BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Sunday, July 27, 2014

अब आपकी सरकार का केसरिया एनजीओ नेटवर्क, इंफ्रास्ट्रक्चर अश्वमेध धूम और शंबूक हत्या साथ साथ

अब आपकी सरकार का केसरिया एनजीओ नेटवर्क, इंफ्रास्ट्रक्चर अश्वमेध धूम और शंबूक हत्या

साथ साथ


पलाश विश्वास


पद्मप्रलय के धुरंधर समय में वैज्ञानिक दृष्टि का हाल यह है कि गामा किरणों के जरिये मंहगाई और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण काी मृगमरीचिका भी तैयार।अवतारतंत्र मुकम्मल है।मिथकों और किंवदंतियों का इतिहास गढ़ने का अकादमिक नेटवर्क तैयार हो गया है।इतिहास के अंत की घोषणा करने वाले मुक्त बाजार की धर्मेन्मादी नींव मजबूत करने के लिए इतिहास नये सिरे से रच रहे हैं।चूंकि सारे आंदोलन अब एनजीओ चला रहे हैं और पिछले आमचुनाव में केसरिया जनादेश को रोकने की सबसे गंभीर प्रयास भी एनजीओ उपक्रम ही था।अब आपकी सरकार से आपके निरंतर अबाध संजोग के जरिये तकनीकी और संचार क्रांति बतर्ज संघ परिवार का नया एनजीओ नेटवर्क भी तैयार होने लगा है।


इस अवतारी राजकाज पर नजर रखें।सही आकलन के लिए बाजार पर उसका असर भी देखें।केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। साथ ही, पिरामिड स्कीम्स पर अंकुश लगाने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी को अधिकार देने वाले बिल को भी इसने हरी झंडी दिखाई है। मोदी सरकार के इस कदम को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि वह रेलवे सेक्टर को विदेशी निवेश के लिए खोलने और डिफेंस सेक्टर में एफडीआई बढ़ाने पर भी जल्द फैसला करेगी। गुरुवार को लिए गए इन फैसलों से स्टॉक मार्केट की बांछें खिल गईं। सेंसेक्स 0.48% चढ़कर रिकॉर्ड 26,271.85 प्वाइंट्स पर बंद हुआ।


सुषमा स्वराज की नेपाल यात्रा के मार्फत नेपाल में अमेरिका इजराइल समर्थित हिंदू राष्ट्र की बहाली काअभियान भी तेज होने वाले है। हिंदू राष्ट्र समर्थकों को पहले से ही भारतीय सत्त वर्ग का निरंतर समर्थन चीन के खिलाफ जारी अविराम अभियान के मध्य तरह तरह व्यक्त होता रहा है।


इस आलोक में समझें कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपनी तीन दिन की नेपाल यात्रा को बेहद सफल बताते हुए कहा है कि दोनों देशों ने आपसी संबंध मजबूत करने के लिए कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया है।सुषमा ने नई दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि यह बेहद सफल यात्रा रही। इसके परिणाम मेरी उम्मीद से कहीं अधिक रहे हैं। सुषमा ने राष्ट्रपति राम बरन यादव और प्रधानमंत्री सुशील कोईराला सहित नेपाल के शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात की। उन्होंने विपक्ष के नेता व यूनाइटेड कम्यूनिस्ट पार्टी आफ नेपाल-माओवादी के प्रमुख प्रचंड से भी मुलाकात की।


सुषमा ने माओवाद असान उपरांते 23 साल बाद हुई भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की बैठक की सह अध्यक्षता की। उनकी इस यात्रा का एक मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 3 अगस्त से दो दिन की नेपाल यात्रा की तैयारी भी था। कोई भारतीय प्रधानमंत्री 17 साल में पहली नेपाल यात्रा करने वाला है। दिवंगत प्रधानमंत्री आईके गुजराल 1997 में नेपाल यात्रा पर आए थे।


यह बेहद महत्वपूर्ण है कि नेपाल में हिंदू राष्ट्र की बहाली के बिना इस पूरे महादेश को अकंड हिंदू राष्ट्र बनाया ही नहीं जा सकता।


इसे न भूले कि संघ परिवार का एजंडा खंडित हिंदू राष्ट्र नहीं,पूरा का पूरा अंखड हिंदू भारत महादेश है।


