BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Sunday, August 28, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/8/28
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


उत्तराखंडःएक दिन में तीन परीक्षाएं अभ्यर्थी असमंजस में

Posted: 27 Aug 2011 11:50 AM PDT


एक ही दिन में तीन-तीन प्रतियोगी परीक्षाएं होने से अभ्यर्थी असमंजस में हैं। रविवार 28 अगस्त को कर्मचारी चयन आयोग (स्नातक स्तर) के अलावा उत्तराखंड अधीनस्थ सिविल न्यायालय लिपिक परीक्षा व गढ़वाल विवि की बीएड प्रवेश परीक्षा भी होनी है। बीएड की परीक्षा दो पालियों में सुबह आठ से 11 बजे और अपराह्न दो से पांच बजे तक होगी। न्यायालय लिपिक परीक्षा पूर्वाह्न 11 बजे से एक बजे तक होनी है। इसके लिए राजधानी में 30 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की परीक्षा भी दो पालियों में सुबह 10 बजे से शुरू होगी। प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग्य आजमा रहे अभ्यर्थी इन दिनों पसोपेश में हैं। इसका कारण यह है कि कई अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन्होंने तीनों प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आवेदन कर दिया है। लेकिन परीक्षा की तिथि एक ही दिन और लगभग एक ही समय होने से अभ्यर्थी सिर्फ एक ही परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। तीनों परीक्षाओं की तिथि एक ही दिन होने से अभ्यर्थियों में खासा रोष है। अभ्यर्थियों का कहना है कि उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। आवेदन के लिए अभ्यर्थियों ने तीनों परीक्षाओं के लिए शुल्क जमा किया हुआ है। बावजूद प्रदेश के शिक्षा मंत्री खजानदास इस बात से अनभिज्ञ हैं। उनका कहना है कि इस बारे में उनके पास न तो कोई प्रस्ताव आया है और ना ही किसी अभ्यर्थी ने शिकायत की है। लिहाजा प्रतियोगी परीक्षाओं की तिथि में फेरबदल की कोई संभावना नहीं है। उधर, शनिवार को होने वाली शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को लेकर पूरी तैयारी है। सभी परीक्षा केंद्रों पर मजिस्ट्रेट तैनात किए जाएंगे। परीक्षा का आयोजन प्राविधिक शिक्षा परिषद रुड़की द्वारा किया जाएगा(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,27.8.11)।

बिहारःIGIMS को मिली नामांकन की अनुमति

Posted: 27 Aug 2011 11:43 AM PDT

पटना उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में एक सौ छात्रों को एमबीबीएस में नामांकन की अनुमति दे दी है। मुख्य न्यायाधीश रेखा एम. दोशित व न्यायमूर्ति वीरेंद्र प्रसाद वर्मा के पीठ ने इस बाबत आईजीआईएमएस व राज्य सरकार की अपील स्वीकार कर ली। पीठ ने कहा कि आईजीआईएमएस बिहार संयुक्त परीक्षा बोर्ड के तैयार दूसरे काउंसिलिंग की सूची के आधार पर नामांकन कर सकता है। न्यायालय के एकल पीठ ने 19 अगस्त को नामांकन पर रोक लगा दी थी और 25 अगस्त को आग्रह पर भी अनुमति देने से इनकार कर दिया था। एकल पीठ ने इस मामले की सुनवाई 29 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी थी। सरकार की तरफ से अपर अधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर उसे 31 अगस्त से पहले नामांकन करना है। इस दौरान वह नामांकन नहीं करेगा तो अगले महीने भी नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि आईजीआईएमएस को पहली बार नामांकन की अनुमति मिली है और वह भी एक साल के लिए(राष्ट्रीय सहारा,पटना,27.8.11)।

पंजाबःपीसीएस मुख्य परीक्षा 14 से

Posted: 27 Aug 2011 11:42 AM PDT

पीपीएससी ने आखिरकार पीसीएस की मुख्य परीक्षा के लिए डेटशीट जारी कर दी है। पंजाब स्टेट सिविल सर्विसिस कंबाइंड कंपीटिटिव मेन एग्जाम, 2009 के तहत यह परीक्षा 14 सितंबर से शुरू होगी और दस अक्टूबर तक चलेगी। सबसे पहले सोशियोलॉजी का पेपर ए होगा। सबसे बाद में यानी दस अक्तूबर को फिजिक्स, जुओलॉजी और इकॉनामिक्स के बी पेपर होंगे। सभी पेपर दोपहर दो से शाम पांच बजे तक होंगे।

उधर नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों ने मांग की है कि पीसीएस (ज्युडीशियल) की तरह ही इस एग्जाम के लिए प्रश्नपत्र पूरी तरह से गोपनीयता बरतते हुए सेट किए जाएं। इस पूरी प्रक्रिया की मानिटरिंग हाईकोर्ट की एक कमेटी करे जिसकी अध्यक्षता कोई सिटिंग या रिटायर्ड जज करें। साथ ही मांग की गई है कि डाक्टरों की भर्ती में गड़बड़ी के मामले में जिन कमीशन मेंबरों को अदालत ने क्लीन चिट नहीं दी है, उन्हें पीसीएस भर्ती के सेलेक्शन प्रोसेस से परे रखा जाए(दैनिक भास्कर,लुधियाना-पटियाला,27.8.11)।

पं.रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटीः150 छात्रों की पीएचडी पर सवालिया निशान!

Posted: 27 Aug 2011 11:38 AM PDT

पं.रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी में प्रवेश परीक्षा दिए बिना पीएचडी कर रहे तकरीबन 150 छात्रों की डिग्री पर सवालिया निशान लग सकता है। डिग्री के लिए रविवि ने यूजीसी को पत्र लिखा था, लेकिन रिमाइंडर के बाद भी यूजीसी से कोई जवाब नहीं आया है। ऐसे में बिना एंट्रेंस एग्जाम दिए शोध कर रहे छात्र दुविधा में हैं।

पीएचडी के लिए यूजीसी ने जुलाई 2009 में एक रेगुलेशन जारी किया था जिसके मुताबिक पीएचडी में बिना प्रवेश परीक्षा दिए शोध का पंजीयन नहीं हो सकता। देश के ज्यादातर विश्वविद्यालयों ने इसे स्वीकार करते हुए पीएचडी के रजिस्ट्रेशन पर ब्रेक लगा दिया, लेकिन पं.रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी में ऐसा नहीं हुआ।


यहां पर जुलाई 2009 से अप्रैल 2010 के बीच बिना एंट्रेस एग्जाम के तकरीबन 150 छात्रों को पीएचडी के लिए रजिस्टर कर दिया गया। बाद में विरोध और हंगामे के बाद सितंबर 2010 में पीएचडी में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा की प्रक्रिया शुरू हुई। इस बीच बिना एंट्रेंस के रजिस्टर हो चुके छात्र विभिन्न विभागों में शोध में जुटे रहे। जब इन्होंने विवि प्रशासन से अपनी डिग्री के बारे में जानना चाहा तो विवि ने छह महीने के कोर्स वर्क में इन्हें शामिल कर लिया। 

इस संबंध में विवि के अधिकारियों का कहना है कि जिस समय रेगुलेशन आया उस समय छात्रों को रजिस्टर करने की प्रक्रिया चल रही थी। बिना ऑर्डिनेंस में बदलाव किए कुछ नहीं हो सकता था। बिना प्रवेश परीक्षा के रजिस्टर हुए छात्रों के लिए प्रवेश परीक्षा करना मुश्किल था। उन्हें छह महीने का कोर्स वर्क कराया जा रहा है। साथ ही इस संबंध में यूजीसी को पत्र लिखा गया है। ऐसे में यूजीसी के जवाब पर इन छात्रों का भविष्य अटक गया है। 

हमारी डिग्री का क्या होगा

यूजीसी के रेगुलेशन 2009 के आधार पर रजिस्टर नहीं हुए छात्रों का कहना है कि हम विभाग में शोध कार्य कर रहे हैं। समय और पैसे दोनों खर्च हो रहे हैं। इसके बाद भी समझ नहीं आ रहा है कि हमारी डिग्री यूजीसी के रेगुलेशन के आधार पर सही होगी या नहीं। हालांकि विवि अभी कोर्स वर्क करा रहा है।

सीधी बात: केके चंद्राकर, रविवि के कुलसचिव 

- सवाल : बिना एंट्रेंस के छात्रों को रजिस्टर्ड क्यों किया गया?

जवाब : ऑर्डिनेंस में संशोधन किए बिना किसी नियम को लागू नहीं किया जा सकता। इसी वजह से पीएचडी संबंधी यूजीसी के रेगुलेशन को लागू करने में समय लग गया। इस बीच छात्र पीएचडी के लिए रजिस्टर्ड हुए।

- सवाल : पीएचडी में रजिस्टर्ड हुए इन छात्रों का क्या होगा?

