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति का विवरण निम्नानुसार हैं:


  • NBS डि अमोनियम फास्फेट (डीएपी, 18-46-0) के लिए लागू है, पोटाश (एमओपी) Muriate, मोनो अमोनियम फॉस्फेट (एमएपी, 11-52-0), ट्रिपल सुपर फास्फेट (टीएसपी, 0-46-0), जटिल उर्वरक और अमोनियम सल्फेट के 12 ग्रेड (के रूप में -. (GSFC और सचः द्वारा Caprolactum ग्रेड), जो फास्फेटिक और 31 मार्च 2010 और सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) पोटाश उर्वरकों (और पी कश्मीर) के लिए पहले रियायत स्कीम के तहत कवर थे प्राथमिक पोषक तत्वों, अर्थात् 'एन', फास्फेट 'पी' और पोटाश 'कश्मीर' नाइट्रोजन और पोषक तत्व सल्फर 'एस' उर्वरकों में निहित उपर्युक्त NBS के लिए पात्र हैं.
  • उर्वरकों के किसी भी संस्करण माध्यमिक और माइक्रोन्यूट्रेंट्स (सल्फर 'एस' को छोड़कर), के रूप में FCO के तहत के लिए प्रदान के साथ ऊपर उल्लेख किया है, भी सब्सिडी के लिए पात्र है. ऐसे उर्वरकों में माध्यमिक और माइक्रोन्यूट्रेंट्स ('एस' को छोड़कर) एक अलग प्रति टन करने के लिए प्राथमिक पोषक तत्वों के साथ साथ अपने आवेदन को प्रोत्साहित सब्सिडी को आकर्षित करती है.
  • एक अंतर मंत्रालयीन समिति (आईएमसी) सचिव (उर्वरक) के साथ गठित किया गया है अध्यक्ष और कृषि एवं सहकारिता (डीएसी), व्यय विभाग (डो), योजना आयोग और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के विभाग के संयुक्त सचिव स्तर के प्रतिनिधियों (के रूप में ) डेयर. इस समिति के प्रति 'एन' के लिए पोषक तत्वों की सब्सिडी की सिफारिश की, 'पी', 'कश्मीर' और 'एस' सरकार (उर्वरक विभाग) के फैसले के लिए वित्तीय वर्ष के शुरू होने से पहले.आईएमसी भी गढ़वाले रियायती माध्यमिक ('एस' के अलावा अन्य) और सूक्ष्म पोषक तत्वों को ले जाने के उर्वरकों पर एक प्रति टन अतिरिक्त सब्सिडी की सिफारिश की. समिति समझता है और सिफारिश की सब्सिडी शासन के तहत निर्माताओं / आयातकों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) सरकार द्वारा निर्णय के लिए, के द्वारा की जरूरत है मूल्यांकन के आवेदन के आधार पर नए उर्वरकों के शामिल किए जाने है.
  • प्रत्येक पोषक तत्व पर सालाना भुगतान किया जाएगा, अर्थात् 'एन', 'पी', 'कश्मीर' और 'एस' NBS 2010-11 के लिए सरकार द्वारा किया गया है आईएमसी की सिफारिश पर फैसला कर लिया. 2010-11 के लिए, प्रति किलो NBS और प्रत्येक सब्सिडी उर्वरक प्रभावी 1 अप्रैल 2010 के लिए प्रति टन NBS घोषणा की गई है.
  • और समाप्त उर्वरक, उर्वरक आदानों और स्वदेशी इकाइयों द्वारा उत्पादन के आयात के साथ उर्वरकों के वितरण और आंदोलन के लिए ऑनलाइन वेब आधारित "उर्वरक निगरानी प्रणाली (एफएमएस)" के रूप में पी एंड कश्मीर उर्वरकों के लिए निवर्तमान रियायत स्कीम के तहत किया जा रहा के माध्यम से नजर रखी जा जारी है.