संभव हो तो इसमें गांधार,समरकंद,कंपुचिया और सुमात्रा जावा तक को समाहित करना है। जो भारत के माहन हिंदू साम्राज्यों के अधीन उपनिवेश रहे हैं,जिसे इस्लाम और ईसाई शासनकाल में हिंदुत्व ने खो दिया।


राममंदिर अभियान दरअसल उसी हिंदुत्व के पुनर्जागरण का आवाहन है और इसी लिए फिर पुष्यमित्र शुंग का राज्याभिषेक।


भूटान की पहली राजकीय यात्रा में इसके यथेष्ट संकेत मिले हैं।


रामायण और महाकाव्यों के मिथकों को इतिहास बनाने का कार्यक्रम डिस्कवरी आफ इंडिया के मार्फत स्वयं पंडित जवाहर लाल नेहरु ने शुरु किया था,तब से अनार्य सिंधु घाटी की विभाजित सभ्यता का हिंदूकरण अकादमिक कार्यक्रम है।सूचना क्रांति के जरिये घर घर रामायण और महाभारत है जो महज अब धर्म नहीं है।मनुस्मृति की तरह बाजार को जोधा अकबर है।


मिथकीयराममंदिर के तार यरूशलम धखल अभियान के साथ गहराई से जुडे हैं और धर्मयोद्धाओं की यह सत्ता संयुक्त राष्ट्र की राजनयिक रणनीति में चाहे जो करें अमेरिकी अमुमोदन के साथ,इजराइल के विरुद्ध रामराजनिषेध जैसा कोई कदम उठा ही नहीं सकता।


इसीतरह इसका भी तात्पर्य सही परिप्रेक्ष्य में ही समजा जाना चाहिए कि अमेरिका ने शनिवार को वैश्विक व्यापार सुविधा नियमों में सुधारों को लेकर भारत के रुख के प्रति निराशा व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रतिबद्धताओं से पीछे हटने की वजह से विश्व व्यापार संगठन (WTO) संकट के कगार पहुंच गया है। जिनीवा में शुक्रवार को विश्व व्यापार संगठन के 160 सदस्यों की बैठक में भारत ने खाद्य सुरक्षा के लिए खाद्यान्न के सार्वजनिक भंडारण की समस्या का स्थायी समाधान होने तक व्यापार सुविधा की समयसारिणी पर रोक लगाने की मांग की है। इस बैठक में पिछले साल दिसंबर में बाली में हुए व्यापार सुविधा (टीएफ) समझौते को लेकर बनी सहमति को अंतिम रूप दिया जाना था।


खुदरा बाजार,बीमा,प्रतिरक्षा जैसे तमाम सेक्टरों,सिक्षा और चिकित्सा जैसी सेवाओ को विदेशी कंपनियों के हवाले करने पर थोड़ा विश्वव्यापार संगठन का विरोध भी नहीं करेंगे तो बुरबक बनाओइंग कार्यत्रम आखिर चलेगा कैसे।


इतिहास,ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टि से बेदखल तकनीकी दक्ष जमात का केसरियाकरण आईटी उपक्रम इसीलिए ईद पर रिलीज सलमान कान की फिल्म है।दूसरी ओर,एकता कपूर का महासोप अब श्याम बेनेगल के भारत आविस्कार के प्रकरण समाप्ते भारत का नव्यअद्यतन आर्य इतिहास सनातन है।


इसी अभिप्राय से गैरसरकारी गैर रानीतिक स्वयंसेवी आंतरजातिक नेटवर्क के कायाकल्प का नया एजंडा केसरिया।


गैरकांग्रेसवाद के नाम पर जो वामपंथ समाजवादी स्वतंत्र सिंडिकेट संघी रसायन अमेरिका परस्त बना,उसकी सबसे गंभीरतम उपलब्धि मीडिया कायाकल्प है,जिसे लौह पुरुष लालकृष्ण आडवाणी ने अंजाम दिया।


लौह पुरुष सरदार पटेल के आवाहन से अपने असली विशुद्ध सौ टका खरा केसरिया लौहपुरुष के इस अवदान को इस केसरिया समय भूल भले ही रहे हों संघी,लेकिन मुक्तबाजारी जायनी संघी हिंदू राष्ट्र के बुनियादी काम तो आडवाणी जी ने ही किये।


