BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Sunday, July 1, 2012

अभी मंहगाई की मार कहां पड़ी है?

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अभी मंहगाई की मार कहां पड़ी है?

अभी मंहगाई की मार कहां पड़ी है?

By  | July 1, 2012 at 5:45 pm | No comments | राज दरबार

गैर राजनीतिक गैर​ संवैधानिक जिस बेरहम टोली ने अर्थव्यवस्था की कमान संभाली है, वह इतनी धुलाई करने वाली है कि आप सर्फ एक्सेल की करामात भूल जायेंगे!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

आखिर भारत सरकार किसकी सरकार है? लोग समझते हैं, यह उनके वोट से चुनी हुई सरकार है। पर वे कितनी गलतफहमी में हैं, इसका उन्हें कोई अंदाजा नहीं है। हम सभी जानते हैं कि देश अब खुला बाजार है और कारपोरेट लाबिइंग से राजनीति और अर्थव्यवस्था दोनों चलती है। फिर भी संसदीय राजनीति और जनता के प्रति जवाबदेही का नाटक १९९१ से चल ही रहा है। लेकिन मनमोहन सिंह के फिर वित्त मंत्रालय संभाल लेने, सत्ता वर्ग के सर्वाधिनायक विश्वपुत्र प्रणव मुखर्जी के अगला राष्ट्रपति तय हो जाने से कारपोरेट इंडिया इतना बम बम है कि अब उसे लोकतांत्रिक मुलम्मे की भी परवाह नहीं है। आदि गोदरेज न वित्तमंत्री हैं और न प्रधानमंत्री और न वे जनता या भारत सरकार के प्रतिनिधि हैं, पर वे लंदन की धरती​ ​ पर खड़े होकर बयान जारी कर रहे हैं कि अब आर्थिक सुधार तेज होंगे। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष आदि गोदरेज ने कहा कि देश में अगली तिमाही के दौरान आर्थिक सुधारों में तेजी आ सकती  है। उन्होंने कहा कि भारत में निवेश का यह सही मौका है, क्योंकि मूल्यांकन तर्कसंगत हो गया है। वाह! उनके बयान का लब्बोलुआब यह है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस सप्ताह वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार संभाल लिया। वित्त मंत्री पद से प्रणव मुखर्जी के इस्तीफा देने के बाद प्रधानमंत्री ने मंत्रालय का कार्यभार अपने हाथों में ले लिया। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया सहित प्रधानमंत्री के वरिष्ठ सलाहकार और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिये कड़ी मेहनत में जुट गये हैं। कारपोरेट लाबिइंग का लाजवाब दबाव बनाते हुए उनकी दलील है कि चूंकि हालात 2008 के सुस्ती के दौर से भी ज्यादा खराब हो गए है, इसलिए अब सरकार के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह अर्थव्यवस्था की विकास दर को पटरी पर लाए! किसका विकास, यह सवाल लेकिन बेमायने है।उन्होंने कहा कि पहली तिमाही में वृद्धि में तेजी लाने के लिए सुधार के लिहाज से बड़ी पहल दिख सकती है। उद्योग जगत सरकार को नीतिगत बदलाव का सुझाव दे रहा है जिससे निवेश और वृद्धि की प्रक्रिया फिर से तेज होगी।
जीएएआर की नई गाइडलाइंस से विदेशी फंड भी खुश नजर नहीं आ रहे हैं। एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है कि हॉन्गकॉन्ग के एफआईआई एसोसिएशन ने सरकारी सिक्योरिटी से पैसा निकालने की धमकी दी है। हॉन्गकॉन्ग के निवेशक संगठनों ने वित्त मंत्रालय को चिट्ठी लिखी है। एफआईआई का कहना है कि अगर जीएएआर को लेकर मांगे मानी नहीं जाती हैं तो सरकारी बॉन्ड्स से निवेश निकाल लिया जाएगा। एफआईआई ने सरकार से शेयर बाजार के सौदों को जीएएआर से बाहर रखने की मांग की थी। एफआईआई की मुनाफे पर तय टैक्स लगाने की मांग थी। सरकार ने एफआईआई की दोनों मांगों को खारिज किया है। एशिया सिक्योरिटीज इंडस्ट्री एंड फाइनेंशियल मार्केट एसोसिएशन और कैपिटल मार्केट टैक्स कमेटी एसोसिएशन ने बजट के बाद वित्त मंत्रालय को सुझाव भेजे थे।
मंहगाई से त्राहि-त्राहि कर रही जनता पर अभी मंहगाई की मार कहां पड़ी है, अभी ग्लोबल वार्मिंग की तर्ज पर इमर्जिंग मार्केट में आर्थिक सुधारों का असर होना बाकी है। सेवाकरों से शुरुआत भर होगी। आर्थिक सुधार के दूसरे चरण का एजंडा पूरा करने के लिए गैर राजनीतिक गैर​ संवैधानिक जिस बेरहम टोली ने अर्थव्यवस्था की कमान संभाली है, वह इतनी धुलाई करने वाली है कि आप सर्फ एक्सेल की करामात भूल जायेंगे। वित्त मंत्रालय से जाते जाते आम आदमी की ऐसी तैसी करने में प्रणवदादा ने अपने जहरीले बजट के मुताबिक कोई कसर नहीं छोडी। गार ​​की वजह से काला धन के वर्चस्व की लड़ाई में वे शहीद तो हो गये, पर कारपोरेट इंडिया के तेवर से साफ जाहिर है कि आपकी खाल खींचने में कोई कोताही नहीं करेगी आपकी सरकार। बहरहाल महंगाई की असली चुभन अब महसूस होगी। रविवार से कोचिंग क्लासेस व प्रशिक्षण केंद्र से लेकर होटल में खाने-पीने और हवाई यात्रा तक सभी पर महंगाई टूट पड़ेगी। फिलहाल, रेल माल ढुलाई व यात्री किराए में रविवार से सेवाकर लगने को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

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