  • कीमत विनियंत्रित उर्वरकों का उत्पादन / भारत में आयात के 20% अब आंदोलन नियंत्रण में आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत (ईसीए) है. इन उर्वरकों की आवाजाही को विनियमित करने के लिए उर्वरक विभाग के तहत कार्य क्षेत्रों में आपूर्ति पुल होगा.
  • NBS के अलावा, आंदोलन और रेल और सड़क मार्ग से विनियंत्रित उर्वरकों के वितरण के लिए माल ढुलाई के लिए देश में उर्वरकों की व्यापक उपलब्धता को सक्षम प्रदान की जा रही है.
  • जटिल उर्वरकों के 13 ग्रेड सहित सभी रियायती पी एंड कश्मीर उर्वरक, आयात ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत रखा गया है. इससे पहले आयातित जटिल उर्वरक के लिए कोई रियायत नहीं उपलब्ध था. अब, NBS आयातित जटिल उर्वरक के लिए भी उपलब्ध है. हालांकि सब्सिडी आयातित अमोनियम सल्फेट (के रूप में) पर लागू नहीं हो सकता है, के रूप में NBS केवल अमोनियम सल्फेट सचः और GSFC, दोनों सार्वजनिक क्षेत्र संस्थाओं द्वारा उत्पादित करने के लिए लागू है. यूरिया का आयात NBS नीति के पहले चरण के दौरान canalized है और यूरिया सरकारी नियंत्रण के तहत जारी है. यूरिया की एमआरपी 10% प्रभावी 2010/01/04 द्वारा बढ़ा दी गई है और 5310 PMT है.
  • हालांकि रियायती उर्वरकों के बाजार में यूरिया को छोड़कर, कीमत मांग - आपूर्ति के संतुलन पर आधारित निर्धारित किया जाता है, उर्वरक कंपनियों उर्वरक बैग पर स्पष्ट रूप से लागू सब्सिडी के साथ अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को मुद्रित करने के लिए आवश्यक हैं. मुद्रित शुद्ध एमआरपी के ऊपर किसी भी बिक्री चुनाव आयोग अधिनियम के तहत दंडनीय है.
  • अनुकूलित उर्वरकों और मिश्रण उर्वरकों के निर्माता / जिलों में कृषि प्रयोजन के लिए अनुकूलित उर्वरकों और मिश्रण उर्वरकों के विनिर्माण के लिए निवेश के रूप में उनकी प्राप्ति के बाद निर्माताओं और आयातकों से स्रोत उर्वरक सब्सिडी के लिए पात्र हैं. अनुकूलित उर्वरकों और मिश्रण उर्वरकों की बिक्री पर कोई अलग से सब्सिडी है.
  • स्वदेशी निर्माताओं जटिल नेफ्था आधारित कैप्टिव अमोनिया का उपयोग कर 'एन' के उत्पादन की उच्च लागत के लिए क्षतिपूर्ति उर्वरकों के उत्पादन के लिए एक अलग अतिरिक्त सब्सिडी प्रदान की जाती है. हालांकि, इस दो वर्ष की एक अधिकतम अवधि के दौरान जो इकाइयों को गैस कन्वर्ट करने के लिए या आयातित अमोनिया का उपयोग होगा के लिए किया जाएगा. अतिरिक्त सब्सिडी की मात्रा डो के साथ परामर्श में उर्वरक विभाग द्वारा अंतिम रूप दिया जाएगा टैरिफ आयोग द्वारा अध्ययन और सिफारिशों पर आधारित है,.
  • NBS पहले चरण के दौरान उद्योग के माध्यम से जारी किया जा रहा है. NBS / डीएपी / एमओपी / परिसर / / एमएपी टीएसपी के एसएसपी उर्वरक निर्माताओं और आयातकों के लिए भुगतान और के रूप में विभाग द्वारा अधिसूचित की प्रक्रिया के अनुसार जारी है.