मसलन बायोमेट्रिक डिजिटल नागरिकता और देश के लिए नागरिकता पहचान पत्र और नागरिकता संशोदन कानून जनसंहारी सुधारों के साथ साथ बेदखली का सर्वोत्तम तंत्र मंत्र यंत्र है और इसके प्रवर्तक आडवाणी ही हैं।


भले ही सत्ता के समांतर केंद्र बतौर अपने मौलिक लौहपुरुष को गांधी के लौहपुरुष में समाहित कर देने में कोई कसर नहीं छोड़े नमोमहाराज,भले ही राष्ट्रीय पताका और तोपों की सलामी का अंतिम सम्मान मिलने से वंचित हो जाये आडवाणी,लेकिन कुल मिलाकर संघ परिवार अटल शौरी रोडमैप और गुरु गोवलकर के दिशानिर्देशों पर अमल के लिए आडवाणी पर चल रहा है,चलेगा।


सत्ता के दशक में खासकर आपातकाल के ब्लू स्टार नक्सलदमन परिदृश्य में स्वतंत्र मीडिया इंदिरा गांधी और उनके तरणहार संघ परिवार के साथ साथ सत्ता के केंद्र में धूमकेतु जैसे उत्थान के बाद अमेरिकापरस्त गैरकांग्रेसवाद के बाद सबसे बड़ा सरदर्द का सबब रहा है।


इस मीडिया को अपना भोंपू बनाने के लिए और पाठ को सिरे से अप्रसंगिक बना देने के लिए दृश्यमाध्यमों को मजबूत बनाने की तकनीक और नेटवर्क का विस्तार लगातार होता रहा।


सूचना संचार क्रांति का बुनियादी प्रयोजन सूचना निषेध,जनमत निषेध और मस्तिष्क नियंत्रण स्वप्न नियंत्रण विचार नियंत्रण का जार्ज आरवेल का 1984 कथानक है जो संजोग से 1984 के सिख संहार के भारतीय प्रसंग में ही सामाजिक आर्थिक यथार्थ बना है।


सत्तर के दशक में अखबारों,साहित्यिक पत्रिकाओं और लघुपत्रिकाओं का बागी नेटवर्क सत्ता वर्ग के लिए चुनौती बना हुआ था।रोजाना पर्दाफाश का सिलसिला सत्ता के परखच्चे उड़ा रहे थे।


इंडियन एक्सप्रेस,हिंदू जैसे कुलीन अखबारों की बात अलग ही थी,1983 में बिहार में प्रेस विधेयक के खिलाफ सरकार और राजनेताओं के बहिस्कार के अखबारी विद्रोह से लेकर जनपदीय अखबारों की भूमिका छात्र युवा आंदोलन  और जनविद्रोहों के जलजले को जारी रखने के सकेत दे रहे थे।


वह नेटवर्क सूचना,संचार व तकनीकी क्रांति के त्रिशुल से ध्वस्त कर दिया गया।तमाम जनपक्षधर तत्व या तो हाशिये पर धकेल दिये गये या उनको सत्ता वर्ग में कोआप्ट कर लिया गया।


यह कोआप्शन एमजे अकबर, एसपी सिंह, प्रभाष जोशी और राजेंद्र माथुर जैसे मीडिया महामानवों के चरमोत्करष के मध्य हुआ तो खत्म हो गये रघुवीर सहाय, कमलेश्वर, धर्मवीरभारती जैसे चामत्कारिक संपादकों का कुनबा।


देशी विदेशी पूंजी के युद्धस्थल में तब्दील दक्षिण एशिया में विदेशी पूंजी और संस्थाओं की मदद से एनजीओ का राजनीतिक सीमाओं के आर पार एक सर्वव्यापी ग्रीनपीस नेटवर्क है।


नैपम,ग्रीनपीस और चिपको परवर्ती पर्यावरणी एनजीओ ब्रिगेड में जनपक्षधर ताकतें भी खूब हैं और एनजीओ आड़ में जनांदोलनों के राजनीति से खत्म हो जाने की परिस्थिति में निरुपाय सामाजिक शक्तियों की गोलबंदी का यही एकमात्र अंब्रेला है,जिनकी वजह ऐसे कारपरेट प्रोमोटर बिल्डर माफिया राज को बार बार स्तंभित हो जाना पड़ता है।