जवाब : उन्हें छह महीने का कोर्स वर्क कराया जा रहा है। 

- सवाल : इस विषय में यूजीसी से संपर्क किया गया?

जवाब : हां, उन्हें पत्र लिखा गया(दैनिक भास्कर,रायपुर,27.8.11)।

गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कालेजः19 महीने से वेतन नहीं फिर भी जमे

Posted: 27 Aug 2011 11:35 AM PDT


इस भीषण महंगाई में जब ईमानदारों का वेतन में गुजारा मुश्किल हो चला है, बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डा. आर. के. सिंह 19 माह से यहां बिना वेतन डटे हैं। शासन के तबादला आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती देकर स्थगनादेश के साथ लौटे डा. सिंह ने वेतन पाने के लिए न तो न्यायालय की शरण ली और न ही शासन पर दबाब बनाया। 19 माह के कार्यकाल में अपनी कार्यपण्राली को लेकर चर्चित डा. सिंह पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। शासन ने उनका तबादला पहले जालौन मेडिकल कालेज और फिर इनकी मांग पर कन्नौज मेडिकल कालेज किया है। लेकिन अब वे जालौन जाने को भी तैयार नही हैं। बीआरडी मेडिकल कालेज में न तो उन्हें वेतन मिल रहा है और न ही वे प्रधानाचार्य आवास में रहते है। वे कालेज में बने गेस्ट हाउस में रहते हैं और उन पर सिर्फ बिधुत बिल का ही लगभग 65 हजार रुपये बकाया है। नियमत: कोई भी इतने लंबे समय तक गेस्ट हाउस में नहीं रह सकता। 08 फरवरी 2010 को कानपुर से गोरखपुर तबादले पर आये डा. आर. के. सिंह का विवादों से पुराना नाता है। कानपुर में उन्हे जो सरकारी आवास मिला था उसे उन्होंने अब तक नहीं छोड़ा। कालेज से लेकर शासन तक उन्हें आवास खाली करने का कई बा र निर्देश दे चुका है। पर न तो उन्होंने मेडिकल कालेज की सुनी और न शासन की। कानपुर मेडिकल कालेज से न तो उन्हें नो डय़ूज मिला और न हीं एलपीसी ( लास्ट पेमेन्ट सर्टिफिकेट)। तबादले पर जाने के बाद नये तैनातीस्थल पर वेतन पाने के लिए एलपीसी का आना जरूरी है। इस बारे में पूछने पर डा. सिंह का कहना है कि यह सच है कि उन्हे पिछले 19 महीने से वेतन नहीं मिल रहा है। पर इसके लिए शासन स्तर पर मेरी वार्ता चल रही है, उम्मीद है कि जल्द ही वेतन मिल जाये। यह पूछने पर कि बिना वेतन कैसे गुजारा होता है, उन्होंने कहा जैसे- तैसे चलता है। यह पूछने पर कि एक तरफ आप यहां बने रहना चाहतेहैं और दूसरी तरफ अपनी अन्य व्यस्तताओं के चलते आप एक वर्ष यानी 365 दिन में कुल 156 दिन गोरखपुर से बाहर रहे हैं, ऐसे में पहले से ही ससमस्याओं से जूझ रहे गोरखपुर मेडिकल कालेज की समस्याओं का समाधान कैसे संभव है? उन्होंने कहा गोरखपुर से मेरे बाहर रहने के बारे में आप जो आंकड़ा बता रहे हैं, वह सही नहीं है। रही समस्याओं की बात तो उसके समाधान के लिए सतत प्रयत्नशील हूं। जबकि मेडिकल कालेज सूत्रों के मुताबिक पिछले एक साल के दौरान डा. सिंह किसी भी शनिवार और रविवार को गोरखपुर नहीं रहे हैं। यानी साल के लगभग 110 दिन। शेष 46 दिन कभी मीटिंग तो कभी आवश्यक कार्य बता कर वे बाहर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक डा. सिंह ने अपने कार्यकाल में यहां अजीबोगरीब कार्यशैली विकसित की। नियमों को दरकिनार कर लगभग एक करोड़ रुपये का सामान बिना वित्तीय स्वीकृति के खरीदा। कुछ विभागों में बिना जरूरत है सामान उपलब्ध करा दिये जिन सामानों की अन्य विभागों में सख्त जरूरत है और बिना सामान वहां कार्य प्रभावित हो रहा है। डा. सिंह का दावा है उन्होंने अपने प्रयासों से यहां दवा तथा सुविधाओं की उपलब्धता के लिए काफी काम किया है जबकि कड़वी हकीकत यह है कि पूर्वाचल में इंसेफेलाइटिस का प्रकोप शुरु होने के बाद से पिछले साल तक जो मृत्यु दर रही है, उससे कहीं अधिक इस बार दिख रही है। उनका कहना है कि इंसेफेलाइटिस से मरने वालों की संख्या बढ़ने का कारण मरीजों की संख्या में इजाफा है जबकि आंकड़े बताते है कि बाल रोग के नियोनेटल वार्ड में ही पिछले सालों के मुकाबले मृत्युदर दूनी हो गयी है। कालेज में 23 वेटिलेटर मशीने खराब पड़ी हैं। इस बाबत पिछले दिनों एक बैठक भी हुई जिसमे फर्म का कहना था कि यहां पेमेंट का काफी लफड़ा है। प्रकारान्तर से उसने यही कहा कि कमीशनबाजी अधिक होने के कारण यहां काम करना मुश्किल हो गया है(दीप्त भानु डे,राष्ट्रीय सहारा,गोरखपुर,27.8.11)।

यूपी में छात्रों को न कोर्स की जानकारी न किताबों का अता-पता

Posted: 27 Aug 2011 11:32 AM PDT

उच्च शिक्षा विभाग ने शासनादेश जारी कर विविद्यालयों में न्यूनतम एक समान कोर्स लागू कर दिया है, लेकिन अभी तक छात्रों को न कोर्स की जानकारी है और न ही किताबों का अता-पता है। वह भी तब जबकि विविद्यालयों में नया शैक्षिक सत्र डेढ़ महीने पहले शुरू हो गया था और स्नातक के प्रवेश भी पूरे हो चुके हैं। उल्लेखनीय है कि सचिव उच्च शिक्षा ने 25 अगस्त को शासनादेश जारी कर 67 विषयों में एक समान पाठ्यक्रम के सभी विविद्यालयों में अमल करा दिया है। अभी तक नये कोर्स के मुताबिक किताबें भी नहीं छपीं हैं और छात्र पुराने कोर्स को डेढ़ महीने से पढ़ रहे हैं। नये कोर्स के बारे में उन्हें जानकारी भी नहीं है और शिक्षक भी नये-पुराने की दुविधा में फंस गये हैं। शासन के एक अधिकारी ने कहा कि अब विविद्यालयों को अमल के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी। उधर लखनऊ विविद्यालय सम्बद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) के अध्यक्ष डा. मनोज पाण्डेय ने कहा कि सरकार को न्यूनतम एक समान पाठ्यक्रम अगले शैक्षिक सत्र से लागू करना चाहिए था। वह अपनी जिद पर अड़ी है और डेढ़ महीने बाद नये कोर्स के अमल का शासनादेश जारी किया गया है। लखनऊ विविद्यालय शिक्षक संघ के महामंत्री डा. आरबी सिंह ने कहा कि न्यूनतम एक समान कोर्स लागू करने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। एक तो विविद्यालयों की अपनी पहचान पर संकट खड़ा हो जाएगा। बीएससी में दाखिला ले चुके छात्र अभी तक लविवि का कोर्स पढ़ रहा था अब उसे किसी दूसरे कोर्स को पढ़ने के लिए कहा जाएगा, तो उसकी पढ़ाई बाधित होगी, साथ ही किताबों का भी संकट खड़ा हो सकता है। लविवि के सहयुक्त शिया पीजी कालेज के प्राचार्य डा. एमएस नकवी ने कहा कि एक समान कोर्स को लागू करने के लिए अभी जल्द बाजी की जा रही है। शिक्षक तैयार नहीं हुए हैं, किताबों की किल्लत है, लेकिन कोर्स को लागू करने के लिए शासनादेश कर दिया गया। इसके लिए सरकार को शिक्षक तैयार कराने चाहिए, आखिर उन्हें भी खुद में बदलाव लाने के लिए मोहलत चाहिए। सरकार का एक समान कोर्स का निर्णय यूजीसी की नेट परीक्षा के लिहाज से तो डीक है, लेकिन इसमें जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए। लखनऊ विविद्यालय में विधि संकाय के अधिष्ठाता व विभागाध्यक्ष प्रो. ओएन मिश्र ने कहा कि इस बार से लागू नहीं हो सकता है। कानूनी रूप से भी यह गलत है। छात्र ने हमारे पाठ्यक्रम को देखकर प्रवेश लिया है, उनके दाखिले भी पूरे हो चूके हैं, लेकिन अब बीच सत्र में पाठ्यक्रम को बदलने से कई अड़चने पैदा हो जाएंगी। लविवि में बीएससी प्रथम मैथ की छात्रा सौम्या सिंह का कहना है कि सरकार पढ़ाई के साथ मनमानी नहीं कर सकती है। सभी विविद्यालयों में न्यूनतम एक समान कोर्स लागू करने के फायदे कम नुकसान ज्यादा होगा। आखिर कितने छात्रों को पढ़ाई के बीच में विविद्यालय बदलना पड़ता है। सौम्या की अब लविवि में दाखिला देने की खुशी फीकी पड़ गयी(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,27.8.11)।