(बी) पोषक तत्वों की किलो ग्राम प्रति पोषक तत्व आधारित सब्सिडी

पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति के तहत गठित अंतर मंत्रिस्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने 'एन', 'पी', 'कश्मीर' और 'एस' (नाइट्रोजन, फास्फेट, पोटाश और सल्फर) के लिए प्रति किलोग्राम NBS अनुमति दी गई है और प्रति मीट्रिक टन और 2010-11 और 2011-12 के लिए फास्फेटिक और पोटाश उर्वरकों पर सब्सिडी की राशि निम्नानुसार है:

(राशि 'में)

क्र.नहीं.

पोषक तत्वों

पोषक तत्व के किलोग्राम प्रति NBS (2010-11)

पोषक तत्व के किलोग्राम प्रति NBS (2011-12)

2011/01/01 से 2011/03/31 के लिए

2010/01/04 से 2010/12/31 के लिए

1

'एन'

23.227

23.227

20.111

2

'पी'

26.276

25.624

20.304

3

'कश्मीर'

24.487

23.987

21.386

4

'एस'

1.784

1.784

1.175


(सी) 2010-11 और 2011-12 के दौरान प्रति मीट्रिक टन पोषक तत्व आधारित सब्सिडी के रूप में इस प्रकार है:

(PMT में राशि)

उर्वरक

प्रति मीट्रिक टन पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (2010-11)

प्रति मीट्रिक टन पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (2011-12)

2011/01/01 से 2011/03/31 के लिए

2010/01/04 से 2010/12/31 के लिए

डीएपी

16268

15968

12960

एमएपी

16219

15879

12770

टीएसपी

12087

11787

9340

एमओपी

14692

14392

12831

16-20-0-13

9203

9073

7431

20-20-0-13

10133

10002

8236

23-23-0-0

11386

11236

9295

10-26-26-0

15521

15222

12850

12-32-16-0

15114

14825

12332

14-28-14-0

14037

13785

11495

14-35-14-0

15877

15578

12916

15-15-15-0

11099

10926

9270

20-20-0-0

9901

9770

8083

28-28-0-0

13861

13678

11316

17-17-17-0

12578

12383

10506

19-19-19-0

14058

13839

11742

16-16-16-0

+११,८३८ (प्रभावी 2010/07/01

पर NBS में शामिल

2010/06/08)

11654

अमोनियम सल्फेट

5195

5195

4413

एसएसपी

4400

4296

3378


(डी) उर्वरक विभाग NPK जटिल दो वर्ष की अवधि के रूप में 2010/01/04 प्रभावी के लिए नाइट्रोजन के लिए तेल / नाफ्था और फर्नेस पर आधारित उर्वरकों पर भी अतिरिक्त सब्सिडी प्रदान की गई है:

कंपनी का नाम

उर्वरक ग्रेड

अतिरिक्त मुआवजा (अनंतिम) के 'प्रति मीट्रिक टन में राशि

सचः (कोचीन)

20-20-0-13 (ए पी एस) (Udyogmandal और कोचीन)

2331

अमोनियम (20.6-0-0-13) सल्फेट (Udyogmandal)

2792

MFL, मनाली

20-20-0-13 (ए पी एस)

4784

17-17-17-0

4079

GNVFC, भरूच

20-20-0-0 (एएनपी)

1914


(ई) गढ़वाले उर्वरक के लिए सब्सिडी

माध्यमिक और FCO के अनुसार सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ गढ़वाले उर्वरकों के लिए मीट्रिक टन अतिरिक्त सब्सिडी के प्रति भी निम्नानुसार किया गया है NBS के तहत अनुमति दी:

क्र. नहीं

FCO के प्रति दुर्ग के लिए के रूप में पोषक तत्वों

गढ़वाले उर्वरकों के प्रति मीट्रिक टन अतिरिक्त सब्सिडी (')

1.

बोरान 'बटालियन'

300

2.

जिंक 'Zn'

500


(एफ) NBS के तहत सब्सिडी के भुगतान की प्रक्रिया:

उर्वरक विभाग सब्सिडी के भुगतान / पी एंड कश्मीर (एसएसपी) जिलों / राज्यों में उर्वरकों की रसीद पर आधारित उर्वरकों के निर्माताओं और आयातकों के लिए महीने वार 'खाते में 85% (90% बैंक गारंटी के साथ) विज्ञप्ति. निर्माताओं आयातकों / निर्धारित प्रोफार्मा में भुगतान खाता 'में' दावा 'ए' कंपनी के वैधानिक ऑडिटर के रूप में अधिकृत रूप में अच्छी तरह से हस्ताक्षरकर्ता द्वारा विधिवत प्रमाणित है. सब्सिडी के भुगतान संतुलन भी उर्वरक कंपनियों द्वारा निर्धारित प्रोफार्मा 'डी' में जानकारी विधिवत अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा प्रमाणित के रूप में के रूप में अच्छी तरह से कंपनी के सांविधिक लेखापरीक्षक के आधार पर दावा किया है. राज्य सरकारों के लिए निर्धारित प्रोफार्मा 'बी' में उर्वरकों की प्राप्ति में dof के लिए प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए आवश्यक हैं.एसएसपी के लिए सब्सिडी के भुगतान की बिक्री के आधार पर जारी की है. तदनुसार, पात्र इकाइयों कंपनी के वैधानिक ऑडिटर के रूप में अधिकृत रूप में अच्छी तरह से हस्ताक्षरकर्ता द्वारा विधिवत प्रमाणित एसएसपी की बिक्री के संबंध में जानकारी के आधार पर सब्सिडी का भुगतान 'खाते में 85% का दावा करने के लिए अनुमति दी जाती है. शेष dof द्वारा निर्धारित प्रोफार्मा 'बी' में राज्य सरकारों द्वारा जारी किए गए बिक्री के प्रमाणीकरण के आधार पर जारी की है. वर्तमान में, 38 पी एंड कश्मीर उर्वरकों और 82 एसएसपी निर्माताओं के निर्माताओं / आयातकों पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति के अंतर्गत आते हैं.