अंतरराष्ट्रीय समर्थन और पूंजी के दम में पेशेवर दक्षता के मेधा नेटवर्क के कारण इंडिया इंक और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को इसका भारी खामियाजा उठाना पड़ता है पालतू कारपोरेटएफडीआई मुक्तबाजारी मीडिया के मार्फत जनता के विरुद्ध राष्ट्र के अविराम युद्ध को धरन्मादी राष्ट्रवाद का मुलम्मा देने के बावजूद।


सूचना के अधिकार,खाद्य सुरक्षा कानून,आधार विरोध,परमाणु ऊर्जा विरोध, वनाधिकार कानून,नये भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून, बड़े बांधों और बहुराष्ट्रीय परियोजनाओं के जरिये अबाध विस्थापन और बेदखली,जल जमीन जंगल और आजीविका की लड़ाई में तमाम जनपक्षधर तत्व एनजीओ नेटवर्क में सक्रिय रहे हैं।


और सैन्यराष्ट्र के आक्रमण,नागरिक व मानवाधिकार हनन के विरुद्ध,हक हकूक के लिए उनका प्रतिरोध ही सबसे बड़ी चुनौती है ,जिसे उनके अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के कारण आतंकवादी, उग्रवादी, माओवादी या राष्ट्रद्रोही करार कर  जनांदोलनों और जनिविद्रोहों की तरह फौरन कुचला भी नहीं जा सकता।


ऐसे लोग जेल चले भी जायें,उनका उत्पीड़न होता भी रहे तो इसी एनजीओ नेटवर्क के जरिये प्रतिरोध भी भयंकर होता है।


यूपीए सरकार ने महत्वपूर्ण सलाहकार समितियों, प्रतिष्ठानों में एनजीओ वर्ग को समाहित करके इस प्रबल असुविधा के निराकरण  की कोशिशे भी कीं तो अरुणा राय जैसी शख्सियतों ने बगावत कर दी।


फिर पिछले लोकसभा चुनाव में सारे एनजीओ मिलकर सत्ता दखल करने की नाकाम कोशिश भी हो गयी।


अब भी राजधानी नई दिल्ली में असली सत्ता एनजीओ की है।


इसीकी काट है संघ परिवार का अपना नेटवर्क।


मेधासंपन्न लोगों को ग्राउंड वर्क के प्रोजेक्ट से स्वयंसेवी कैडर बनाने का खेल है यह अति भयंकर,जिसके परिणाम भारत में अंततः लोकतंत्र,संविधान और राजनीति के निर्बाध केसरियाकरण में अभिव्यक्त होंगे।



जाहिर है कि अब आपके सुझावों से चलेगी सरकार, PM ने जारी किया वेब पोर्टल


मोदी सरकार के 60 दिन

पीएम मोदी ने इस जन-केंद्रित मंच का उद्घाटन नई सरकार के 60 दिन पूरे होन के मौके पर किया। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, पीएम ने कहा कि पिछले 60 दिन में उनकी सरकार का अनुभव यह रहा कि कई लोग राष्‍ट्र-निर्माण में योगदान करना चाहते हैं और समय एवं ऊर्जा लगाना चाहते हैं। बयान के मुताबिक मोदी ने कहा कि मायगव (मायगव डॉट एनआईसी डाट इन) एक इंजीनियरिंग बेस्‍ड मीडियम है, जो नागरिकों को अच्‍छे कामकाज में योगदान करने का मौका प्रदान करेगा।


लोकतंत्र सरकार में जनता अहम

पीएम मोदी ने कह यह मंच लोगों और सरकार के बीच दूरी कम करेगा। लोकतंत्र सरकार में लोगों की भागीदारी के बगैर सफल नहीं हो सकता और यह भागीदारी सिर्फ चुनाव तक सीमित नहीं रहनी चाहिये। मोदी के अलावा संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, मंत्रिमंडल सचिव अजित सेठी, इलेक्‍ट्रानिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डेइटी) सचिव आर.एस.शर्मा भी इस पोर्टल की शुरूआत के वक्‍त मौजूद थे। डेइटी का नेशनल इन्‍फार्मेशन सेंटर (एनआईसी) इस मंच का कार्यान्‍वयन और प्रबंधन करेगा।


