---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2011/5/23
Subject: भारत अभिजातों का लोकतंत्र हैः अरुंधति राय
To: deewan@sarai.net
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Nothing is stable, except instability
Nothing is immovable, except movement. [ Engels, 1853 ]
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2011/5/23
Subject: भारत अभिजातों का लोकतंत्र हैः अरुंधति राय
To: deewan@sarai.net
भारत सरकार आदिवासी इलाकों में सेना के आधार कैम्प बनाने जा रही है. ऐसे दो ट्रेनिंग कैम्प उड़ीसा के रायगढ़ा व छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिलों में जल्दी ही स्थापित करने की योजना है, जिसके लिए बड़ी मात्रा में आदिवासी जमीन का अधिग्रहण किया जाने वाला है. अबूझमाड़ के कुल क्षेत्रफल 4000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का 600 वर्ग किमी सेना को बेस कैम्प के लिए सौंपा जा रहा है. इतने बड़े इलाके में सेना के आने से स्थानीय लोगों का विस्थापन व जंगल की तबाही होना तय है. सेना के अनुसार ही ये तथाकथित कैम्प मिजोरम व कांकेर के जंगल युद्ध प्रशिक्षण स्कूल के माडल पर ही स्थापित किये जा रहे हैं. सरकार के इस कदम का विरोध करने के लिए देश के कुछ जाने-माने बुद्धिजीवी और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने शनिवार को गांधी शांति प्रतिष्ठान में एक बैठक की. फोरम अगेंस्ट वार ऑन पीपुल के तहत आयोजित इस आम सभा में लोगों ने एकस्वर से इस जनविरोधी दमनकारी कदम का विरोध किया और यह आशंका भी जतायी कि इसके जरिए सरकार संघर्षरत जनता के खिलाफ सेना के औपचारिक इस्तेमाल का रास्ता साफ कर रही है.
इस मौके पर अर्थशास्त्री अमित भादुड़ी, कवि मदन कश्यप, लेखिका अरुंधति राय, पूर्व न्यायाधीश राजेंद्र सच्चर, सीपीआई के महासचिव एबी वर्धन, मेनस्ट्रीम के संपादक सुमित चक्रवर्ती और समयांतर के संपादक पंकज बिष्ट समेत इस सभा में शामिल सभी वक्ताओं ने यह मांग की कि जनता के खिलाफ सभी युद्धों को तत्काल बंद किया जाए, कंपनियों के साथ किये गये सारे करारों को सार्वजनिक करके रद्द किया जाये तथा सारे अर्धसैनिक बलों को वापस बुलाया जाये.
हाशिया पर इस कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग अलग-अलग हिस्सों में पोस्ट की जायेगी. इस सिलसिले में पेश है जानी-मानी लेखिका अरुंधति राय का वक्तव्य. इसमें अरुंधति ने सरकार के इस दमनकारी कदम का आरंभ से ही मजबूत विरोध करने और इसे शुरू न होने देने के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया है.
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Nothing is stable, except instability
Nothing is immovable, except movement. [ Engels, 1853 ]
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Palash Biswas
Pl Read:
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