BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Monday, April 5, 2010

Fwd: [Hindi IWP] आँखों को बेनूर कर रहा पानी



---------- Forwarded message ----------
From: Hindi Water portal <hindi@lists.indiawaterportal.org>
Date: 2010/4/5
Subject: [Hindi IWP] आँखों को बेनूर कर रहा पानी
To: hindi@lists.indiawaterportal.org


मित्रों पानी पर कुछ लेख भेज रहा हूं, आप इंडिया वाटर पोर्टल को इसका क्रेडिट देते हुए आप प्रकाशित करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा। 

आँखों को बेनूर कर रहा पानी

जन्मजात अंधापनजन्मजात अंधापनबिहार के भोजपुर जिले के बीहिया से अजय कुमार, शाहपुर के परशुराम, बरहरा के शत्रुघ्न और पीरो के अरुण कुमार ये लोग भले ही अलग-अलग इलाकों के हैं, पर इनमें एक बात कॉमन है, वो है इनके बच्चों की आंखों की रोशनी। इनके साथ ही सोलह और अन्य परिवारों में जन्में नवजात शिशुओं की आँखों में रोशनी नहीं है। इनकी आँखों में रोशनी जन्म से ही नहीं है। बिहार के सबसे ज्यादा आर्सेनिक प्रभावित भोजपुर जिले में पिछले कुछ दिनों के अंदर 50 ऐसे बच्चों के मामले मीडिया में छाये हुए हैं जिनकी आँखों का नूर कोख में ही चला गया है। 

मामला प्रकाश में लाने वाले आरा के एक विख्यात नेत्र विशेषज्ञ हैं- डॉ. एसके केडिया, जो कहते हैं कि "जन्मजात अंधापन के दो मामले लगभग छह महीने पहले मेरे अस्पताल में आये थे। उस समय मुझे कुछ गलत नहीं लगा था। लेकिन जब इस तरह के मामले पिछले तीन महीने में नियमित अंतराल पर मेरे पास आने शुरू हुए तो मुझे धीरे-धीरे यह एहसास हुआ कि यह एक नई चीज है। मेरे 20 साल के कैरियर में जन्मजात अंधापन के मामले इतनी बड़ी संख्या में कभी नहीं आये थे।"

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पानी में जहर

वेब/संगठन: 
raviwar com
Author: 
शहरोज़ (गया, बिहार), संजीव समीर (कोडरमा, झारखंड)
बचपन में बुढ़ापाबचपन में बुढ़ापागया से महज़ चौंसठ किलोमीटर के फ़ासले पर है आमस प्रखंड का गांव भूपनगर, जहां के युवक इस बार भी अपनी शादी का सपना संजोए ही रह गए. कोई उनसे विवाह को राज़ी न हुआ. वजह है उनकी विकलांगता. इनके हाथ-पैर आड़े-तिरछे हैं, दांत झड़ चुके हैं, हड्डियां ऐंठ गई हैं. जवानी में ही लोग बूढ़े हो गये हैं. गांव के लोग बीमारी का नाम बताते हैं- फ्लोरोसिस. 

इलाज की ख़बर यह है कि हल्की सर्दी-खांसी के लिये भी इन्हें पहाड़ लांघ कर आमस जाना पड़ता है. भूदान में मिली ज़मीन की खेती कैसी होगी? बराए नाम जवाब है इसका. तो जंगल से लकड़ी काटना और बेचना यही इनका रोज़गार है. 

वलनीः छब्बीस बरस की गवाही

Author: 
योगेश अनेजा
यह कहानी है नागपुर तालुका के गांव वलनी के लोगों की। वलनी में उन्नीस एकड़ का एक तालाब है। वलनीवासी 1983 से आज तक वे अपने एक तालाब को बचाने के लिए अहिंसक आंदोलन चला रहे हैं। छब्बीस वर्ष गवाह हैं इसके। न कोई कोर्ट कचहरी, न तोड़ फोड़, न कोई नारेबाजी। तालाब की गाद-साद सब खुद ही साफ करना और तालाब को गांव-समाज को सौंपने की मांग। हर सरकारी दरवाजे पर अपनी मांगों के साथ कर्तव्य भी बखूबी निभा रहा है यह छोटा-सा गांव। योगेश अनेजा, जो अब इस गांव के सुख-दुख से जुड़ गये हैं, वे 26 वर्ष के इस लम्बे दांस्तान को बयान कर रहे हैं

हम सब कलेक्टर के पास अर्जी लेकर गए थे। उन्होंने कहा कि मैं तो यहां नया ही आया हूं। मैं देखता हूं कि मामला क्या है। अर्जी के हाशिए में 
Minakshi Arora
Chairperson
Water Community India
hindi.indiawaterportal.org
Delhi-91
91 9250725116

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Hindi mailing list
Hindi@lists.indiawaterportal.org
http://lists.indiawaterportal.org/cgi-bin/mailman/listinfo/hindi




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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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