(G) NBS के तहत माल ढुलाई

NBS के अलावा, आंदोलन और रेल और सड़क मार्ग से विनियंत्रित उर्वरकों के वितरण के लिए माल ढुलाई के लिए देश में उर्वरकों की व्यापक उपलब्धता को सक्षम प्रदान की जा रही है. विनियंत्रित पी एंड कश्मीर उर्वरक (एसएसपी को छोड़कर) पर NBS के तहत सब्सिडी वास्तविक दावे के अनुसार भुगतान किया जा रहा है. पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति के तहत, निर्माताओं / आयातकों (एसएसपी को छोड़कर) 2010/01/04 से 2010/12/31 के लिए माल रेलवे प्राप्तियों, जो माध्यमिक आंदोलन के लिए 300 'की राशि भी शामिल है के आधार पर दावा करने के लिए अनुमति दी गई है. माध्यमिक आंदोलन भाड़ा भी एसएसपी निर्माताओं के लिए अनुमति दी गई है है. रेल आंदोलन के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी के तहत माल ढुलाई सब्सिडी 2010-11 के लिए किया गया है वास्तविक दावा प्रभावी 2011/01/01 के अनुसार अनुमति है और तदनुसार, सब्सिडी की दर प्रभावी 2011/01/01 संशोधित किया गया है. '200 PMT की एक एकमुश्त माल भाड़ा भी एसएसपी के लिए अनुमति दी गई है. पी एंड कश्मीर उर्वरकों पर माध्यमिक फ्रेट (एसएसपी को छोड़कर) वर्दी फ्रेट सब्सिडी नीति के साथ लाइन में भुगतान किया जाएगा यूरिया में लागू के रूप में 2011/01/01 प्रभावी. संयंत्र या बंदरगाह (प्राथमिक आंदोलन) से सीधे सड़क आंदोलन के लिए माल ढुलाई वास्तविक दावे के निचले और समकक्ष की एक अधिकतम दूरी 700 किलोमीटर से प्रभावी 2011/01/01 तक रेल माल ढुलाई के अधीन होगा.

(एच) पोषक तत्व आधारित सब्सिडी का प्रभाव

(I) पोषक तत्व आधारित सब्सिडी के तहत उर्वरकों की एमआरपी:

उर्वरक की एमआरपी, जो सरकार ने संकेत दिया था और 2002 के बाद से लगातार अब विनियंत्रित किया गया है पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति के तहत प्रभावी 2010/01/04. हालांकि, सरकार को इस तरह से है कि उर्वरक की एमआरपी किसानों पर प्रतिकूल प्रभावित नहीं करता है सब्सिडी को ठीक करने के लिए फैसला किया है. तदनुसार, पी एंड कश्मीर उर्वरकों की एमआरपी '30 प्रति बैग की वृद्धि दर्ज की गई है. एसएसपी का एमआरपी 'प्रति बोरी 70 से कम है.अन्य पी एंड कश्मीर उर्वरकों की एमआरपी NBS के तहत एक छोटी सी वृद्धि दर्ज की गई है. यह देखा गया है कि किसानों को उर्वरकों की वास्तविक लागत का केवल 25-40% का भुगतान किया है. एमआरपी और सब्सिडी 2010 के दौरान NBS के तहत जारी - अनुबंध - इलेवन में 11 के रूप में किया गया है.