सीकरःकॉमर्स शिक्षकों की कमी बन रही है परेशानी का सबब

Posted: 27 Aug 2011 11:31 AM PDT

'हमें पढ़ना है। कैसे पढ़ें। कॉमर्स विषय पढ़ाने वाले टीचर नहीं हैं। शिक्षक 100-100 रुपए मांगते हैं। आवाज उठाते हैं तो टीसी कटवाने के लिए कहा जाता है। शिक्षा विभाग में शिकायत के लिए कहते हैं तो कहा जाता है, अन्ना ने आंदोलन करके क्या कर लिया। सर, आप बताएं, क्या हमें पढ़ने का हक नहीं है। क्या हम सपने नहीं देख सकते।'

शुक्रवार को बजाज रोड स्थित राजकीय कन्या पाठशाला सीनियर सैकंडरी स्कूल की 11-12वीं कक्षा की करीब 25 छात्राएं छुट्टी के बाद डेढ़ बजे शिक्षा विभाग पहुंचीं। कुछ इस तरह बयां किया दर्द। यह पहला मामला है, जब किसी स्कूल की छात्राएं खुद शिक्षा विभाग पहुंचीं और शिक्षकों की नियुक्ति की मांग रखी। पहले तो उनके कदम डीईओ ऑफिस के बाहर ही थम गए। 15 मिनट आपस में गुफ्तगु के बाद कुछ छात्राएं डीईओ के चैंबर में दाखिल हुईं। डीईओ चैंबर में नहीं थे। कुछ देर इधर-उधर घूमने के बाद शैक्षिक प्रकोष्ठ के कमरे में चली गई। छात्राओं ने सवाल किया- क्या हमें सपने पूरा करने का हक नहीं है। कॉमर्स की छात्राएं हैं। अकाउंट, बिजनेस एडमिन व ईएफएम पढ़ाने के लिए दो साल से टीचर नहीं है। हमारी मांग पर स्कूल ने दो प्राइवेट टीचर रख लिए। अब हमसे उनकी तनख्वाह के लिए 100-100 रुपए मांगे जा रहे हैं।

स्कूल के शिक्षक कहते हैं, ट्यूशन भी तो करती हो, पैसे नहीं दे सकती तो टीसी ले जाओ?' छात्राओं ने बताया कि सुबह भी स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर बहस हुई। पैसे नहीं देने पर शिक्षक टीसी कटवाने तक की धमकी देते हैं। शिक्षक कहते हैं, अन्ना ने संघर्ष करके क्या कर लिया। जयपुर जाओ, चाहे शिक्षा विभाग में शिकायत कर दो। 100-100 रुपए तो देने ही पड़ेंगे। छात्राओं ने शिक्षा अधिकारियों से गुहार लगाई कि स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति जल्द करवा दो, नहीं तो हमारे सपने अधूरे रह जाएंगे। पिछला साल भी हमारा यूं ही चला गया। इस बार कुछ करिए। इस दौरान छात्रा चांदनी शर्मा, किरण व्यास, अर्चना शर्मा, पूजा, नेहा, कविता, ज्योति, अंजनी, उर्मिला, सुनीता, मोनिका, परवीन व ज्योति सहित अन्य छात्राओं ने लिखित में शैक्षिक प्रकोष्ठ प्रभारी को अपना ज्ञापन सौंपा(दैनिक भास्कर,सीकर,27.8.11)।

आईआईटी से आईआईएम तक छात्राओं को राहत

Posted: 27 Aug 2011 11:29 AM PDT

मैनेजमेंट की पढ़ाई हो या फिर इंजीनियरिंग की वर्ष 2012 सत्र में आईआईएम व आईआईटी में दाखिले के लिए जाने वाली छात्राओं को अब छात्रों के मुकाबले बड़ी राहत मिलने जा रही है। आईआईटी ने जहां आगामी 8 अप्रैल 2012 को आयोजित होने वाले आईआईटी ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम के लिए छात्राओं से आवेदन शुल्क न वसूलने का फैसला किया है, वहीं आईआईएम लखनऊ, रोहतक व रॉयपुर ने छात्राओं को अंकों के मोर्च पर बड़ी राहत देने का निर्णय लिया है।

दिल्ली आईआईटी के निदेशक प्रो. सरेन्द्र प्रसाद व कानपुर आईआईटी के निदेशक प्रो. संजय गोविंद धांडे ने बताया कि इस बार प्रवेश परीक्षा में पेंसिल की बजाए बॉल पेन का इस्तेमाल करना होगा। इसके अलावा, ओबीसी कोटे को लागू किए जाने के मुद्दे पर उनका कहना था कि इस दिशा में प्रयास जारी है, लेकिन अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका है।

उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति पर नजर डालें तो यहां ओबीसी उम्मीदवारों की मौजूदगी को लेकर कोई परेशानी नहीं है। आगामी 8 अप्रैल, 2012 को आयोजित की जा रही आईआईटी की प्रवेश परीक्षा के लिए इस बार आवेदक ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों से आवेदन कर सकते हैं, जिसके लिए लगभग 16 से 18 सौ का भुगतान करना होगा। हालांकि, छात्राओं से आवेदन शुल्क नहीं वसूला जाएगा। आईआईएम ने भी अपने यहां छात्राओं को अंकों के मोर्चे पर राहत दी है। आईआईएम लखनऊ ने जहां उन्हें पांच अंकों की राहत दी है, वहीं आईआईएम रोहतक ने 20 अंकों की छूट देने का निर्णय किया है। इसी कड़ी में आईआईएम रायपुर ने अपने यहां छात्राओं को 30 अंकों की राहत देने का निर्णय किया है। उदाहरण के तौर यदि आईआईएम लखनऊ में दाखिले के लिए पहुंची छात्रा को प्रवेश परीक्षा में 20 अंक मिले तो उन्हें 25 अंकों के बराबर माना जाएगा(दैनिक भास्कर,दिल्ली,27.8.11)।

स्नातक में 45 फीसद अंक पाने वाले बीएड अभ्यर्थी भी दे सकें गे टीईटी परीक्षा

Posted: 27 Aug 2011 11:29 AM PDT


स्नातक में 45 फीसद अंक के साथ बीएड उत्तीर्ण अभ्यर्थी भी प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए होने वाली अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में शामिल हो सकेंगे। इसके लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने 29 जुलाई को किये गये बदलाव की अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसके मुताबिक स्नातक में 45 फीसद अंक के साथ बीएड में 45 फीसद अंक के उत्तीर्ण अभ्यर्थी भी अर्ह होंगे। उन्हें जनवरी 2012 तक कक्षा एक से पांच तक के लिए नियुक्ति किये जाने के पात्र होंगे। प्राथमिक स्कूलों में तैनात होने वाले शिक्षकों में अब बीपीएड को भी शामिल करने की मांग की गयी है। आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों जैसे एससी- एसटी, ओबीसी और विकलांगों को अर्ह अंकों में पांच फीसद की छूट दी जा सकेगी। बीएड बीपीएड संघर्ष समिति के अध्यक्ष रवि शास्त्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने 88 हजार प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती छह माह में पूरी करने का एलान किया था, लेकिन गलत चयन प्रक्रिया की भेंट चढ़ गयी। उन्होंने मांग की है कि विशिष्ट बीटीसी भर्ती प्रक्रिया भी बीएड प्रवेश परीक्षा की तरह करायी जाए, ताकि एक अभ्यर्थी से केवल एक ही आवेदन पत्र लिया जाए। इसकी वजह से डायट स्तर पर होनी वाली खामियों से बचा जा सकेगा। उन्होंने बीपीएड डिग्री धारकों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने की मांग की है और इस प्रस्ताव को पास कराने के लिए 29 अगस्त को केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के घेराव का एलान किया और सभी बीएड व बीपीएड अभ्यर्थियों से दिल्ली चलो की अपील की है। उन्होंने कहा कि टीईटी को लेकर गत सात महीनों से बवाल हो रहा है और अब माध्यमिक शिक्षा परिषद ने अपनी बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों का हवाला देकर इस परीक्षा को कराने से भी हाथ खड़े कर दिंये हैं। उन्होंने राज्य सरकार के एक विशेष सचिव को बेवजह इस मामले को तूल देने का आरोप भी लगाया है। श्री शास्त्री ने कहा कि स्नातक चाहे किसी भी विषय के हों, भर्ती प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने तो अब बीबीए, बीसीए, बीकाम, बीएससी, बीए, बीएससी एजी सभी को बीएड की अर्हता के लिए मंजूरी दे दी है(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,27.8.11)।

