BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Tuesday, February 9, 2016

‪#‎प्रागतिक_विचार_मंच‬,वणी जि.नाशिक (महा.)आयोजित जनतंत्र महोत्सव २५ जनवरी से ३० जनवरी २०१६ के बीच कामयाबी के साथ संपन्न हुआ। #२५ जनवरी को उद्घाटन सत्र मे ‪#‎डॉ_राम_पुनियानीजी‬ ने "भारतीय जनतंत्र को सांप्रदायिक ताकतों से खतरा" इस विषयपर अपनी बात रखी। यह राष्ट्र इतिहास मे कभी भी धर्म के आधार पर विभाजित नही था और इसी धर्मनिरपेक्षता की राहपर चल कर हम देश की उन्नति कर सकते है यह मुख्य बात उन्होंने कही।

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‪#‎प्रागतिक_विचार_मंच‬,वणी जि.नाशिक (महा.)आयोजित जनतंत्र महोत्सव २५ जनवरी से ३० जनवरी २०१६ के बीच कामयाबी के साथ संपन्न हुआ।
#२५ जनवरी को उद्घाटन सत्र मे ‪#‎डॉ_राम_पुनियानीजी‬ ने "भारतीय जनतंत्र को सांप्रदायिक ताकतों से खतरा" इस विषयपर अपनी बात रखी। यह राष्ट्र इतिहास मे कभी भी धर्म के आधार पर विभाजित नही था और इसी धर्मनिरपेक्षता की राहपर चल कर हम देश की उन्नति कर सकते है यह मुख्य बात उन्होंने कही।
२६ जनवरी को ‪#‎एडवोकेट_वैशाली_डोलस‬ ने "भारतीय संविधान मे समता और आज की नारी" इस विषय पर अपनी सोच को व्यक्त किया। भारत की नारी की विकास मे डॉ.बाबासाहब अंबेडकरजी का अमुल्य योगदान और सावित्री माई फुले का त्याग महत्वपूर्ण हैं,
इसलिए महिलाओं को सरस्वती नही सावित्री माई की पुजा करनी चाहिए यह उनका प्रतिपादन रहा।
२७ जनवरी को ‪#‎डॉ_बालाजी_जाधव‬ ने "जगत्गुरू संत तुकाराम और उनका वारकरी धर्म" इस विषय पर प्रबोधन किया। तुकाराम इहवादी संत थे। प्रपंच ठीक से करो और ब्राम्हण वादी कर्मकाण्डों से दुर रहो यही उनके किर्तन का सार हुअा करता था। आज वारकरी धर्म ब्राम्हणी धर्म का एक पंथ मात्र बन चुका हैं। उसे ब्राह्मण वादी परतें उतार पुन: समतामूलक एवं जातिभेद विरहित बनाना ही संत तुकाराम का सही अनुकरण होगा यह उनके व्याख्यान का सार था।
२८ जनवरी की शाम ‪#‎प्रा_देवेन्द्रजी_इंगले‬ ने "भारतीय जनतंत्र के आगे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की चुनौतीयाँ " इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किये। विभिन्न संस्कृतियोंका मिलन यह भारतवर्ष की परंपरा रही हैं, आजादी से लेकर कुछ संगठन खास कर ब्राम्हणवादी संगठन इस पहचान को मिटाने की कोशिशें कर रहे हैं। इस से यह राष्ट्र बिखरने का खतरा बढ रहा हैं। इन ताकतों से दुरी रखना प्रजातंत्र मे विश्वास रखनेवाले हर भारतीय का कर्तव्य हैं यही बात उन्होंने दृढता से कहीं।
२९ जनवरी को ‪#‎संतोषजी_गायधनी‬ ने " बहुजन समाज की दशा और दिशा " और ‪#‎प्रा_जावेदजी_शेख‬ ने " धर्मनिरपेक्ष छत्रपती शिवाजी महाराज " इन विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किये।दलित, अल्पसंख्यक, ओबीसी इनमें आपसी बिखराव ही बहुजनों की आज की दुर्दशा का कारण हैं। उनमें आपसी विश्वास,एकता और भाइचारा ही इस देश को धर्मांध शक्तियोंसे बचा सकता हैं,और जनतंत्र मजबूत कर सकता हैं यह ‪#‎गायधनीजी‬ के वक्तव्य का सुत्र रहा।‪#‎जावेदजीने‬ इतिहास की घटनाओं का उदाहरण देते हुए छत्रपती शिवाजी की धर्मनिरपेक्षता को विषद किया और यह महान मानवता वादी राजा किसी एक धर्म विशेष का नहीं था यह बात सरलता से समझायी।
३० जनवरी को महोत्सव के समारोप सत्र को ‪#‎न्यायाधीश_बी_जी_कोळसेपाटीलजी‬ ने संबोधित किया। उनका विषय था," राष्ट्रीय एकता के सामने की चुनौतीयाँ " भाजपा सत्ता मे आने के बाद आरएसएस की आक्रामक गतिविधियों से जनतंत्र को बढते खतरे की चेतावनी उन्होंने जनता को दी। अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य पर और सहिष्णुता पर बढ रहे धोखों से आगाह किया। संघ परिवार के दहशत वादी गतिविधियों मे शामिल होने के सबुत देते हुए आरएसएस मुक्त भारत का आगाज किया।
जनतंत्र महोत्सव मे इनसभी वक्ताओं को ‪#‎लोक_प्रबोधन‬ पुरस्कार से सन्मानित कर मानपत्र प्रदान किया गया।


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