NBS के तहत किसानों को सीधी सब्सिडी:

वर्तमान सब्सिडी शासन के तहत, उर्वरकों का अधिकतम खुदरा मूल्य है, जो उर्वरकों की वास्तविक लागत से काफी कम है पर किसानों को प्रदान की जाती हैं.तदनुसार, किसानों को उर्वरकों और लागत के बाकी की वास्तविक लागत का 25-40% का भुगतान सरकार द्वारा वहन किया जाता है. पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति के पहले चरण में सब्सिडी उर्वरक उद्योग (निर्माता बाज़ारिया / आयातकों /) के माध्यम से जारी है. सब्सिडी सीधे संवितरण किसानों को उर्वरक विभाग अवधारणा का सबूत (पायलट) किए गए पुराने फाटक स्तर पर नज़र रखने के उर्वरकों के क्रियान्वयन की व्यवहार्यता की जांच और भी करने के लिए अध्ययन के कार्यान्वयन के लिए एक सलाहकार की नियुक्ति करने की व्यवहार्यता की जांच करने के लिए सम्मान के साथ रिटेलर (खेत गेट / किसान) करने के लिए प्रत्यक्ष सब्सिडी के वितरण की व्यवहार्यता की जांच. अवधारणा का सबूत 7 राज्यों में आयोजित किया जाना प्रस्तावित है. हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, मध्य प्रदेश, असम और महाराष्ट्र लगभग 50-70 ब्लॉक में.

सब्सिडी का विमोचन

2001-02 के दौरान सरकार द्वारा प्रदान की सब्सिडी की राशि 12695.02 करोड़ रुपए है, जो तक बढ़ गया है 'वर्ष 2008-09 में 99494.71 करोड़ थी. यह वर्ष 2009-10 के दौरान 64,032.29 करोड़ रुपए थी. उर्वरक सब्सिडी के लिए बजट अनुमान 2010-11 के लिए 52,840.73 करोड़ है. एक बयान यूरिया और पी एंड कश्मीर उर्वरकों पर सब्सिडी उर्वरक जारी विभाग दिखा अनुबंध बारहवीं में है.

टैरिफ आयोग द्वारा लागत मूल्य अध्ययन

आदेश में अद्यतन / अमोनियम सल्फेट और नाफ्था NPK आधारित जटिल उर्वरक के लिए सब्सिडी के अनंतिम दरों को अंतिम रूप देने के लिए, टैरिफ आयोग के लिए लागत मूल्य अध्ययन करने के लिए और अपनी सिफारिशें देने का अनुरोध किया गया है. सरकार ने संयंत्र / जिलों बंदरगाहों से माल ढुलाई सब्सिडी के संबंध में टैरिफ कमीशन की रिपोर्ट पर विचार कर रहा है.

उर्वरक की गुणवत्ता

भारत सरकार एक आवश्यक वस्तु के रूप में उर्वरक की घोषणा की है और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 (ईसीए) के तहत इस अधिनियम के तहत उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 (FCO) अधिसूचित. तदनुसार, यह राज्य सरकारों की जिम्मेदारी / उर्वरकों के निर्माताओं और आयातकों द्वारा उर्वरकों की गुणवत्ता की आपूर्ति सुनिश्चित करने के रूप में ईसीए के तहत FCO के तहत निर्धारित है. FCO के प्रावधान के अनुसार, उर्वरक, जो गुणवत्ता के मानक को पूरा क्रम में नीचे रखी केवल किसानों को बेचा जा सकता है है. 71 उर्वरक फरीदाबाद, कल्याणी, मुंबई और चेन्नई में चार भारत सरकार की 1.34 लाख नमूनों की एक वार्षिक विश्लेषण क्षमता के साथ प्रयोगशालाओं सहित परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं. देश में आयातित उर्वरकों की गुणवत्ता निरपवाद रूप से भारत सरकार के उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं द्वारा जाँच की है.