विचार करे साझा

आर.एस.शर्मा ने इस वेबसाइट को पेश करने के बाद कहा कि मायगव नामक पोर्टल पर कई मुद्दों पर चर्चा हो सकती है, जिन पर लोग सरकार के साथ अपने विचार साझा कर सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि डिजिटल ज्ञान पुस्‍तकालय बनाने की भी पहल की जा रही है.।हम लोगों से राष्‍ट्रीय महत्‍व के विषयों पर उनकी राय और सुझाव मांगेंगेष इस संबंध में जल्‍द ही हम जानकारी देंगे.।शर्मा ने कहा कि इस पोर्टल के जरिये नागरिकों को चर्चा करने और काम करने दोनों का मौका मिलेगा.। किसी भी व्‍यक्ति के विचार पर भी मंच में चर्चा की जा सकेगी। इसमें सकारात्‍मक टिप्‍पणी और विचारों का आदान-प्रदान भी किया जा सकेगा।



गौरतलब है कि भारत अकेली बड़ी इमर्जिंग इकॉनमी है, जो इंटरनैशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) के वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक के अपडेट में कटौती से बचने में कामयाब रही है। आईएमएफ का कहना है कि भारतीय इकॉनमी पहले के अनुमान के मुताबिक फाइनैंशल ईयर 2014 में 5.4 पर्सेंट की ग्रोथ हासिल करेगी और फाइनैंशल ईयर 2015 में इसकी ग्रोथ 6.4 पर्सेंट रहने का अनुमान है।


आईएमएफ के मुताबिक, 'भारत में ग्रोथ बॉटम आउट हो चुकी है। बिजनस सेंटीमेंट में लोकसभा चुनाव के बाद रिकवरी से एक्टिविटी बढ़ेगी। इससे एग्रीकल्चरल ग्रोथ पर खराब मॉनसून के असर की भरपाई हो जाएगी।' 2014 में ग्लोबल इकॉनमी की रफ्तार सिर्फ 3.4 पर्सेंट रहने का अनुमान है। यह पिछले अनुमान से 0.3 पर्सेंट कम है।


आईएमएफ के इकनॉमिक काउंसलर ओलिवर ब्लैशार्ड ने कहा, 'रिकवरी जारी है, लेकिन यह कमजोर बनी हुई है। अमेरिका में ग्रोथ में कमी की वजह इनवेंटरी करेक्शन या खराब मौसम जैसे एक बार के कारणों की वजह से है। वर्ष के बाकी समय में अमेरिका में ग्रोथ का अनुमान अभी भी 3.25 पर्सेंट और 2015 में 3 पर्सेंट का है। ग्लोबल ग्रोथ लंबे समय तक कमजोर रह सकती है क्योंकि डिवेलप्ड देशों में कम इंटरेस्ट रेट्स और रिकवरी की राह में अन्य रुकावटें कम होने के बावजूद ज्यादा तेजी नहीं आई है।'


हिंदुत्व की अविरल धारा को जारी रखने के लिए ही गांगा सपाई मुहिम राममंदिर स्वतंत्रता युद्ध में अग्रणी उमा भारती के हवाले है और इसी प्रकल्प के जरिये सालाना एक लाख करोड़ के खर्चमाध्यमे पर्यावरण आंदोलन हाईजैक करने का नायाब रोडमैप भी है।

मसलन नभाटा के मुताबिक पिछले चार साल के दौरान 7 आईआईटी के प्रफेसरों ने इस बात के लिए कई दौर की मीटिंग की कि गंगा नदी की सफाई कैसे की जाए, इस दौरान वह जिन दो शब्दों पर अटक गए वह थे-अविरल और निर्मल। आईआईटी बॉम्बे, दिल्ली, गुवाहाटी, कानपुर, खड़गपुर, मद्रास, रुड़की का कोई भी प्रफेसर हिंदी का विद्वान न होने के बावजूद भी यह जानते थे अविरल और निर्मल जैसे शब्द यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ इन्वायरमेंट ऐंड फोरेस्ट्स द्वारा उनके द्वारा जुलाई 2010 से कराए गए व्यापक अध्ययन का सार हैं।