अजमेरःरीजनल कॉलेज में रैगिंग, चार छात्र निष्कासित

Posted: 27 Aug 2011 11:27 AM PDT

शहर के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान रीजनल कॉलेज में सीनियर छात्रों द्वारा एक जूनियर की रैंगिंग ले ली गई। रैगिंग के आरोपी छात्रों ने जूनियर को न केवल धूप में खड़ा कर दिया बल्कि उसके रोने पर उसे चुप कराने के लिए उससे मारपीट भी की।
कॉलेज प्रशासन ने कड़ा कदम उठाते हुए रैगिंग के आरोपी चारों छात्रों को देर रात कॉलेज सहित हॉस्टल से निष्कासित कर दिया। शनिवार को आरोपी छात्रों के संबंध में आगे की कार्रवाई करने पर निर्णय किया जाएगा।
प्रिंसीपल ने शिनाख्त कराई

कॉलेज में रैगिंग की सूचना मिलते ही प्राचार्य केवी रथ पीड़ित छात्र के पास पहुंचे, जहां उन्होंने उससे पूरे मामले की जानकारी ली। इसके बाद रथ ने रैगिंग के आरोपी चारों छात्रों को मौके पर बुलाकर पीड़ित छात्र से उनकी शिनाख्त कराई।
जूनियर छात्रों में सीनियर छात्रों के खिलाफ रोष व्याप्त हो गया। पीड़ित छात्र ने कॉलेज प्राचार्य को उसे आरोपी छात्रों द्वारा बुरी तरह पीटने की जानकारी दी। सूत्रों के अनुसार आरोपी छात्र इससे पूर्व भी कॉलेज में में कई बार मारपीट कर चुके हैं।
बैठक बुलाई दहशतजदा पीड़ित छात्र द्वारा प्राचार्य को मामले की जानकारी देने के दौरान कॉलेज छोड़कर जाने की इच्छा जताते ही कॉलेज प्रशासन सकते में आ गया। मामले की गंभीरता को भांपते हुए शुक्रवार शाम को प्राचार्य ने रैगिंग के मामले को लेकर कॉलेज के प्रोक्टोरियल बोर्ड की आपात बैठक बुलाई।
जिसमें प्रिंसीपल सहित चीफ वार्डन, स्टूडेंट डीन, सभी छात्रावासों के वार्डन, शारीरिक शिक्षक और सभी विभागों के विभागाध्यक्ष मौजूद थे। देर रात तक चली बोर्ड बैठक में चारों आरोपी छात्रों को हॉस्टल सहित कॉलेज से निष्कासित करने का सर्वसम्मत निर्णय किया गया।
प्राचार्य रथ से संपर्क किए जाने पर उन्होंने कॉलेज में रैगिंग होने की पुष्टि करते हुए मामले में आगे कार्रवाई करने के लिए शनिवार को निर्णय लेने की जानकारी दी। हालांकि उनका कहना था कि ऐसा किए जाते समय आरोपी छात्रों के भविष्य को भी देखेंगे।
कॉलेज में बीएड प्रथम वर्ष के छात्र के साथ चार छात्रों ने मारपीट की है। घटना की जानकारी मिलने के बाद बोर्ड की बैठक में चारों छात्रों को निष्कासित करने का निर्णय किया गया है। शनिवार को मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।"" प्रो. केवी रथ, प्राचार्य रीजनल कॉलेज अजमेर
धूप में खड़ा किया, रोने पर पीटा
जानकारी के अनुसार रीजनल कॉलेज में बीएड प्रथम वर्ष के एक छात्र को हॉस्टल में रहने वाले बीएससी-बीएड (द्वितीय वर्ष) के तिलक हॉस्टल के छात्र कमल किशोर, लक्ष्मण, सुनील कुमार और वरुण ने शुक्रवार सायं करीब 4 बजे हॉस्टल के पास रोक लिया। चारों सीनियर छात्रों ने जूनियर छात्र को दोपहर काफी देर तक धूप में खड़ा रख कर प्रताड़ित किया।
काफी देर परेशान होने के बाद पीड़ित छात्र जब रोने लगा तो उसे चुप कराने के लिए सीनियर्स ने उसे पीटना शुरू कर दिया। पीड़ित छात्र के साथ आरोपी चारों छात्र बुरी तरह से मारपीट कर मौके से भाग छूटे। घटना से पूरे कॉलेज में सनसनी फैल गई। जूनियर्स ने सीनियर्स के खिलाफ गुस्सा भी जताया(दैनिक भास्कर,अजमेर,27.8.11)।

राजस्थानःइंजीनियरिंग स्टूडेंट्स का बदला रुख

Posted: 27 Aug 2011 11:26 AM PDT

राजस्थान में इंजीनियरिंग एजुकेशन के हालात अच्छे नहीं हैं। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि आरपीईटी की ओर से इंजीनियरिंग कॉलेज अलॉटमेंट हो गए हैं, लेकिन आरपीईटी के अनुसार राज्य के 175 इंजीनियरिंग कॉलेजों में से सिर्फ 27 कॉलेज ऐसे हैं, जिनकी फस्र्ट अलॉटमेंट में सभी सीटें भरी हैं। दूसरी ओर 72 कॉलेजों को 100 से कम और 52 कॉलेजों को 50 से कम स्टूडेंट मिले हैं। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि 36 कॉलेजों को 25 स्टूडेंट भी नहीं मिले।

प्लेसमेंट पर भी असर
स्टूडेंट्स इसके लिए आरटीयू को जिम्मेदार मान रहे हैं। आरटीयू की ओर से सेशन का सही समय पर शुरू नहीं करना और रिजल्ट में देरी जैसे कारणों से साख गिरती जा रही है। रिजल्ट में देरी की वजह से कई बार स्टूडेंट्स बेहतर कंपनियों में प्लेसमेंट से भी वंचित रह जाते हैं।

कहां जा रहे हैं स्टूडेंट्स?
आरपीईटी के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो इस वर्ष करीब 70 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स ने आरपीईटी एग्जाम दिया था, लेकिन फस्र्ट काउंसलिंग में करीब 23 हजार को कॉलेज अलॉट हुए। अब यह 45 हजार स्टूडेंट्स कहां गए? स्टूडेंट्स समय रहते राज्य की डीम्ड और प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के साथ दूसरों राज्यों का रुख कर रहे है।

कुछ ऐसी बनी सोच

एक सर्वे के अनुसार स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन के लिए दूसरे राज्यों के कॉलेजों को भी चुन रहे हैं। इसलिए इंजीनियरिंग के इच्छुक स्टूडेंट्स प्राइवेट और डीम्ड यूनिवर्सिटीज को भी देखते हैं। बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, अनुभवी फैकल्टी, एग्जाम और रिजल्ट का समय पर आना जैसे आकर्षण शामिल हैं। दूसरी ओर आरटीयू में एडमिशन, सैशन, एग्जाम और रिजल्ट जैसे मामलों में कैलेंडर फॉलो नहीं होता। स्टूडेंट राजीव शर्मा कहते हैं, आरटीयू के कॉलेजों में जहां फस्र्ट अलॉटमेंट के बाद भी आधी सीटें खाली हैं और शायद डायरेक्ट एडमिशन देने की तैयारी चल रही है, वहीं अन्य संस्थानों में एडमिशन और ओरिएंटेशन प्रोग्राम होकर कक्षाएं भी शुरू हो गई हैं।

निजी कॉलेजों के सामने यह चैलेंज की बात है और उन्हें बेहतर इन्फ्रास्ट्रेक्चर और अच्छी फैकल्टी रखकर इसे पूरा करना होगा। आरटीयू की ओर से अब हर सेमेस्टर का रिजल्ट तीन महीने में देने की पहल की जा रही है।""
प्रोफेसर आर.पी. यादव, वीसी आरटीयू 
आरटीयू और कॉलेजों में बेहतर तालमेल के अभाव में स्टूडेंट्स विमुख हो रहे हैं। दूसरी ओर निजी संस्थान श्रेष्ठ प्लेसमेंट इन्फ्रास्ट्रेक्चर के साथ रिजल्ट समय पर देने से फायदे में हैं।""
डॉ. बी.वी. फोमशेखर, वीसी ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी(विजय सिंह,दैनिक भास्कर,जयपुर,27.8.11)