राज्य सरकारों को पर्याप्त रूप से देश में कहीं भी उर्वरक के नमूने आकर्षित और गैर मानक उर्वरकों के विक्रेताओं के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए सशक्त हैं. दंड प्रावधान अपराधियों के अभियोजन पक्ष और वाक्य अगर प्राधिकरण के प्रमाण पत्र और अन्य प्रशासनिक कार्रवाई रद्द करने के अलावा सात साल के कारावास की ईसीए, 1955 के तहत दोषी ठहराया शामिल है. उर्वरक विभाग जिसके लिए राज्य सरकारों के लिए गैर मानक होने की सूचना है उर्वरकों की मात्रा पर कटौती के साथ दंडात्मक ब्याज बनाते हैं. वर्ष 2006-07, 2007-08 और 2008-09 के दौरान उर्वरकों के नमूने का प्रतिशत घोषित अखिल भारतीय स्तर पर गैर मानक 6.0%, 6.2% और 5.5% क्रमशः थे. पी एंड कश्मीर उर्वरकों के लिए और सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) के लिए रियायत का भुगतान खाते में गुणवत्ता का प्रमाण पत्र प्रोफार्मा 'बी' में प्राप्त की और राज्य में बेचा उर्वरकों के लिए संबंधित राज्य सरकारों द्वारा दी गई ले विभाग द्वारा किया जाता है. इसके अलावा, एसएसपी इकाइयों महीने वार 'गुणवत्ता प्रमाण पत्र' राज्य इकाइयों में जो स्थित हैं की राज्य सरकारों द्वारा जारी उत्पादन के लिए आवश्यक हैं. इकाइयों के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित प्रयोगशाला है अपनी एसएसपी का नमूना परीक्षण के लिए आवश्यक हैं.

एसएसपी इकाइयों को भी बाजार में जारी प्रत्येक बैग पर प्रिंट 'गुणवत्ता प्रमाणित' के लिए आवश्यक हैं. Dof भी पीडीआईएल deputes करने के लिए पहली बार नए एसएसपी इकाइयों के तकनीकी निरीक्षण आचरण. पीडीआईएल एसएसपी इकाइयों के छह मासिक निरीक्षण आयोजित करता है और उर्वरकों जिसके लिए इकाइयों को सब्सिडी के भुगतान का दावा कर रहे हैं की मात्रा और गुणवत्ता की जांच. इकाइयों को भी विनिर्माण एसएसपी के लिए NBS के तहत जानकारी, जो dof द्वारा समय समय पर अधिसूचित कर रहे हैं के रूप में केवल रॉक फास्फेट के उन ग्रेड का उपयोग करने के लिए आवश्यक हैं. एक बयान अधिसूचित ग्रेड दिखा अनुबंध तेरहवीं है. Dof भी राज्य सरकार ने पूछा है कि पीडीआईएल के साथ टीमों का गठन रिटेलर स्तर पर सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) के नमूने का परीक्षण. एसएसपी के बाजार भी कर रहे हैं वह उनके द्वारा विपणन उर्वरक की गुणवत्ता के लिए भी जिम्मेदार है. उर्वरक विभाग भी गठित सतर्कता विभाग के अधिकारियों की टीमों के लिए और राज्यों में उर्वरकों की उपलब्धता की गुणवत्ता की जांच.

उर्वरक के निर्यात पर प्रतिबंध

सरकार पड़ोसी देशों को रियायती उर्वरकों की तस्करी की शिकायत प्राप्त हुआ है. देश में उर्वरकों की उपलब्धता और सब्सिडी भुगतान उस पर यूरिया के लिए इसके अलावा में, देखने में रखते हुए सरकार / प्रतिबंधात्मक वर्ग में डीएपी और एमओपी के निर्यात डाल क्रम में निर्यात और तस्करी को हतोत्साहित करने का निर्णय लिया है. डीजीएफटी सभी अन्य रियायती उर्वरक प्रतिबंधित श्रेणी में भी जगह के लिए अनुरोध किया गया है.

रियायत योजना / एसएसपी के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी

94, जो 2008/04/30 तक रियायत के लिए तदर्थ आधार पर जारी रखा - पी एंड कश्मीर उर्वरकों के विनियंत्रण के बाद, एसएसपी के लिए रियायत योजना 1993 से प्रभावी पेश किया गया था. Dof प्रभावी अक्टूबर 2000 तक कृषि एवं सहकारिता विभाग से रियायत योजना के प्रशासन के हस्तांतरण के बाद, Dof दिशानिर्देशों संशोधित. तदनुसार, पीडीआईएल के तत्वावधान में एक तकनीकी लेखा परीक्षा और निरीक्षण सेल (टीएसी) गठित ख़बरदार दिशानिर्देश 2001/05/17 दिनांकित किया गया था. एसएसपी निर्माताओं रॉक फास्फेट, जो समय - समय पर किया गया है dof द्वारा रियायत के भुगतान का दावा करने के लिए अधिसूचित केवल उन ग्रेड का उपयोग करने के लिए आवश्यक थे. सभी नए एसएसपी विनिर्माण इकाइयों इकाइयों की पहली बार तकनीकी निरीक्षण से गुजरना करने के लिए उनके तकनीकी FCO के तहत निर्धारित मानकों के एसएसपी निर्माण क्षमता का पता लगाने के लिए आवश्यक थे. बाद में, इकाइयों को भी छह मासिक करने के लिए कि क्या इकाइयों के रूप में रियायत योजना के सिद्धांतों के अनुसार काम कर रहे हैं के रूप में पता लगाने के निरीक्षण से गुजरना करने के लिए आवश्यक थे.

