BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Friday, June 28, 2013

नमक की धरती से फूटेगी तेल की धार…फिर कहलाएगी पचपदरा सिटी

नमक की धरती से फूटेगी तेल की धार…फिर कहलाएगी पचपदरा सिटी 

रिफायनरी से फिर लौटेगा पुराना वैभव…


-चन्दन सिंह भाटी||
सरहदी जिले बाड़मेर के रियासतकालीन पचपदरा से ८ किमी दूर सांभरा गांव। रिफाइनरी की मुख्य साइट। राजस्थान की नमक की सबसे बड़ी सांभर झील से ही पचपदरा का साल्ट एरिया डवलप हुआ और इसका नाम सांभरा रखा गया। रिफाइनरी लगने के बाद चंद घरों वाले इस गांव का रियासतकालीन वैभव लौट आएगा। उस वक्त यह एरिया जोधपुर रियासत का हिस्सा था। अब रिफाइनरी से भी जोधपुर का कारोबार बढ़ेगा।Land-near-refinery-at-Lilala-Baytu-at-Wagundi-Barmer-PachpadraBalotra-

चारों तरफ दूर-दूर तक बियाबान के बीच बसे सांभरा में अंग्रेजों के जमाने में एक टीले पर नमक विभाग का दफ्तर और कॉलोनी बनाई गई थी। तब अंग्रेजों का हाकम यहां बैठता था। नमक की पहरेदारी करने के लिए चौकियां बनी हुई थीं। घोड़ों पर पहरेदारी होती थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के वक्त 1992 में नमक की खदानों में काम करने वाले खारवालों को सरकार ने पट्टे देकर मालिक बना दिया और विभाग का दफ्तर भी शिफ्ट कर दिया। तब से आलीशान दफ्तर का भवन, डाक बंगला और करीब 70 क्वार्टर वाली कॉलोनी वीरान पड़ी है। इनमें भी 35 ठीक-ठाक हैं, बाकी खंडहर हो चुके हैं। यहीं पर एक खजाना कक्ष बना हुआ है।

इसमें सलाखों के भीतर एक तहखाने में यह खजाना आज भी इतिहास का गवाह बना हुआ है। लोहे की मोटी चद्दर से बना है भारी भरकम दरवाजा। इस पर इंग्लैंड का ताला लटक रहा है। आज यह खजाना भी मकडिय़ों के जाल से धुंधला नजर आता है।

रिफाइनरी लौटाएगी सांभरा का रियासतकालीन वैभव

जब हम इस बियाबान बस्ती में पहुंचे तो नमक विभाग के एकमात्र चौकीदार फूलचंद मिले। दफ्तर खोला और बोले- कुछ दिन पहले कलेक्टर और दूसरे अफसर आए थे। इस भवन को साफ करने की बात कह गए हैं। अब यह ऐतिहासिक भवन और कॉलोनी रिफाइनरी वालों को दे दी है। फूलचंद बताते हैं कि ४० साल हो गए यहां नौकरी करते हुए। अब तो रिटायरमेंट में एक साल बचा है, रिफाइनरी आने से पुराना वैभव तो लौटेगा, लेकिन वे यहां नहीं होंगे। अपने गांव बांसवाड़ा चले जाएंगे।

रिफाइनरी तो कर्नल के एरिया में ही रही

बायतु के लीलाला में रिफाइनरी लगनी थी, लेकिन नहीं लगी। बायतु विधायक कर्नल सोनाराम हालांकि शिफ्टिंग से खफा है, लेकिन सांभरा व साजियाली गांव की नई साइट भी कहने को भले ही पचपदरा में हो, मगर ये गांव भी बायतु विधानसभा क्षेत्र में हैं और विधायक कर्नल ही है। विधानसभा क्षेत्रों नए सीमांकन से ये गांव भी बायतु में शामिल हो गए थे। पचपदरा की सरहद लगती है और कस्बा पास होने से विधायक मदन प्रजापत भी उत्साहित हैं। वे कहते हैं, पचपदरा का आने वाला कल चमकते रेगिस्तान की तरह सुनहरा है।

हर जाति के लोगों को होगा फायदा

पचपदरा में रिफाइनरी लगने का फायदा हर जाति के लोगों को होगा। करीब पंद्रह हजार की आबादी वाले पचपदरा में खारवाल (नमक व्यवसाय से जुड़े लोग) की संख्या लगभग 3 हजार है। दूसरे नंबर पर 2 हजार जैन है। फिर कुम्हार, रेबारी, सुथार व अजा-जजा व अल्पसंख्यक आबादी है। पचपदरा के भंवर सिंह बताते हैं कि जैन व्यापारी कौम है और बालोतरा व्यावसायिक केंद्र हैं इसलिए उद्योग विकास में वे बड़ी भूमिका निभाएंगे। दूसरी जातियां हाथ का काम करने वाली है, उन्हें कंस्ट्रक्शन फेज और शहर बढऩे के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर के काम में रोजगार मिल सकेगा। सांभराके गणपत खारवाल कहते हैं, नमक के काम में तो मुश्किल से दो सौ रुपए दिहाड़ी मिलती है, वह भी साल में आठ माह से ज्यादा नहीं। रिफाइनरी लगने से गांव वालों को मजदूरी तो मिलेगी।

रियल एस्टेट, होटल और ट्रांसपोट्र्स को तत्काल फायदा

पचपदरा तिराहे पर बड़ी होटलों और रेस्टोरेंट के बाहर मंगलवार को लोगों की भीड़ लगी थी। इनमें से नब्बे फीसदी जमीन के कारोबार के सिलसिले में बातचीत कर रहे थे। कोई साइट बता रहा था तो कोई जमीनों के भाव। सोमवार को ही रिफाइनरी पचपदरा में तय हुई थी इसलिए जमीनों के भाव रातों-रात बढ़ गए। जब काम शुरू हो जाएगा, तो होटल-रेस्टोरेंट व ट्रांसपोर्टर्स का काम भी बढ़ जाएगा। पचपदरा बागुन्दी से लेकर जोधपुर तक जमीनों के भाव आसमान छूने लगे हें ,भाजपा की प्रदेशाध्यक्षा वसुंधरा राजे ने इसी इलाके में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की जमीने होने के आरोप लगाए थे

आशापूर्ण और नाग्नेशिया माता की आशीष 

पचपदरा के विजय सिंह कहते हें की पचपदरा पर रिफायनरी की मेहर नागानेशिया माता और आशापूर्ण माता ने की हें. पचपदर फिर पचपदरा सिटी कहालाय्रेगा. पुराना वैभव लौटेगा. साम्भर में साम्भारा माता का भव्य मंदिर बना हें.

कुरजां की कलरव ख़त्म हो जायेगी 

पचपदरा क्षेत्र में प्रति वर्ष हज़ारो की तादाद में प्रवासी पक्षी साइबेरियन क्रेन  जिसे स्थानीय भाषा में कुरजां कहते हें आती हें. इस क्षेत्र को कुरजां के लिए सरंक्षित क्षेत्र घोषित करने की कार्यवाही चल रही थी. सँभारा ,नवोड़ा बेरा ,रेवाडा गाँवो के तालाबों पर कुरजां अपना प्रवासकाल व्यतीत करते  हें. पचपदरा में वन्यजीवों की भरमार हें विशेषकर चिंकारा और कृष्णा मृग बहुतायत में हें. इसीलिए पचपदरा से आगे कल्यानपुर डोली को आखेट निषेध क्षेत्र घोषित कर रखा हें


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