यूपीःशिक्षामित्रों की याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

Posted: 27 Aug 2011 11:24 AM PDT

शिक्षा मित्रों की दूरस्थ शिक्षा के तहत हो रही ट्रेनिंग में स्नातक शिक्षा मित्रों के साथ इंटरमीडिएट योग्यता रखने वाले शिक्षा मित्रों को भी शामिल किए जाने की मांग वाली याचिका पर उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 6 सितम्बर को नियत की है। न्यायमूर्ति श्री नारायण शुक्ल की एकल पीठ ने यह आदेश याची अनीता वर्मा की ओर से अधिवक्ता आलोक मिश्र द्वारा दायर याचिका पर दिए हैं। विदित हो कि दूरस्थ शिक्षा विधि के अन्तर्गत डिप्लोमा इन एलिमेन्ट्री एजूकेशन के तहत दो वर्ष की ट्रेनिंग स्नातक योग्यता रखने वाले शिक्षा मित्रों को दिए जाने का शासनादेश 11 जुलाई 2011 को सरकार ने जारी किया। इसके लिए 18 जुलाई 2011 को विज्ञापन जारी किया गया। याचिका प्रस्तुत कर याची ने शासनादेश को चुनौती देते हुए कहा है कि एनसीटीई रेगुलेशन के अनुसार इंटरमीडिएट की योग्यता वालेशिक्षा मित्र भी ट्रेनिंग के लिए अर्ह हैं। याची ने कहा है कि शासनादेश विधि विरुद्ध है। इसे निरस्त किया जाए तथा स्नातक की योग्यता वाले शिक्षा मित्रों के साथ-साथ इंटरमीडिएट की योग्यता वाले शिक्षा मित्रों को भी ट्रेनिंग में शामिल किया जाए(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,27.8.11)।

यूपीःसीपीएमटी द्वितीय काउंसलिंग पांच से

Posted: 27 Aug 2011 11:23 AM PDT

कम्बाइण्ड प्री मेडिकल टेस्ट (सीपीएमटी) की दूसरे चरण की काउंसलिंग की डेट बढ़ा दी गयी है। पहले से प्रस्तावित 25 अगस्त से होने वाली काउंसलिंग अब 5 सितम्बर से होगी। काउंसलिंग की तिथि पहले से ही घोषित होने के कारण शुक्रवार को अभ्यर्थियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। आल इंडिया स्तर पर होने वाली काउंसलिंग में देरी के कारण प्रदेश स्तर पर राजकीय मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिए होने वाली काउंसिलिंग को पूर्व निर्धारित समय पर नहीं कराया जा सका। केन्द्र में होने वाली काउंसलिंग में सभी राज्यों की निर्धारित मानक के अनुसार सीटें शामिल होतीं हैं। यहां काउंसलिंग पूरी होने के बाद रिक्त सीटों को ही सम्बन्धित स्टेट को वापस किया जाता है। आल इंडिया स्तर पर 21 अगस्त से द्वितीय काउंसलिंग शुरू की गयी। तीन दिन तक चलने वाली काउंसलिंग के बाद अभ्यर्थी को प्रवेश लेने में कम से कम दस दिन का समय लगता है उसी के बाद सीटों की स्थिति की सही जानकारी हो पाती है। इन्हीं परेशानियों को देखते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया से काउंसलिंग की तिथि आगे बढ़ाने की मांग की थी। एमसीआई से मिली मंजूरी के बाद विभाग ने नयी तिथि की घोषणा की है(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,27.8.11)।

मध्यप्रदेशःसमय पर रिजल्ट नहीं दिया तो लगेगा जुर्माना

Posted: 27 Aug 2011 11:21 AM PDT

उच्च शिक्षा विभाग में विद्यार्थियों से सीधे तौर पर जुड़े कार्यो की समय सीमा तय की जाएगी। इन कार्यो को लोक सेवा प्रदाय गांरटी अधिनियम 2010 के दायरे में लाया जाएगा। इस संबंध में उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने प्रस्ताव बनाने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए हैं। शर्मा ने ये निर्देश शुक्रवार को राजधानी के विज्ञान भवन में आयोजित विभाग की समीक्षा बैठक में दिए। इस अधिनियम में कामों को समय सीमा में नहीं करने वाले संबंधित अधिकारी पर जुर्माने का प्रावधान है।

प्रदेश के कॉलेज के छात्रों को समय पर अपनी परीक्षा आयोजित कराने, रिजल्ट घोषित करने, डुप्लीकेट मार्कशीट लेने और रिवेल्यूशन के लिए अब परेशान नहीं होना पड़ेगा। फिलहाल सेमेस्टर परीक्षा और उसके रिजल्ट में देरी होने पर जिम्मेदार के खिलाफ सीधे कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन, इसके लागू होने पर विभाग के हर काम की समय सीमा तय हो जाएगी, जिम्मेदार अधिकारी की जवाबदेही भी सुनिश्चित की जाएगी।


इस अधिनियम के प्रभावी होने के बाद यदि सेमेस्टर सिस्टम निर्धारित समय में पूरा नहीं होता और परीक्षा तय तिथि पर नहीं होती तो छात्र इसकी शिकायत कर सकेंगे। इसके बाद मार्कशीट देने की समय सीमा भी तय की जाएगी। अभी इसकी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है।

"छात्रों के हर काम समय सीमा में हों, इसके लिए लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम को विभाग के कामों में लाया जा रहा है। इसके लिए प्रस्ताव बनाने के आदेश अधिकारियों को दे दिए गए हैं।"
लक्ष्मीकांत शर्मा,उच्च शिक्षा मंत्री(दैनिक भास्कर,भोपाल,27.8.11)

मध्यप्रदेशःकॉलेज परीक्षा में अब मिलेगी एक ही कॉपी!

Posted: 27 Aug 2011 11:20 AM PDT

कॉलेज के छात्रों को प्रश्नों के उत्तर लिखने के लिए केवल एक ही कॉपी दी जानी चाहिए। सप्लीमेंट्री उत्तर पुस्तिका दिए जाने का प्रावधान खत्म होना चाहिए। साथ ही हर प्रश्न के उत्तर की शब्द सीमा भी तय होना चाहिए, ताकि छात्र उत्तर पुस्तिकाओं में अनावश्यक बातें न लिख सकें। ये सुझाव उच्च शिक्षा विभाग की शुक्रवार को हुई बैठक में आए।
उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने और सेमेस्टर सिस्टम में सुधार लाने के लिए उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने विभाग के अधिकारियों, कुलपतियों और प्रिंसिपल की बैठक बुलाई थी। बैठक में कुलपतियों समेत प्रिंसिपल ने अपनी-अपनी समस्याएं बताते हुए सुझाव दिए।
तारीफ मत करो सुझाव दो उच्च शिक्षा मंत्री श्री शर्मा ने कहा कि विभाग के कुछ अधिकारी निजी कॉलेजों और निजी विवि से सांठगांठ कर आर्थिक हित साधने में लगे हैं, जो अत्यंत गंभीर है। इस दौरान श्री शर्मा को कई बार ये नसीहत देनी पड़ी कि बैठक में प्रिंसिपल और अधिकारी उनकी तारीफ करने के बजाए सुझाव दें।

उन्होंने बरकतउल्ला विवि के रजिस्ट्रार संजय तिवारी से जब रुके हुए रिजल्ट के बारे में पूछा तो वे टालमटोल करने लगे, जिस पर मंत्री ने नाराजगी जताई। मंत्री ने स्पष्ट कहा कि परीक्षा और रिजल्ट में देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने हर विश्वविद्यालय के रीजनल सेंटर्स खोलने, एनएनसी को मजबूत बनाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने ये भी कहा कि वे परीक्षा और रिजल्ट की प्रक्रिया ऑनलाइन करने जा रहे हैं।
इंदौर की देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. पीके मिश्रा ने बताया कि उन्होंने यूनिवर्सिटी का ढांचा बदलने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है। इसके तहत वल्र्ड बैंक के सहयोग से प्रदेश की यूनिवर्सिटी की तस्वीर बदली जा सकती है। ये आए सुझाव और ये रहे तर्क >बिना गैप के परीक्षा आयोजित हों। तर्क-परीक्षा जल्दी आयोजित होंगी।
-केवल एक उत्तर पुस्तिका देकर शब्द सीमा तय की जाए। तर्क-कॉपियां जल्दी चेक होंगी, जिससे रिजल्ट जल्दी आएगा।
-एक्सीलेंस कॉलेज के कटऑफ मार्क्‍स निर्धारित हों। तर्क-शिक्षा में गुणवत्ता आएगी।
-पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो। तर्क-पारदर्शिता और गति आएगी।
ये थी शिकायतें रानी दुर्गावती विवि के रजिस्ट्रार ने कहा कि उनके यहां समस्याओं का अंबार है। सेक्स स्कैंडल का मामला सामने आने के बाद बाहर के प्रोफेसर कॉपी जांचने से इनकार कर रहे हैं। साथ ही स्टॉफ की भी कमी है। देवी अहिल्या विवि के रजिस्ट्रार ने कहा कि बाहर से परीक्षक आने पर उनके टीए, डीए में समस्या आती है। उन्हें नगद टीए, डीए देने का प्रावधान होना चाहिए।
कड़ाई से हो पालन तो मिले बेहतर रिजल्ट"केवल एक उत्तर पुस्तिका देने, परीक्षा और रिजल्ट ऑनलाइन करने और बिना गैप के परीक्षाएं आयोजित कराने के सुझाव वाजिब हैं। इससे पारदर्शिता तो बढ़ेगी ही साथ ही काम में भी तेजी आएगी। हालांकि छात्रों को थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि छात्र मौजूदा प्रक्रियाओं के आदी हो चुके हैं, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग यदि कड़ाई से नई प्रक्रिया का पालन कराएगा तो शिक्षा के स्तर में निश्चित सुधार होगा। परिणाम भी अच्छे मिलेंगे।" संतोष श्रीवास्तव, पूर्व कुलपति, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय(दैनिक भास्कर,भोपाल,27.8.11)