यूनियन मिनिस्टर फॉर वाटर रिर्सोसेज, रिवर डिवेलपमेंट ऐंड गंगा रिजूवेनेशन उमा भारती इस बात को लेकर भरोसेमंद हैं कि गंगा की सफाई को लेकर अविरल फंडिंग जारी रहेगी। इस बार गंगा ऐक्शन प्लान को उनकी मिनिस्टरी लागू करेगी जबकि पिछली सरकार में इसे मिनिस्टरी ऑफ इन्वायरमेंट ऐंड फोरेस्ट्स देख रही थी।


उमा भारती का भरोसा इसलिए भी मजबूत है क्योंकि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजनीतिक समर्थन प्राप्त है। नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी गंगा के किनारे स्थित हैं। देश के पीएम के रूप में शपथ लेने के तीन दिन बाद 29 मई को मोदी ने ट्वीट किया था,' मैं लोकसभा में वाराणसी का प्रतिनिधित्व करूंगा और इस अवसर को मां गंगा की सेवा करने और वाराणसी के विकास के लिए काम करने के बेहतरीन अवसर के तौर पर देखता हूं।'


गौरतलब है कि गंगोत्री से गंगा सागर को जोड़ने वाले राज्यों में बीजेपी ने 180 में से 123 लोकसभा सीटें जीती हैं, जिससे उस पर इस बात का दबाव बढ़ जाता है कि वह इस नदी के लिए बदले में कुछ करे। गंगा को मोदी सरकार कितना महत्व देती है इसका पहला संकेत इस वित्त वर्ष में एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन की शुरुआत के लिए आवंटित किए गए 2037 करोड़ रुपये से चल जाता है, इसके अलावा गंगा के घाटों के डिवेलपमेंट के लिए 100 करोड़ रुपये का भी आवंटन किया गया हैं। साथ ही छह वर्ष की अवधि के दौरान इलाहाबाद से हल्दिया के बीच एक नैविगेशन कॉरिडोर के निर्माण के लिए 4200 करोड़ रुपये भी आवंटित किए गए हैं।



ईटी मैगजीन के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि अगले महीने इस कमिटी की प्रमुख रिपोर्ट पेश की जाएगी। माना जा रहा है कि गंगा को अविरल और निर्मल बनाने का अनुमानित खर्च 1 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। यह राशि तब और बड़ी बन जाती है जब वर्ष 1985 से 2009 तक गंगा की सफाई के लिए बनाए गए गंगा ऐक्शन प्लान पर सिर्फ 1825 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए। 1998-99 के दौरान केंद्रीय पर्यावरण मंत्री रहे सुरेश प्रभु ने गंगा ऐक्शन प्लान-II को लागू किया था। वह कहते हैं, 'इस योजना का नाम बिल्कुल सही था। इस योजना में कई गैप रहे थे, अब जरूरत है एक व्यापक योजना की।'


इस व्यापक योजना में गंगा के घाटों की सफाई, सिटी मैनजेमेंट, टूरिजम डिवेलपमेंट और इलाहाबाद से लेकर पश्चिम बंगाल में हल्दिया तक एक नैविगेशन चैनल बनाए जाना शामिल है, जिसके लिए जबर्दस्त संसाधनों और दूरदर्शिता की जरूरत होगी।


इसी के मध्य ईटी के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। साथ ही, पिरामिड स्कीम्स पर अंकुश लगाने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी को अधिकार देने वाले बिल को भी इसने हरी झंडी दिखाई है।

मोदी सरकार के इस कदम को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि वह रेलवे सेक्टर को विदेशी निवेश के लिए खोलने और डिफेंस सेक्टर में एफडीआई बढ़ाने पर भी जल्द फैसला करेगी। गुरुवार को लिए गए इन फैसलों से स्टॉक मार्केट की बांछें खिल गईं। सेंसेक्स 0.48% चढ़कर रिकॉर्ड 26,271.85 प्वाइंट्स पर बंद हुआ।


कैबिनेट और आर्थिक मामलों से जुड़ी कैबिनेट कमेटी की बैठक के बाद एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश की सीमा 26% से बढ़ाकर 49% करने और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया अमेंडमेंट बिल से जुड़े प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई है। बिल में कैबिनेट ने तलाशी और जब्ती के अधिकार सेबी के पास बरकरार रखे हैं। इससे सेबी छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा के लिएपिरामिड स्कीम्स पर ढंग से कार्रवाई कर सकेगा। हालांकि, इन अधिकारों के साथ कुछ शर्तें भी जुड़ी हैं। फाइनेंस मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया कि सेबी को तलाशी और जब्ती की कार्रवाई करने से पहले मुंबई में विशेष अदालत से इजाजत लेनी होगी।