इकाइयों के लिए रियायत का भुगतान खाता 'में 85% का दावा करने के लिए बाद ख बसे हो की अनुमति दी गई

रियायत बढ़ता गया / de-परिवर्धित / रॉक फास्फेट, सल्फर और भी विनिमय दर के कच्चे माल की कीमतों के उत्थान और पतन पर आधारित है. फिर, Dof आगे 2009/08/13 पर 2009/10/01 संशोधित नीति प्रभावी है, जो 2010/04/30 तक जारी की घोषणा की. इस नीति के अनुसार, सरकार को एसएसपी खुला प्रभावी 2009/01/10 की बिक्री मूल्य के बजाय 'अखिल भारतीय आधार पर 3400 PMT के पहले एमआरपी छोड़ने का फैसला किया. सरकार पाउडर, दानेदार और boronated एसएसपी के लिए '2000 PMT की राशि के लिए तदर्थ रियायत प्रदान की है. केवल उन एसएसपी निर्माताओं सब्सिडी है, जो वार्षिक स्थापित क्षमता या 40,000 लाख टन प्रति वर्ष के 50% का उत्पादन का दावा करने की अनुमति दी गई. रूप में अच्छी तरह के रूप में रियायत के भुगतान संतुलन 'खाता' जारी करने की प्रणाली के रूप में यह था जारी रखा. इसके अलावा, पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति भी एसएसपी प्रभावी 2010/05/01 के लिए बढ़ा दिया गया है है.

तदनुसार, क्षमता उपयोग के मानदंडों NBS के लिए पात्र होने के लिए जारी रखा है. 2010-11 के लिए NBS के अनुसार, फास्फेट और सल्फर के लिए प्रति किलोग्राम NBS है '26.276 और' 1.784 क्रमशः. तदनुसार, '4400 PMT की राशि के लिए सब्सिडी 2010-11 के लिए घोषणा की गई है. इस राशि से प्रभावी 2011/01/01 संशोधित किया गया है और तदनुसार, सब्सिडी की राशि के लिए 200 PMT '4296 PMT की एकमुश्त माल के अलावा में अनुमति दी गई है'.Boronated एसएसपी के लिए मीट्रिक टन सब्सिडी के प्रति अतिरिक्त भी 300 PMT की राशि के लिए अनुमति दी गई है है. हालांकि NBS में एसएसपी का एमआरपी विनियंत्रित किया गया है लेकिन इस उर्वरक '3200 PMT में किया गया है निर्माताओं द्वारा 2010-11 के दौरान निर्माताओं और सरकार के बीच समझौता ज्ञापन के आधार पर बेचा. फास्फेट और एसएसपी में सल्फर के लिए किलोग्राम NBS प्रति भी '25.624' और 1.784 क्रमशः 200 PMT की एकमुश्त माल भाड़ा के अलावा में एक राशि के लिए 2010-11 के लिए घोषित किया गया है. boronated एसएसपी के लिए सब्सिडी जारी किया गया है और Boronated एसएसपी के निर्माताओं को उनकी मांग और आपूर्ति बलों पर आधारित एमआरपी तय करने के लिए अनुमति दी जाती है. आदेश में एसएसपी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, एसएसपी निर्माताओं के लिए गुणवत्ता का एक प्रमाण पत्र है जिसमें इकाइयों स्थित हैं राज्य सरकारों द्वारा जारी उत्पादन के लिए आवश्यक हैं. इकाइयों को लिखने / "गुणवत्ता प्रमाणित" एसएसपी के प्रत्येक बैग पर मुद्रित करने के लिए आवश्यक हैं.






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