देवी अहिल्या विविः90 के बजाय अब सिर्फ 60 दिन होगी पढ़ाई,पीएचडी प्रवेश परीक्षा का नियम लागू

Posted: 27 Aug 2011 11:18 AM PDT

उच्च शिक्षा को लेकर शुक्रवार का दिन खास रहा। भोपाल में उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में परीक्षाओं की लेटलतीफी खत्म करने और सेमेस्टर सिस्टम को पटरी पर लाने के लिए कई अहम निर्णय लिए गए, वहीं स्टैंडिंग कमेटी ने तय किया कि अब पीएचडी करने के लिए प्रवेश परीक्षा अनिवार्य होगी।

उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। अब प्रत्येक सेमेस्टर में 90 के बजाय 60 दिन पढ़ाई होगी। वहीं, पीरियड 40 के बजाय 60 मिनट का होगा। हालांकि सेमेस्टर को 70 दिन और पीरियड को 55 मिनट करने का भी सुझाव आया है। गजट नोटिफिकेशन एक-दो दिन में होगा।

यह भी तय किया गया है कि प्राइवेट परीक्षा के लिए भी सेमेस्टर सिस्टम लागू होगा। इसी सत्र से एक प्रश्न-पत्र प्रणाली भी लागू की जा रही है। इससे बीकॉम, बीए और बीएससी में नौ के बजाय पांच प्रश्न-पत्र ही होंगे। अब देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी को पूर्व में लिए गए उस निर्णय को भी दमदारी से लागू करना होगा, जिसके तहत सेमेस्टर परीक्षा में पुनर्मूल्यांकन का सिस्टम खत्म किया जाएगा।

यूनिवर्सिटी की तारीफ

60 दिन में कोर्स पूरा करवाकर बीकॉम छठे सेमेस्टर की परीक्षा लेने के देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के निर्णय की तारीफ भी की गई। आला अफसरों ने यूनिवर्सिटी द्वारा प्रोफेसरों की 45 दिन की छुट्टियां निरस्त कर उन्हें अर्जित अवकाश देने के निर्णय की भी सराहना की। बैठक में कुलपति डॉ. पी.के. मिश्रा, रजिस्ट्रार डॉ. आर.डी. मूसलगावकर भी मौजूद थे। अतिरिक्त संचालक डॉ. नरेंद्र धाकड़ का कहना है कि निर्णयों को जल्द लागू किया जाएगा।
पीएचडी : प्रवेश परीक्षा का नियम लागू
स्टैंडिंग कमेटी ने भोपाल में हुई बैठक में तय किया कि बैठक में भी इसे मंजूरी मिल गई है। खास बात यह है कि जो शोधार्थी फॉर्म भर चुके हैं, उन्हें भी प्रवेश परीक्षा देना होगी। इस नियम के लागू होने से अब किसी भी शोधार्थी के लिए पीएचडी की राह आसान नहीं रह जाएगी।

अंडर टेकिंग ले चुकी है यूनिवर्सिटी
इस मामले में देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के लिए राहत की बात यह है कि वह इस सत्र में फॉर्म जमा करने वाले सारे शोधार्थियों से अंडर टेकिंग ले चुकी है। यानी यूनिवर्सिटी उनसे यह लिखवा चुकी है कि अगर नया नियम लागू होगा तो वे उसी के मुताबिक पीएचडी करने के लिए बाध्य रहेंगे। कुलपति डॉ.पी.के. मिश्रा का कहना है कि नियम इसी सत्र से लागू होगा। प्रवेश परीक्षा का मुद्दा स्टेंडिंग कमेटी में अहम था।

अब यह करना होगा
- पीएचडी के लिए पात्रता तभी मिलेगी, जब प्रवेश परीक्षा में पास होंगे 
- गाइड शोधार्थी तय नहीं करेगा। यह जिम्मा यूनिवर्सिटी का रहेगा 
- जिस विषय में शोध कर रहे हैं, दो बार उसकी परीक्षा भी देना होगी।

अगले शैक्षिक सत्र से विज्ञान-गणित का कोर पाठ्यक्रम

Posted: 27 Aug 2011 11:16 AM PDT

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को कहा कि उच्चतर माध्यमिक स्तर के छात्रों के लिए विज्ञान और गणित विषयों का कोर पाठ्यक्रम तैयार कर लिया गया है। इसे एनसीईआरटी से मंजूरी मिल गई है व इसे अगले शैक्षिक सत्र से लागू भी कर दिया जाएगा। कामर्स विषय के लिए भी कोर पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। इसे भी जल्दी लागू किया जाएगा। सिब्बल ने राज्यसभा में शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए बताया कि सभी छात्रों को अध्ययन के समान अवसर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से यह कोर पाठ्यक्रम तैयार करने का फैसला किया गया। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड ने देश भर में सभी शिक्षा बोर्डों में माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्तरों पर विज्ञान और गणित विषयों में एक कोर पाठ्यक्र म होने की जरूरत का समर्थन किया ताकि व्यावसायिक पाठ्यक्र मों में शामिल होने के लिए सभी विद्यार्थियों को एक समान अनुकूल माहौल मुहैया कराया जा सके। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परिषद की 16 फरवरी, 2010 को आयोजित बैठक में बोर्डों ने विज्ञान व गणित के कोर पाठ्यक्रम अपनाने का सर्वसम्मत फैसला किया। बाद में एनसीईआरटी ने सीबीएसई के साथ मिलकर कोर पाठ्यक्रम तैयार किया है। इससे पहले सपा के प्रो. रामगोपाल यादव ने पूरक प्रश्न के रूप में कहा कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से इंटरमीडिएट और हाईस्कूल की परीक्षा में टॉप करने वाले छात्र 80 फीसदी अंक लेकर आते हैं जबकि सीबीएसई से छात्र 90 से 99 प्रतिशत अंक लेकर आते हैं। इस स्थिति में उत्तर प्रदेश के छात्रों को दिल्ली में दाखिला नहीं मिल पाता है लिहाजा एक समान व्यवस्था होनी चाहिए। इसका समर्थन करते हुए बसपा के सदस्यों ने कहा कि सरकार को उत्तर प्रदेश के छात्रों को दिल्ली में प्रवेश के लिए पांच प्रतिशत अंक की छूट देनी चाहिए। सिब्बल ने सुशीला तिरिया के प्रश्न के उत्तर में बताया कि माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्तरों पर एक समान शिक्षा पण्राली तथा पाठ्यक्र म को लागू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। सिब्बल ने कहा कि अगस्त 2009 में केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड ने राष्ट्रीय पाठ्यक्र म कार्य ढांचा 2005 के आधार पर सभी राज्यों द्वारा अपने पाठ्यक्र मों एवं पाठ्य पुस्तकों को संशोधित करने की जरूरत बताई है। उन्होंने गंगाचरण के प्रश्न के उत्तर में बताया कि सरकार का इरादा स्मार्ट कक्षा की शुरुआत करने का है। उन्होंने कुसुम राय के प्रश्न के उत्तर में बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के संपूर्ण कार्यान्वयन के लिए समुचित ढांचागत सुविधाओं, कुशल शिक्षकों की पर्याप्त संख्या, शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि व नेबरहुड स्कूल आदि की जरूरत है जिस पर ध्यान दिया जा रहा है। 

