BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Wednesday, June 27, 2012

Fwd: भग्यान अबोध बंधु बहुगुणा क दगड भीष्म कुकरेती क इंटरव्यू



---------- Forwarded message ----------
From: Bhishma Kukreti <bckukreti@gmail.com>
Date: 2012/6/27
Subject: भग्यान अबोध बंधु बहुगुणा क दगड भीष्म कुकरेती क इंटरव्यू
To: kumaoni garhwali <kumaoni-garhwali@yahoogroups.com>


              भग्यान अबोध बंधु बहुगुणा क दगड भीष्म कुकरेती क इंटरव्यू - फाड़ी -१ गढ़वळि नाटकुं मा हौंस
(भीष्म कुकरेती न गढवळी साहित्य मा हास्य पर भग्यान अबोध जी से कुछ सवाल पूछि थौ. वांको एक भाग तौळ च)
भीष्म कुकरेती - गद्य की तुलना मा गढवळि नाटकु मा हास्य प्रचुर मात्रा मा छ. याँ पर आपका क्या विचार छन?
अबोध बंधु बहुगुणा- गद्य कि तुलना मा नाटकुं मा हास्य अवस्य इ काफी छ. म्यरो ख़याल छ लोक नाट्य की शैली विकसित कर्यी अथवा ऊंका अनुकरण मा हैंसोड़ी नाटक अपणो विशिष्ठ स्थान बणै सकदन.
भीष्म कुकरेती - गढवळि मा हास्य नाटककार कु कु छन ?
अबोध बंधु बहुगुणा - गढवळि नाटक का क्षेत्र मा अभि त सर्वट या फट कै बि नाटककारो नौ नि लिहे स्क्यान्द कि वो हास्य नाटककार च . तबी बि भग.भवानी दत्त थपलियाल का 'प्रहलाद' मा 'दुर्जन कि कछेड़ी' वळो दृश्य ता हैंसोड़ी को बेजोड़ नमूना छ. ललित मोहन थपलियाल का 'खाडू लापता' अर घर जवैं ' नाटक हास्यप्रधान छन. श्री राजेन्द्र धष्माना का 'अर्ध ग्रामेश्वर' या श्री स्वरूप ढौंडियाल का 'मंगतू बौळया ', श्री सोनू पंवार का 'झौडा लाटू, अर 'बख्त्वार बाड़ा'; श्री कांता प्रसाद गढ़वाली क 'द्वी ब्यौ' मा बीच बीच मा हास्य का खूब चटकारा छन. भीष्म कुकरेती क 'बखरों स्याळ' एक व्यंग्यात्मक नाटक छ जखमा हास्य की छळाबळि च। अबोध बंधु बहुगुणा को 'छैलाअ छौळ' हास्य का जिकुड़ा बुक्ड़ा ल्हेकी रच्यु छ. यूँ विशिष्ठ कृत्यु का अलावा गढ़वाल, दिल्ली, देहरादून , मुंबई आदि जगों मु कुछ नाटक मंचित ह्वेन जुन्मा बल ईं दिशा मा अग्रसर होणो प्रयास करिगे. खेद च वूंको ब्योरा उपलब्ध नि ह्व़े सक्यो.
भीष्म कुकरेती- गढ़वाल भ्रात्रि मंडल (स.संस्था) क भूतपूर्व महासचिव रमण मोहन कुकरेती न एक हिंदी अर एक मराठी नाटक गढ़वळि मा अनुवाद करीन. अर अच्काल म्यार दगड चार्ली'ज आंट को अनुवाद पर काम करणा छन. यून द्वी नाट्कू मंचन मुंबई मा बि कर्युं च रमण कुकरेती क बुलण च बल जु गढ़वळि तै नाटक विधा से जुड़ण त नाटकुं मा हास्य तै ज्यादा से ज्यादा जगा दीण चएंद (मुंबई क अनुभव से रमण जी क मतलब छौ कि गढव ळी नाटक जाड लाउड होण चयेंदन). क्या आप यीं बात से सहमत छन.
अबोध बंधु बहुगुणा -हास्य नाटकुं क्षेत्र मा श्री रमण मोहन कुकरेती क हिंदी अर मराठी नाटकु रूपांतर एक सान्सदार अर रगर्यटोत्पादक काम छ. पर वूनका मत से सहमत हूण सर्वट कठिन छ. नाटक दृश्य काव्य छ, काव्य का प्रमुख रस कि उपेक्षा नि ह्व़े सकदी. श्रृंगार, , वीर, करुण मा हास्य की जुळामुंडी भी काम ह्व़े सकदन , ह्वेलि बि त वूं निपौंद्यौं भंगतेल मिट्ठो होण. नाटकूँ मा हंसोड़ी जादा देणा बजाय हैंसोड़ी नाटक जादा लिखणै बात कनि रालि?
सन्दर्भ
१-गढ़ ऐना , १३- १६ फरवरी १९९१
२- धाद , मई, १९९१

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Regards
B. C. Kukreti


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