BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Monday, May 23, 2011

Fwd: [waterkeepers_india] जो बोया सो कट रहा है



---------- Forwarded message ----------
From: India Environment <indiaenvironment.org@gmail.com>
Date: 2011/5/23
Subject: [waterkeepers_india] जो बोया सो कट रहा है
To: waterkeepers_india@lists.riseup.net


गांधी मार्ग से

जो बोया सो कट रहा है

Source: 
गांधी-मार्ग मई-जून 2011
Author: 
सुरेन्द्र बांसल

पंजाब की खेती किसानी का सबसे बड़ा संकट आज यही है कि वह प्रकृति से अपनी रिश्तेदारी का लिहाज भूल गई है। पवन, पानी और धरती का तालमेल तोड़ने से ढेरों संकट बढ़े हैं। सारा संतुलन अस्त-व्यस्त हुआ है। पंजाब ने पिछले तीन दशकों में पेस्टीसाइड का इतना अधिक इस्तेमाल कर लिया कि पूरी धरती को ही तंदूर बना डाला है।

पंजाब सदियों से कृषि प्रधान राज्य का गौरव पाता रहा है। कभी सप्त सिंधु, कभी पंचनद तथा कभी पंजाब के नाम से इस क्षेत्र को जाना गया है। यह क्षेत्र अपने प्राकृतिक जल स्रोतों, उपजाऊ भूमि और संजीवनी हवाओं के कारण जाना जाता था। प्रकृति का यह खजाना ही यहां हुए हमलों का कारण रहा है। देश के बंटवारे के बाद ढाई दरिया छीने जाने के बावजूद बचे ढाई दरियाओं वाले प्रदेश ने देश के अन्न भंडार को समृद्ध किया है। किसानी का काम किसी भी देश या कौम का मूल काम माना गया है। हमारी परंपराओं में किसान को संसार का संचालन कर्ता माना गया है। यह भी कहा गया कि किसान दूसरे कामों में व्यस्त उन लोगों को भी जीवन देते हैं, जिन्होंने कभी जमीन पर हल नहीं चलाया। यह भी कहा गया है कि जो मात्र अपने ही पेट तक सीमित है, वह पापी है। मात्र स्वयं के पेट का मित्र स्वार्थी और महादोशी है। किसान का काम अपने लिए तो जीविका कमाना है ही, दूसरों के लिए भी रोटी का प्रबंध करना है। वह धरती को अपनी छुअन मात्र से उसके भीतर छिपी सृजन शक्ति को मानव मात्र की जरूरतों के अनुसार जगाता है। बीजाई के संकल्प को गुरुवाणी में बहुत ऊंचा स्थान प्राप्त है। गुरुवाणी में बीजाई को शुभ कारज (कार्य) के साथ-साथ बुनियादी कारज भी कहा गया है। किसानी एक ऐसा काम है जिसकी निर्भरता किसान के आचरण से जुड़ी है। इसलिए गुरुवाणी में यह भी बेहद स्पष्ट किया गया है 

गांधी मार्ग से

इस नदी में जंग लगेगी

Source: 
गांधी-मार्ग मई-जून 2011
Author: 
प्रस्तुति अनुपम मिश्र

लेकिन यह नदी या कहें विशाल नद बहुत ही विचित्र है। इसके किनारे पर आप बैठकर इसे निहार नहीं सकते। इसका कलकल बहता पानी न आप देख सकते हैं और न उसकी ध्वनि ही सुन सकते हैं।

लीबिया की गिनती दुनिया के कुछ सबसे सूखे माने गए देशों में की जाती है। देश का क्षेत्रफल भी कोई कम नहीं। बगल में समुद्र, नीचे भूजल खूब खारा और ऊपर आकाश में बादल लगभग नहीं के बराबर। ऐसे देश में भी एक नई नदी अचानक बह गई। लीबिया में पहले कभी कोई नदी नहीं थी। लेकिन यह नई नदी दो हजार किलोमीटर लंबी है, और हमारे अपने समय में ही इसका अवतरण हुआ है! लेकिन यह नदी या कहें विशाल नद बहुत ही विचित्र है। इसके किनारे पर आप बैठकर इसे निहार नहीं सकते। इसका कलकल बहता पानी न आप देख सकते हैं और न उसकी ध्वनि सुन सकते हैं। इसका नामकरण लीबिया की भाषा में एक बहुत ही बड़े उत्सव के दौरान किया गया था। नाम का हिंदी अनुवाद करें तो वह कुछ ऐसा होगा- महा जन नद।

हमारी नदियां पुराण में मिलने वाले किस्सों से अवतरित हुई हैं। इस देश की धरती पर न जाने कितने त्याग, तपस्या, भगीरथ प्रयत्नों के बाद वे उतरी हैं। लेकिन लीबिया का यह महा जन नद सन् 1960 से पहले बहा ही नहीं था।

इंडोसल्फान: कीटनाशक का कहर

Source: 
सर्वोदय प्रेस सर्विस
Author: 
सेव्वी सौम्य मिश्रा

सर्वोच्च न्यायालय ने इंडोसल्फान के प्रयोग पर 8 सप्ताह की अस्थाई रोक लगा दी है। इस दौरान संबंधित सभी पक्षों को अपना-अपना पक्ष रखने को कहा गया है। केरल और अनेक अन्य राज्यों में इस कीटनाशक के दुष्परिणाम साफ तौर पर देखे जा सकते हैं लेकिन अनेक राजनीतिज्ञों व उद्योगपतियों ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए लाखों किसानों की जिंदगियों को दाव पर लगा दिया है।

इंडोसल्फान के हानिकारक प्रभावों पर हुए अध्ययनों की अनदेखी करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार द्वारा अप्रैल के अंत में जेनेवा में स्टॉकहोम सम्मेलन के अंतर्गत होने वाले सम्मेलन के तुरंत पहले इंडोसल्फान के पक्ष में वातावरण बनाने का प्रयास किया गया। इंडोसल्फान को प्रतिबंधित करने के मामले में पवार का रुख कमोवेश नकारात्मक ही है। 22 फरवरी 2011 को लोकसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए सदन को गुमराह करते हुए उन्होंने कहा कि अनेक राज्य नहीं चाहते हैं कि इस कीटनाशक पर प्रतिबंध लगे। 19 अप्रैल को दिल्ली में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में पवार ने इसे प्रतिबंधित करने में अपनी असमर्थता दोहराई थी। उन्होंने जोर दिया कि ऐसे कोई अध्ययन नहीं हुए हैं जो कि सिद्ध कर सकें कि इंडोसल्फान हानिकारक है। गौरतलब है कि लगभग 81 देश या तो इस कीटनाशक को प्रतिबंधित कर चुके हैं या इस प्रक्रिया में हैं। देश में केरल और कर्नाटक ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। पवार का तर्क है कि स्टॉकहोम सम्मेलन में ऐसा कोई वैज्ञानिक कारण प्रस्तुत नहीं किया गया जिसके आधार पर इंडोसल्फान पर प्रतिबंध लगाया जा सके।

LATEST





--
Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

No comments:

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...