उधर, केंद्र ने कहा कि कैलिफोर्निया स्थित ट्राईवैली विविद्यालय में वीजा संबंधी जालसाजी से प्रभावित किसी भी भारतीय छात्र के खिलाफ कानूनी कार्रवाई लंबित नहीं है। श्री सिब्बल ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि सरकार के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, किसी भी भारतीय छात्र के खिलाफ कानूनी कार्रवाई लंबित नहीं है। पिछले एक साल में दो अमेरिकी विविद्यालयों ट्राई वैली विविद्यालय और नॉर्दन वर्जीनिया विविद्यालय में भारतीय छात्रों के साथ वीजा संबंधी जालसाजी के मामलों की खबर है। इस मामले में 1,800 से अधिक छात्र प्रभावित हुए थे। इस मामले में भारतीय छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कूटनीतिक और राजनीतिक चैनलों के माध्यम से हस्तक्षेप किया था(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,27.8.11)।

मध्यप्रदेशःभस्मासुर साबित हो रहे हैं निजी विश्वविद्यालय

Posted: 27 Aug 2011 11:13 AM PDT

शिवराज सरकार की मंजूरी से आकार ले रहे निजी विश्वविद्यालय अब सरकार के लिए ही भस्मासुर बन रहे हैं। शुरुआती दौर में ही एक निजी विवि ने पीएमटी में चयनित छात्रों को प्रवेश देने से इनकार कर दिया। उसका कहना है कि जब निजी विवि बन गया है तो उनके कॉलेजों में प्रवेश देने का दायित्व भी उनका ही है। ये सब तब हुआ, जब इस विवि के प्रवेश संबंधी नियम भी नहीं बने।

इस घटना से प्रदेश में आ रही निजी विश्वविद्यालयों की बाढ़ पर सवालिया निशान लग गया है। अगर ऐसा ही रुख अन्य निजी विवि ने अपनाया तो सरकारी कॉलेज ही शासकीय विवि के अधीन रह जाएंगे और निजी कॉलेज निजी विवि के। इससेप्रवेश, परीक्षाएं और रिजल्ट घोषित करने तक में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा।


यह भी तब हो रहा है जब खुद सरकार प्रदेश के मेडिकल, डेंटल, नर्सिग, फॉर्मेसी, फिजियोथैरेपी, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक कोर्स को एक ही विश्वविद्यालय के अंतर्गत लाने जा रही है, जिसका विधेयक भी पास हो चुका है। पीपुल्स की घटना ने सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि समय रहते निजी विश्वविद्यालयों पर अंकुश नहीं लगाया तो हालात छत्तीसगढ़ जैसे हो जाएंगे। जहां सरकार ने 2-4 कमरों में ही निजी विवि खोलने की अनुमति दे दी और बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें बंद करना पड़ा था। 

7 निजी विश्वविद्यालय बन चुके हैं प्रदेश में
शासन द्वारा निजी यूनिवर्सिटी प्रावधान-2007 लागू करने के बाद निजी विश्वविद्यालय बनाने की अनुमति के लिए 42 प्रस्ताव आए। इनमें मुख्यत: वे सभी शिक्षण संस्थानों ने आवेदन किया है, जिनके प्रदेश में कई कॉलेज संचालित हो रहे हैं। इन प्रस्तावों में से शासन ने 7 प्रस्तावों को स्वीकार कर उनका वर्ष २क्१क् में गठन भी कर दिया।

इनके नाम इस प्रकार हैं
1. जयप्रकाश सेवा संस्थान यूनिवर्सिटी, गुना
2. आईटीएम यूनिवर्सिटी, ग्वालियर 
3. एमईटी यूनिवर्सिटी, ग्वालियर
4. ओरिएंटल यूनिवर्सिटी, इंदौर
5. पीपुल्स यूनिवर्सिटी, भोपाल
6. आईसेक्ट यूनिवर्सिटी भोपाल
7. रामकिशन मिशन यूनिवर्सिटी, भोपाल

उठ रहे यह भी सवाल
- यूनिवर्सिटी के पास कोई भी कोर्स शुरू करने के अधिकार रहते हैं। प्रदेश में कोई स्टेट एजुकेशन पॉलिसी नहीं है, जिसमें यूनिवर्सिटी को कोई भी नया कोर्स शुरू करने से पहले शासन की अनुमति की जरूरत पड़े। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या निजी विश्वविद्यालय भी अपने व्यावसायिक हित साधने के लिए नए कोर्सेस शुरू करेंगे। इन कोर्स की महत्ता क्या होगी? 

- शासन पूरे प्रदेश में एक जैसा सिलेबस और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नई मेडिकल यूनिवर्सिटी खोल रहा है, वहीं दूसरी ओर निजी यूनिवर्सिटी को भी मान्यता देते जा रहा है। ऐसे में नियमों को मजबूत नहीं किया गया तो प्रदेश में एक जैसा कोर्स और गुणवत्ता कैसे संभव है? 

- प्राइवेट यूनिवर्सिटी बनने के बाद पीपुल्स मेडिकल कॉलेज शासन द्वारा आयोजित काउंसिलिंग में छात्रों को एडमिशन देने से मना कर रहा है। वह भी तब जब उसकी यूनिवर्सिटी के प्रवेश नियम ही नहीं बने हैं। (अब तक पुराने नियम ही मानने का प्रावधान है)। ऐसा करने से शासन के अधिकार पर ही प्रश्न चिन्ह उठ गया? 

- क्या निजी विश्वविद्यालय फीस के निर्धारण में भी मनमानी करेंगे?

- कोर्स निर्धारण करने में क्या नियम रहेगा?

- फैकल्टीज का निर्धारण कैसे करेंगे?(राजीव शर्मा-आनंद,दैनिक भास्कर,भोपाल,27.8.11)

यूपीएससी में सीएस और आईटी विषय रखने की मांग

Posted: 27 Aug 2011 11:12 AM PDT

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा में कंप्यूटर साइंस (सीएस) एवं इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) को भी ऐच्छिक विषय में शामिल करने की मांग उठने लगी है।

शहर के छात्रों ने इस संबंध में यूपीएससी को पत्र भेज कर कहा है कि इंजीनियरिंग की चार ब्रांच शामिल की जा सकती हैं तो सीए व आईटी को क्यों नहीं शामिल किया जा सकता। प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों से प्रतिवर्ष लगभग 20 हजार छात्र इन सीएस व आईटी ब्रांच से इंजीनियरिंग करते हैं।

इनमें सैकड़ों ऐसे होते हैं जो सिविल सेवा परीक्षा में बैठना चाहते हैं, लेकिन इन दोनों को ऐच्छिक विषय के रूप में शामिल नहीं किया गया है जबकि सिविल ब्रांच, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन शामिल हैं।

हाल में प्रतियोगी छात्रों ने यूपीएससी को पत्र लिखकर सीएस एवं आईटी ब्रांच को ऐच्छिक विषय के रूप में शामिल करने की मांग की है। उनका कहना है कि जब इंजीनियरिंग के चार विषय (ब्रांच) को शामिल किया जा सकता है तो सीएस व आई को क्यों नहीं? इन दोनों ब्रांच के छात्रों को परीक्षा के लिए नए विषय का चुनाव करना पड़ता है।


प्रायोगिक परीक्षा देने का एक और मौका

जीवाजी यूनिवर्सिटी ने आदर्श विज्ञान कॉलेज एवं एमएलबी कॉलेज के स्नातक एवं स्नातकोत्तर सेमेस्टर एवं वार्षिक परीक्षाओं में शामिल होने वाले ऐसे छात्रों को प्रायोगिक, प्रोजेक्ट एवं मौखिक परीक्षा देने के लिए एक और मौका प्रदान किया है, जिन्होंने उक्त परीक्षा नहीं दी है। परीक्षा सात एवं आठ सितंबर को आयोजित की जाएगी।

छात्रों को समान अवसर मिले 

यूपीएससी के सिलेबस में सीएस एवं आईटी ब्रांच को शामिल किया जाना चाहिए। इसके लिए यूपीएससी को सिविल सेवा परीक्षा में संशोधन किया जाना चाहिए, ताकि सभी छात्रों को समान अवसर मिल सकें।""
केएस शर्मा, पूर्व मुख्य सचिव 

सिलेबस में संशोधन की जरूरत

सीएस एवं आईटी ब्रांच का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होने लगा है। इसलिए यूपीएससी के सिलेबस में संशोधन की जरूरत है।
प्रो. डीसी तिवारी, निदेशक, इंजीनियरिंग संस्थान, जेयू

नए विषय का किया चुनाव

मैं सिविल सेवा में अपना करियर बनाना चाहती हूं लेकिन यूपीएससी के सिलेबस में सीएस ब्रांच नहीं होने के कारण मुझे नए विषय का चुनाव करना पड़ेगा।
अनुश्री जैन, छात्रा, बीई