अब संसद की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी तय करेगी कि इंश्योरेंस और सेबी से जुड़े कानूनों में बदलाव वाले इन विधेयकों को संसद में कब पेश किया जाएगा। सरकार फाइनेंस बिल पास होने के बाद इन विधेयकों को पेश करने के मूड में है। संसद में इंश्योरेंस बिल पास होने पर पेंशन सेक्टर में विदेशी निवेश बढ़ेगा। किसी भी बीमा कंपनी में एफडीआई और पोर्टफोलियो सहित हर तरह का विदेशी निवेश अगर 26% से ज्यादा और 49% तक हुआ तो इसके लिए फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड की मंजूरी लेनी होगी। इसके अलावा ऐसी कंपनी का मैनेजमेंट कंट्रोल भारतीय प्रमोटर के हाथों में रहने की शर्त भी है।


मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के सीईओ और एमडी राजेश सूद ने कहा कि इस कदम से बीमा सेक्टर में लंबी अविध के लिए पूंजी आएगी। इसकी सख्त जरूरत थी। रॉयल सुंदरम अलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी के एमडी अजय बिंभेट ने कहा कि एफडीआई में बढ़ोतरी होगी तो हमें देश में बीमा की पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी। एक्सर्ट्स ने कहा कि एफडीआई सीमा बढ़ने से 25,000 करोड़ रुपये तक का निवेश हो सकता है। हालांकि, उन्होंने इंडियन मैनेजमेंट और कंट्रोल के बारे में और स्पष्टता की मांग की। केपीएमजी (इंडिया) के पार्टनर शाश्वत शर्मा ने कहा कि भारतीय प्रमोटर के नियंत्रण के बारे में तस्वीर साफ होने पर लाइफ, हेल्थ और जनरल इंश्योरेंस कंपनियों में 20,000 से 25,000 करोड़ रुपये तक और आ सकते हैं।


आईएमएफ का कहना है कि इमर्जिंग इकॉनमीज के सामने सप्लाई की मुश्किलों से नेगेटिव ग्रोथ का संकट है। इसके साथ ही पिछले एक साल में फाइनैंशल पॉलिसीज को कड़ा करने का दौर जारी रह सकता है। हालांकि, आईएमएफ ने यह भी कहा कि बड़े इंडिकेटर्स से पता चलता है कि 2014 के दूसरे क्वॉर्टर में ग्लोबल रिकवरी तेज होगी।


ब्रिक्स में भारत के सभी साथ सदस्य देशों की ग्रोथ के अनुमान में कमी कई गई है। रूस की ग्रोथ में सबसे बड़ी कमी का अनुमान बताया गया है। इसकी ग्रोथ अब 0.2 पर्सेंट रहने का अनुमान है, जो पहले 1.3 पर्सेंट का था। 2015 में इसकी ग्रोथ का अनुमान 2.3 पर्सेंट से घटाकर 1 पर्सेंट किया गया है। 2014 में चीन में ग्रोथ का अनुमान 0.2 पर्सेंट घटाकर 7.4 पर्सेंट हुआ है। ब्लैनशार्ड के मुताबिक, 'चीन के लिए प्रमुख चुनौती कम इनवेस्टमेंट और ज्यादा खपत के साथ अधिक संतुलित ग्रोथ हासिल करने की होगी।'


परचेजिंग पावर के आधार पर भारत ऊपर

इंटरनैशनल कम्पैरिजन प्रोग्राम (आईसीपी) के 2011 के लिए नए बेंचमार्क जारी करने के बाद आईएमएफ ने अपने वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक में परचेजिंग पावर पैरिटी (पीपीपी) वेट्स और जीडीपी का अनुमान अपडेट किया है।


2011 में परचेजिंग पावर पैरिटी आधार पर ग्लोबल जीडीपी में भारत की हिस्सेदारी 6.7 पर्सेंट थी, जो 2005 में 5.8 पर्सेंट की थी। भारत अब पीपीपी के आधार पर तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी है। मार्केट एक्सचेंज रेट्स के लिहाज से भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2.5 पर्सेंट की है।


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