सभी ब्रांच हों शामिल

सिविल सेवा परीक्षा के सिलेबस में इंजीनियरिंग की सभी ब्रांचें शामिल हों। सीएस एवं आईटी के शामिल होने से परीक्षा की तैयारी के लिए नए विषय का चुनाव नहीं करना पड़ेगा।
श्रुति गोयल, छात्रा, बीई(रामरूप महाजन,दैनिक भास्कर,ग्वालियर,27.8.11)

मैनेजमेंट छात्रों के लिए ब्रांड बने अन्ना

Posted: 27 Aug 2011 11:10 AM PDT

अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को प्रबंधन विशेषज्ञ किसी व्यावसायिक ब्रांड के समानांतर सामाजिक-राजनीतिकब्रांड की संज्ञा दे रहे हैं। इस आंदोलन को प्रबंधन छात्रों की पढ़ाई में शामिल किया गया है। इसी श्रृंखला में दिल्ली विविद्यालय के प्रतिष्ठित संस्थान फैकल्टीज ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (एफएमएस) में 'अन्ना एक ब्रांड के रूप में' पढ़ाया जा रहा है। संस्थान के डॉ. हषर्वर्धन वर्मा ने बताया, 'मैनेजमेंट और मार्केटिंग विशेषज्ञ के तौर पर हम किसी व्यावसायिक ब्रांड और अन्ना हजारे के आंदोलन, दोनों में कई समानता देखते हैं ।' विशेषज्ञों को अन्ना और उनके आंदोलन में एक सशक्त ब्रांड के सारे लक्षण दिखाई देते हैं। जानीमानी विज्ञापन एजेंसी जो डब्ल्यूटी , गुड़गांव के सीनियर क्रि एटिव डायरेक्टर प्रणव हरिहर शर्मा के मुताबिक कोई भी ब्रांड तब बनता है जब उसके पीछे कोई बड़ा आइडिया हो। आज के समय में अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्य विचार बन गए हैं। शर्मा ने कहा कि अन्ना के आंदोलन में किसी धर्म, मत, वर्ग और उम्र की सीमा नहीं है और उनकी खुद की साफ-सुथरी छवि उन्हें इस रूप में ब्रांड बनाती है कि लोग जिसमें भरोसा कर सकें। डॉ. वर्मा ने बताया कि प्रबंधन विशेषज्ञों को अन्ना की मुहिम में एक ब्रांड से जुड़ी तीन प्रमुख चीजें देखने को मिलीं । पहली बात, किसी उत्पाद को कितने लोग खरीदते हैं, और इस मामले में आंदोलन को विशेषज्ञों ने इस रूप में देखा कि आंदोलन के साथ कितने लोग जुड़े हैं। दूसरी चीज कि लोग अपना भरपूर समय दे रहे हैं और दिल्ली के अलावा देश के दूसरे सुदूर कोनों से भी आ रहे हैं, जिसे विशेषज्ञ किसी ब्रांड के लिए अदा कीमत के तौर पर देख सकते हैं। ये बात भी शामिल होती है कि एक ब्रांड को पाने के लिए लोग कितनी परेशानी झेल सकते हैं। डॉ. वर्मा ने बताया कि इस मुहिम के साथ उन्होंने मैनेजमेंट के छात्रों की पढ़ाई में अन्ना को ब्रांड के तौर पर शामिल किया है और मंगलवार को एफएमएस के छात्रों को इस पर व्याख्यान भी दिया। उन्होंने अपने ब्लॉग में इस आंदोलन के कुछ नए प्रतीक गढ़े हैं । मसलन आंदोलन का स्थान एक मैदान यानी जमीन है, जिसका अर्थ 'नीचे' से लगाया है और इसके विरोध में सरकार 'ऊपर' है। उसी तरह लोग मोमबत्ती और मशाल जलाकर रोशनी कर रहे हैं, जो कि प्रतीकात्मक रूप में अंधेरे के खिलाफ है। इसके पहले फिल्म 'रंग दे बंसती', 'चक दे इंडिया' के अलावा क्रि केटर महेंद्र सिंह धोनी, अभिनेता आमिर खान और लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान भारतीय रेलवे को भी समय समय पर आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में केस स्टडी का हिस्सा बनाया जा चुका है। बहरहाल, एडगुरु प्रहलाद कक्कड़ मानते हैं कि हजारे एक ब्रांड से ज्यादा आज की परिस्थिति में बदलाव की प्रतिमूर्ति हैं। प्रबंधन गुरु मनीष पांडेय ने कहा कि आम जनता के अलावा प्रबंधन क्षेत्र के दिग्गजों और छात्रों के अंदर भी अन्ना हजारे, उनके आंदोलन, आंदोलन के संचालन, वहां मौजूद जनता के अनुशासन की प्रवृत्ति को जानने की जिज्ञासा है(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,27.8.11)।

ओबीसी छात्रों के लिए डीयू ने जारी की 11वीं कटऑफ

Posted: 27 Aug 2011 11:04 AM PDT


दिल्ली विविद्यालय ने ओबीसी कोटे की सीटों पर दाखिले के लिए शुक्रवार शाम 11वीं कटऑफ लिस्ट जारी कर दी है। विविद्यालय रजिस्ट्रार की ओर से जारी 11वीं कटऑफ के लिए 27, 29, 30 अगस्त को दाखिले किए जाएंगे। डीयू की जारी 11वीं कटऑफ में जाकिर हुसैन कॉलेज में संस्कृत ऑनर्स, अरेबिक, बंगाली, पारशियन में जहां सभी बारहवीं पास ओबीसी छात्रों का दाखिला हो रहा है। इसके अलावा भगिनी निवेदिता कॉलेज में हिन्दी ऑनर्स में दाखिले के लिए 35 फीसद अंक ही चाहिए। इसी तरह बीए प्रोग्राम में आईपी कॉलेज व कालिंदी कॉलेज में 36 फीसद पर दाखिला हो रहा है। साइंस कोर्सेज की बात करें तो इंस्टीटय़ूट ऑफ होम इकोनॉमिक्स में बीएससी होम साइंस में 36 फीसद पर छात्रों को दाखिला मिल सकता है(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,27.8.11)।

दैनिक भास्कर की रिपोर्टः
दिल्ली विश्वविद्यालय में 10वीं कटऑफ के बाद खाली पड़ी ओबीसी कोटे की सीटों पर दाखिले के लिए शुक्रवार शाम 11वीं कटऑफ लिस्ट जारी कर दी गई। विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार की ओर से जारी 11वीं कटऑफ के लिए 27, 29, 30 अगस्त को दाखिले अंजाम दिए जाएंगे। 

इस कटऑफ में जाकिर हुसैन कॉलेज में संस्कृत ऑनर्स, अरेबिक, बंगाली, पारशियन में जहां सभी 12वीं पास ओबीसी छात्रों का दाखिला हो रहा है, वहीं भगिनी निवेदिता कॉलेज में हिन्दी ऑनर्स में दाखिले के लिए 35 फीसदी अंक ही चाहिए। इसी तरह, बीए प्रोग्राम में आईपी कॉलेज व कालिंदी कॉलेज में 36 फीसदी पर दाखिला हो रहा है। 

साइंस कोर्सेज की बात करें तो इंस्टीट्यूट ऑफ होम इकोनॉमिक्स में बीएससी होम साइंस में 36 फीसदी पर दाखिला मुमकिन है। कटऑफ की जानकारी के लिए छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर लॉग इन कर सकते हैं।

महाराष्ट्रःसेट और एआईईईई परीक्षा तिथि की घोषणा

Posted: 27 Aug 2011 11:53 AM PDT

लेक्चरर के लिए अनिवार्य मानी जाने वाली स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट (सेट) तथा अखिल भारतीय अभियांत्रिकी प्रवेश परीक्षा (एआईईईई)की तिथि की घोषणा कर दी गई है।

पुणे विश्वविद्यालय की ओर से ली जाने वाली सेट परीक्षा इस वर्ष 27 नवंबर को ली जाएगी, जबकि सीबीएसई बोर्ड की ओर से ली जाने वाली एआईईईई की परीक्षा अगले वर्ष अर्थात वर्ष 2012 में 29 अप्रैल को ली जाएगी।

बोर्ड की ओर से परीक्षा तिथि का ऐलान एक परिपत्रक के मार्फत किया गया है। बोर्ड ने कहा कि इस बार भी परीक्षा ऑन लाइन ली जाएगी। सेट परीक्षा के लिए ऑन लाइन आवेदन फार्म जमा करने समेत पूरी प्रक्रिया की घोषणा कर दी गई है। विद्यार्थियों को 14 सितंबर से ऑनलाइन आवेदन करना है। परीक्षा के लिए समान्य वर्ग के विद्यार्थियों को 550 रुपये बतौर शुल्क जमा करना होगा, जबकि आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों के लिए यह शुल्क 450 रुपये रखा गया है(दैनिक भास्कर,नागपुर,27.8.11)।
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Palash Biswas
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